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अपनी जड़ता को तोड़ें

अभी पिछले हफ्ते एक बड़ी दुखद घटना समाचार-पत्रों के माध्यम से पता चली कि एक स्कूल के प्रधानाचार्य की जवान पुत्री ने आत्महत्या कर ली। अपने सुसाइड नोट में लड़की ने किसी को भी दोषी नहीं ठहराया था, लेकिन...

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लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 30 Oct 2014 12:55 AM
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अभी पिछले हफ्ते एक बड़ी दुखद घटना समाचार-पत्रों के माध्यम से पता चली कि एक स्कूल के प्रधानाचार्य की जवान पुत्री ने आत्महत्या कर ली। अपने सुसाइड नोट में लड़की ने किसी को भी दोषी नहीं ठहराया था, लेकिन पता यह चला है कि लड़की मंगली थी और उसके विवाह में यह बाधा थी और शायद इसी मानसिक पीड़ा को वह लड़की सहन न कर सकी और उसने अपने जीवन का अंत कर लिया। यह घटना बताती है कि अब समय आ गया है हम अपनी दकियानूसी सोच से आगे बढ़ें और जन्म-पत्री से बढ़कर लड़कियों की शिक्षा, शिष्टता, अच्छाइयों और गुणों को वरीयता दें। भविष्य अदृश्य होता है, जो हमारे सचरित्र और कर्म पर निर्भर करता है। लड़कियों को भी इस सोच से ऊपर उठना होगा और अपनी शिक्षा और उन्नति के बारे में सोचना होगा। विवाह जरूरत है, लक्ष्य नहीं।
संजय गुप्त, वैशाली, गाजियाबाद

बेहिसाब कमाई के पीछे
देश की बड़ी आबादी तो जिंदगी भर अपने जिले से बाहर नहीं निकल पाती, उसके लिए दिल्ली भी विदेश जैसा है और भारत सरकार काले धन रखने वालों का ठिकाना विदेशी बैंकों में ढूंढ़ रही थी। जनता देश में ही काले धन कमाने वालों से रू-ब-रू होती रहती है। नगर निगम, सेल्स टैक्स, इनकम टैक्स, आबकारी, तहसील, कचहरी, पुलिस विभाग, सरकारी अस्पताल, बेसिक शिक्षा विभाग, जिला आपूर्ति विभाग, पॉवर कॉरपोरेशन, गन्ना विभाग, बीज निगम, खाद्य निगम, मंडी समिति, विकास प्राधिकरण, संपत्ति क्रय-विक्रय रजिस्ट्री विभाग, आवास विकास परिषद आदि कई सरकारी विभागों में ईमानदारी की गंगा-यमुना हर समय बाढ़ बनी रहती है। शायद ही कोई भाग्यशाली नागरिक होगा, जो इन विभागों में प्रवेश करने के बाद हल्का होकर न आता हो, क्योंकि हर सीट पर बैठा सरकारी कर्मचारी खुले आम रिश्वत मांगता है और साफ कहता है कि इस पद पर तैनाती ही जब मंत्रीजी को रिश्वत देकर मिली है, तो रिश्वत लेना एक सरकारी उपक्रम जैसा ही है। भारत में असली सेकुलरिज्म के दर्शन तो केवल सरकारी कार्यालयों में ही होते हैं, जहां हर धर्म के लोग समान रूप से रिश्वतखोरी के शिकार होते हैं।
मनोज दुबलिश, मेरठ, उत्तर प्रदेश

काले धन पर नकेल
लंबे अंतराल के बाद काले धन का पर्दाफाश होता नजर आ रहा है। वास्तव में काला धन है क्या? जिन भारतीयों के विदेश में खाते हैं, क्या वे खाते काले धन से जुड़े हैं? या फिर जिनकी आय से अधिक संपत्ति है, वह अतिरिक्त संपत्ति काला धन है? विदेश में मात्र खाते होने से काला धन नहीं हो जाता। विदेश में खाता कानूनी तौर पर कोई भी समर्थ व्यक्ति खोल सकता है। लेकिन यदि उसका जमा धन उसकी आमदनी से ज्यादा है, तो वह काला धन माना जाना चाहिए। चाहे फिर वह खाता भारतीय बैंक में ही क्यों न हो? जिन भारतीयों के विदेशी बैंक में खातों की जानकारी मिली है, उनसे उनकी आमदनी का ब्योरा लेकर जो धन आय के हिसाब से ज्यादा है, उसे सरकार को जब्त कर लेना चाहिए। सरकार को उन लोगों पर सख्त कानूनी कार्रवाई भी करनी चाहिए, जिन्होंने संपत्ति को बगैर टैक्स चुकाए विदेशी बैंकों में जमा करके देश को हानि पहुंचाई है।
मनोज उपाध्याय, टिकरौल, सहारनपुर

बिलावल का हाल
लंदन में लोगों को संबोधित करने पहुंचे बिलावल भुट्टो के विरोध में अंडे, टमाटर और प्लास्टिक की बोतलें फेंकी गईं। यह उनको कुछ सबक जरूर दे गया होगा। बिलावल ने भारत विरोधी उग्र बयानों से पाकिस्तान की राजनीति में अपने करियर का अच्छा आगाज किया है।  वह राजनीतिक तुष्टिकरण के जरिये चमकना चाहते हैं। पाकिस्तान के लोकतंत्र और विकास के हित में ही सही, पर बिलावल को अपनी राजनीतिक समझ विकसित करनी होगी और जनता को कश्मीर से इतर भी एक ‘विजन’ देना पड़ेगा, यदि वह लंबी पारी खेलना चाहते हैं।
बिपिन तिवारी, गोंडा

 

 

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