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गंगा के साथ अन्याय

गंगा नदी पिछले कुछ साल में काफी प्रदूषित हुई है। इसे साफ करने की सारी सरकारी योजनाएं अब तक नाकाम हो चुकी हैं। मोदी सरकार ने गंगा की सफाई को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा देकर इसकी सफाई को एक जन-आंदोलन...

गंगा के साथ अन्याय
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 07 Sep 2014 07:13 PM
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गंगा नदी पिछले कुछ साल में काफी प्रदूषित हुई है। इसे साफ करने की सारी सरकारी योजनाएं अब तक नाकाम हो चुकी हैं। मोदी सरकार ने गंगा की सफाई को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा देकर इसकी सफाई को एक जन-आंदोलन बनाने का भरोसा दिया था। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर गंगा की सफाई के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी भी दी। इसके लिए शुरुआती तौर पर फंड भी जारी किया गया। हालांकि, इसके बाद तक गंगा की सफाई के काम में तेजी नहीं आई है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि अगर गंगा की सफाई की योजना इसी तरह चली, तो गंगा 200 साल में भी साफ नहीं हो सकती। सचमुच गंगा नदी हमसे सवाल कर रही है कि आखिर मेरा दोष क्या है? मैं तो जीवनदायिनी हूं, फिर क्यों मैं विनाश के कगार पर हूं? मेरे साथ यह अन्याय क्यों हो रहा है? गंगा के सवाल और उसके दर्द को जानने-समझने की जरूरत है।
सुभाष बुड़ावन वाला, खाचरौद, मध्य प्रदेश
sbudawanwala@yahoo.com

प्रधानमंत्री का संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षक दिवस के मौके पर देश के नौनिहालों और शिक्षकों को संबोधित कर इस दिवस की महत्ता और सार्थकता सिद्ध की है। इस अनूठे प्रयास से देश के बच्चों में यह संदेश गया है कि जब एक चाय बेचने वाला देश का प्रधानमंत्री बन सकता है, तो हम भी मेहनत कर कामयाबी को अपनी मुट्ठी में कर सकते हैं। उन्होंने अपने भाषण में कई अच्छी बातें बताईं। मेरी राय में प्रधानमंत्री का यह रचनात्मक प्रयास लगभग हर माह होना चाहिए। उन्होंने बच्चों को संबोधित कर उनके अंदर उम्मीद का जो भाव भरा है, उसे खत्म नहीं होने देना चाहिए। दूसरी तरफ, छात्रों से भी यह उम्मीद जरूरी है कि वे प्रधानमंत्री के संदेश से सबक लें और अपने-अपने क्षेत्र में अव्वल साबित हों।
सुधीर कुमार, बीएचयू, वाराणसी
sudhir2jnv@yahoo.com

सरकार के सौ दिन

मोदी सरकार ने अपने सौ दिन पूरे कर लिए हैं। इन सौ दिनों में मोदी सरकार ने सबसे अहम उपलब्धि यह हासिल की है कि आम आदमी को लग रहा है कि कोई सरकार है, जो काम कर रही है, जिसका प्रधानमंत्री रोज कुछ नए विचार के साथ जनता के लिए कुछ कर रहा है या करता हुआ प्रतीत हो रहा है। मोदी सरकार ने अपने विरोधियों और समर्थकों, दोनों को शांत रहने का संदेश तो पिछले 100 दिनों में जरूर दे दिया है। वैसे, सौ दिन किसी भी सरकार के कामकाज का आकलन करने के लिए काफी कम होते हैं। फिर भी कई सारे काम इस सरकार को जल्द से जल्द करने होंगे। महंगाई और भ्रष्टाचार रोकने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। इन दो समस्याओं को दूर करने के बाद ही अच्छे दिन आएंगे, यह बात स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बखूबी समझते हैं।
दिलीप सिंह, दिल्ली
westtola@gmail.com

युवाओं को मौका मिले

देश की एक बड़ी आबादी के पास नौकरी नहीं है। दुखद यह है कि यह बड़ी आबादी उन नौजवानों की है, जिनके कंधे पर किसी देश का भविष्य होता है। केंद्र सरकार के लिए यह चिंतन का विषय होना चाहिए कि कैसे इस बड़ी कार्य-शक्ति वाली आबादी से काम लिया जाए। यह तो साफ है कि देश में सरकारी नौकरियां ज्यादा नहीं हैं और ये ज्यादा उत्पन्न भी नहीं की जा सकती हैं। पर जो कुछ हो सकता है, वह तो किया जाना चाहिए। ऐसे में, एक रास्ता यह हो सकता है कि स्वरोजगार के नए-नए विकल्प तैयार किए जाएं। युवाओं को हुनरमंद बनाकर और उन्हें थोड़ी पूंजी देकर रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है। सहकारी क्षेत्रों में नौकरियां उपलब्ध कराई जा सकती हैं। इसके लिए सरकार को रोजगारोन्मुखी योजनाएं बनानी होंगी। नई राजग सरकार से युवाओं को बड़ी आशा है।
देवेंद्र सैनी, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
devendrasaini2080@gmail.com

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