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मुख्यमंत्रियों का अपमान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रमों में विरोधी दलों के मुख्यमंत्रियों की हूटिंग एक अमर्यादित आचरण है और इससे लोकतंत्र का भला नहीं हो सकता। यह संभव है कि कोई मुख्यमंत्री अपने सूबे में अलोकप्रिय...

मुख्यमंत्रियों का अपमान
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 25 Aug 2014 08:52 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रमों में विरोधी दलों के मुख्यमंत्रियों की हूटिंग एक अमर्यादित आचरण है और इससे लोकतंत्र का भला नहीं हो सकता। यह संभव है कि कोई मुख्यमंत्री अपने सूबे में अलोकप्रिय हो, मगर विरोधी दल के सभी मुख्यमंत्री अलोकप्रिय हैं, यह कौन दावे के साथ कह सकता है? इसका एकमात्र पैमाना तो विधानसभा के चुनाव, उपचुनाव हैं। इसलिए प्रधानमंत्री को ऐसी हरकतों की तीखी आलोचना करनी चाहिए। बेहतर होता कि नरेंद्र मोदी मंच से ही हुड्डा या सोरेन का अपमान करने वालों को फटकार लगाते, मगर उनकी चुप्पी से लोगों को यही लगा कि भाजपा का पुराना चुनावी गिरोह अब नई भूमिका में सक्रिय हो गया है, मगर इससे खुद प्रधानमंत्री की छवि ही मलिन होगी। दूसरी तरफ, कुछ मुख्यमंत्रियों का यह कहना कि वह प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा नहीं करेंगे, प्रधानमंत्री पद की गरिमा को चोट पहुंचाने वाली बात है। ऐसे मुख्यमंत्रियों और नेताओं से हम अनुरोध करना चाहेंगे कि बड़ी कुर्बानियां देकर हमारे पुरखों ने देशवासियों के लिए जम्हूरियत को हासिल किया और सींचा है, इसे गंदी राजनीति का शिकार न बनाएं।
धर्मेंद्र तिवारी, पलवल, हरियाणा     

अनंतमूर्ति के विरोधी

वह एक भरपूर उम्र जीकर गए हैं, अपनी रचनाओं के जरिये वह समाज को दिशा देकर भी विदा हुए, इसलिए उनका जीवन देश-दुनिया के लिए सार्थक रहा। यू आर अनंतमूर्ति की मृत्यु के बाद जिस तरह की संवेदना पूरे देश में व्यक्त की गई, वह सचमुच मुतमईन करने वाली है कि आप साहस के साथ एक उसूल के साथ खड़े हो सकते हैं। विरोध होता है और होगा, मगर महत्वपूर्ण बात यह है कि हम उस विरोध के आगे कितनी प्रतिबद्धता के साथ खड़े रह पाते हैं। अनंतमूर्ति के जीवन के पहलुओं पर इन दिनों खूब लिखा और छापा गया है। उनके विरोधियों को भी उसे पढ़ना चाहिए। आप किसी को खंडित करना चाहते हैं, तो सबसे पहले उसके तर्क को बेहतर तरीके से आपको समझना पड़ता है। तमाम बड़े विद्वानों और दार्शनिकों ने यही तो किया है। निस्संदेह, अनंतमूर्ति भी उनमें से एक थे। लेकिन विरोध जब विवेकहीन हो जाए, तो वह विरोधी की मौत पर मिठाई बांटने में आकार लेता है। विडंबना देखिए, मरना सबको है और मरने के बाद के सनातन ‘संस्कार’ में मिठाई सभी खाते हैं।
साक्षी सिंह, नेहरू विहार, दिल्ली-54

भाजपा का असली चेहरा

एक ईमानदार आईएफएस अधिकारी को एम्स के चीफ विजिलेंस के पद से हटाना, करप्शन के खिलाफ भाजपा की कथनी और करनी का अंतर साफ-साफ दिखाता है। कुछ नेता समझते हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ न्यूज चैनलों में बोलना ही उसके खिलाफ असली लड़ाई है। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने संबंधित अधिकारी के साथ जैसा व्यवहार किया, वह हर दृष्टि से अनुचित तो है ही, साथ ही एक संदेश भी देता है कि ईमानदारी और निर्भीकता के साथ काम करने वाले ऑफिसर नापे जाएंगे। संजीव चतुर्वेदी के काम का अब तक का आकलन दुनिया के सामने है। इनके नाम से एम्स में भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों की रूह कांप उठती थी। ऐसे अधिकारियों के साथ ऐसा व्यवहार सचमुच शर्मनाक है।
आमोद शास्त्री, मदनपुर खादर, दिल्ली

आनंद विहार में अव्यवस्था

आनंद विहार बस अड्डे से रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते-जाते हैं। लेकिन आजकल इस बस अड्डे पर अव्यवस्था का आलम छाया हुआ है। बसें आनंद विहार बस स्टैंड पर न रुककर वहां रुकती हैं, जहां से बसें बाहर निकलती हैं। इससे यात्री असमंजस में पड़ जाते हैं कि बस स्टैंड पर रुकें या वहां, जहां से बसें बाहर निकलती हैं? बसों की ऐसी अव्यवस्था के कारण जाम लगने की आशंका भी बढ़ जाती है। दिल्ली सरकार को इस बस अड्डे की व्यवस्था बेहतर बनानी चाहिए। यात्रियों की सुविधा के लिए तो यह जरूरी है ही, इस अव्यवस्था से राज्य प्रशासन की छवि भी खराब हो रही है।
मीना, दिल्ली
meenaprajapatireena@gmail.com

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