स्वच्छ भारत का सपना
क्या हमारा भारत कभी पूरी तरह से स्वच्छ हो सकेगा? यह सवाल हमलोगों से ही है। जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता को साफ-सफाई के प्रति जागरूक करने का काम किया है, उससे साफ-सफाई का एक...
क्या हमारा भारत कभी पूरी तरह से स्वच्छ हो सकेगा? यह सवाल हमलोगों से ही है। जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता को साफ-सफाई के प्रति जागरूक करने का काम किया है, उससे साफ-सफाई का एक कार्यक्रम तो बन गया, लेकिन हकीकत यह भी है कि कुछ लोगों ने दिखावे के लिए झाड़, खुरपा लिए और तस्वीरें खिंचवाईं। मीडिया के जाते ही साफ-सफाई आधी-अधूरी छोड़ वे लौट गए। लेकिन अगर सच में स्वच्छ भारत चाहिए, तो हर रोज स्वयं साफ-सफाई करनी होगी, न कि इस तरह के दिखावे से काम चलेगा। स्वच्छ भारत के निर्माण में सहयोग देना होगा। वैसे भी यह अभियान हमारे घर से ही शुरू होगा। जब हम सब मिलकर प्रण लेंगे, तभी एक दिन अपना घर, मोहल्ला, शहर सचमुच का स्वच्छ हो पाएगा।
कामरान हाशमी, चहशीरी, बिजनौर
जन भागीदारी जरूरी
कोई भी लोकतांत्रिक व्यवस्था जनमानस की भागीदारी के बिना संचालित नहीं की जा सकती। राष्ट्र-उत्थान की पहली शर्त सामाजिक समरसता की भावना और समान नागरिक संहिता लागू करना है। सो समानता का व्यवहार सभी के प्रति अपेक्षित है, जिसके लिए आवश्यक है कि कट्टरता परोसने वाली दुकानों को प्राथमिकता के आधार पर बंद कराया जाए। साथ ही, संकीर्णता की शिक्षा प्रदान करके बालकों के मन में जो धर्माधता रोपी जा रही है, उससे बच्चों को मुक्त कराया जाए। जरूरी यह भी है कि जनसंख्या कम करने के लिए समान नीतियां लागू हों। फिर देखिए कि देश किस प्रकार से दिन दुनी रात चौगुनी विकास करता है।
सुधाकर आशावादी, शास्त्री भवन , ब्रह्मपुरी , मेरठ
श्रमेव जयते की प्रासंगिकता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते कार्यक्रम’ की शुरुआत कर आर्थिक सुधारों की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है। प्रधानमंत्री ने इन सुधारों के अंतर्गत भविष्य निधि के लिए यूनिवर्सल खाता नंबर, श्रम सुविधा पोर्टल, नई श्रम निरीक्षण योजना की व्यवस्था के साथ इंस्पेक्टर राज को खत्म करने और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत की महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। प्रधानमंत्री ने पीएफ के बिना वारिस की रकम को उनके असली हकदारों को लौटाने की पहल की है। इससे निस्संदेह श्रमिक-वर्ग का सरकार में भरोसा बढ़ेगा और एक सकारात्मक माहौल विकसित हो पाएगा। यही नहीं, फैक्टरी मालिकों को एक फॉर्म भरना होगा, जिसे ऑन-लाइन किया जाएगा। इससे उन उद्योग-धंधों को प्रोत्साहन मिलेगा, जो सरकारी तंत्र के शोषण के शिकार होते हैं। नरेंद्र मोदी ने आईटीआई पेशेवरों को प्रोत्साहित करने और उन्हें अधिक अवसर प्रदान करने का आह्वान किया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को लाभ मिलेगा। हालांकि, अब भी मोदी सरकार के लिए इन सुधारों पर अमल करना और भारत में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सस्ता, सुलभ व कुशल श्रम उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है।
विकास राणा, चिराग दिल्ली
सम्मान और अपमान
हम किसी का मान-सम्मान करें, न करें, यह हमारी इच्छा पर निर्भर है। परंतु किसी का अपमान करने का हमारा कोई अधिकार नहीं बनता है। लेकिन राजनेता हों या आम आदमी, एक-दूसरे को अशोभनीय बातें कहने, दूसरे धर्मों का अपमान करने और दूसरों का अनादर करने में वे कोई कसर नहीं छोड़ते। यह बहुत अशोभनीय और निराशाजनक स्थिति है। इसे कहीं से भी किसी रूप में जायज नहीं कहा जा सकता। माता-पिता, गुरु, परिजन, प्रियजन का, यहां तक कि समाज में किसी का अपमान नहीं करना चाहिए। यह समझने की जरूरत है कि मान करें या न करें, यह आपकी इच्छा है, मगर किसी का अपमान करने का हक आपके पास नहीं है। यह सच है कि मान करोगे, तो मान मिलेगा और अपमान करोगे, तो अपमान ही मिलेगा।
शिव प्रकाश शर्मा, अयोध्यापुरी, हापुड़