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चौटाला की सजा

पिछले दिनों एक खबर आपके अखबार में पढ़ने को मिली, ‘चौटाला पिता-पुत्र की सजा बरकरार।’ इसे पढ़कर सुखद और दुखद, दोनों तरह के एहसास एक साथ हुए। सुखद इसलिए कि यह समाचार दर्शा रहा था कि हमारी...

चौटाला की सजा
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 18 Mar 2015 10:06 PM
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पिछले दिनों एक खबर आपके अखबार में पढ़ने को मिली, ‘चौटाला पिता-पुत्र की सजा बरकरार।’ इसे पढ़कर सुखद और दुखद, दोनों तरह के एहसास एक साथ हुए। सुखद इसलिए कि यह समाचार दर्शा रहा था कि हमारी न्याय व्यवस्था को कोई हांक नहीं सकता, चाहे वह हरियाणा के चौटाला हों, या तमिलनाडु की जयललिता या बिहार के लालू प्रसाद यादव। कानून के आगे इन सब नेताओं को झुकना ही पड़ा है। दुखद एहसास इसलिए कि अगर देश के उन सूचना प्रहरियों को भी ‘सजा’ मिलने लगेगी, तो बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा? पिता-पुत्र के साथ शिक्षक घोटाले के विरुद्ध आवाज उठाने वाले आईएएस अधिकारी संजीव कुमार की हालत का इस तरह से आकलन किया जा सकता है कि अगर उन्होंने इस घोटाले के विरुद्ध आवाज न उठाई होती, तो क्या इसका भंडाफोड़ हो सकता था?
ताराचंद ‘देव’ रैगर, श्रीनिवासपुरी, नई दिल्ली

वाजिब चिंता
‘हमारे उत्सवों का शोर हमें बहरा न कर दे’ शीर्षक से प्रकाशित कानन झींगन का लेख पढ़ा। सचमुच, शोर ने समाज में एक गंभीर समस्या का रूप ले लिया है। ईश्वर के नाम पर जो शोर-शराबा होता है, वह पूरी तरह से अनावश्यक है। इसी तरह, बारात निकलती है, तो बैंड, पटाखों और डीजे के भयानक शोर को एक आम आदमी कैसे झेलता है, यह वही जानता है। लेकिन वह बेबस है। साफ तौर पर हर तरफ शोर बढ़ता ही जा रहा है। लेखिका ने ठीक लिखा है कि यह एक गंभीर समस्या है, परंतु न तो सरकार इस समस्या के प्रति गंभीर है, न समाज। इस समस्या का निराकरण सख्त कानूनों और सामाजिक जागरूकता से ही संभव है।
इंद्र सिंह धिगान, रेडियो कॉलोनी, किंग्जवे कैंप, दिल्ली-9

लकीर न पीटे भाजपा
पीडीपी के नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद किसी न किसी बहाने से शुरू से ही आतंकवादियों को रिहा करवाते रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुफ्ती मोहम्मद के कारनामों को जानते होंगे ही। कभी बेटी की रिहाई के बदले आतंकियों को छोड़ने का वाकया हो, या अब अपनी खुशी से मसरत आलम को रिहा करने की बात, उनका असली इरादा तो अब भारतीय जनता पार्टी को झटका देकर फिर से सूबे में चुनाव करवाना और पूर्ण बहुमत से वहां सरकार बनाना है। हाल के पूरे नाटक में भारतीय जनता पार्टी और पीडीपी में अविश्वास का माहौल बन चुका है। अब तो सांप निकल गया है और भाजपा लकीर पीट रही है।
रामधारी कौशिक, भिवानी, हरियाणा

जनता राशन कैसे ले? 
मोबाइल फोन पर मैसेज आ रहा है कि ‘आपका फरवरी महीने का राशन दुकान पर पहुंच गया है। आप जल्दी राशन लें।’ पर कोई ले कैसे? राशन कार्ड न घर पहुंचे, न दुकान पर, राशन कार्ड मिला नहीं, दुकान कहां पर है, यह पता नहीं? आम जनता को विभाग पहले राशन कार्ड तो दे, तभी जाकर तो राशन मिलेगा।
श्रीचरन, दक्षिणपुरी, नई दिल्ली-62

आप का झगड़ा
अपरिपक्व लोगों की राजनीति कैसी होती है, आम आदमी पार्टी, यानी आप के नेताओं ने हमें बता दिया है। रोज-रोज की उनकी नौटंकी मीडिया के लिए चाहे जितने मसाले जुटाए, मतदाताओं के चित्त में उनके लिए गुस्सा ही भर रहा है। बेहतर होगा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विनम्रता का जो प्रदर्शन प्रचार-अभियान के दौरा किया था, उसका एक बार फिर प्रदर्शन करें और अपनी पार्टी में सबको जोड़ें। अगर उन्होंने विनम्रता का मुखौटा ओढ़ रहा है, तो जल्दी ही निगम चुनाव में दिल्ली की जनता उसे नोच भी लेगी। इसलिए पारदर्शिता के साथ आम आदमी पार्टी आगे बढ़े। दिल्ली और देश की जनता को उससे बहुत सारी उम्मीदें हैं। अरविंद केजरीवाल ने अगर इस बार लोगों को निराश किया, तो वह इतिहास के कूड़ेदान में खुद को पाएंगे
आकाश महतो, बेली रोड, पटना

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