फोटो गैलरी

Hindi Newsएक और फर्जीवाड़ा

एक और फर्जीवाड़ा

कई वर्ष पूर्व यह खुलासा हुआ था कि दिल्ली नगर निगम में 25 -30 हजार फर्जी कर्मचारियों के नाम पर वेतन भुगतान किए गए। हजारों करोड़ रुपये के उस फर्जीवाड़े की जांच और उस पर कार्रवाई का अभी तक कोई अता-पता...

एक और फर्जीवाड़ा
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 21 Jul 2014 08:52 PM
ऐप पर पढ़ें

कई वर्ष पूर्व यह खुलासा हुआ था कि दिल्ली नगर निगम में 25 -30 हजार फर्जी कर्मचारियों के नाम पर वेतन भुगतान किए गए। हजारों करोड़ रुपये के उस फर्जीवाड़े की जांच और उस पर कार्रवाई का अभी तक कोई अता-पता नहीं है। और अब फिर सुनने को मिल रहा है कि दक्षिण दिल्ली नगर निगम में 46 कर्मचारियों के स्थान पर 55 कर्मचारियों को वेतन बंटता रहा। यानी नौ फर्जी कर्मचारियों का अधिक वेतन बन रहा था। इसमें बायोमिट्रिक सिस्टम की भी बुरी तरह धज्जियां उड़ाई जाती रहीं। वैसे तो एमसीडी में कांग्रेस और भाजपा, दोनों की सत्ता रही है, मगर पिछले कई वर्षों से भाजपा एमसीडी में काबिज है। इन दोनों पार्टियों की नाक के नीचे यह सब होने से ये दोनों दोषी हैं। उप-राज्यपाल को भ्रष्टाचार के इस मामले में गंभीर कदम उठाना चाहिए।
वेद मामूरपुर , नरेला

दुष्कर्मी से रियायत क्यों

महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार और बलात्कार की संख्या में जिस गति से बढ़ोतरी हुई है, उसे देखते हुए स्त्रियां किसी भी स्थान पर स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं कर सकतीं। एक ओर नारी सशक्तीकरण की बात की जाती है और दूसरी तरफ, नारियों पर हो रहे अत्याचार को रोक पाने में सरकारें नाकाम नजर आ रही हैं। आखिर कब तक यह सब सहन करना पड़ेगा? बलात्कार के दोषियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई ही इस समस्या का प्रथम समाधान है। चाहे किशोर हों या युवा, यदि वे रेप जैसे जघन्य अपराध को अंजाम देते हैं, तो उनके लिए आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक की सजा ही सुनिश्चित की जानी चाहिए।
विकास मिश्र, खुटार, शाहजहांपुर

दो दिग्गजों की अंतिम विदाई

पिछले दिनों दो अजीम हस्तियों की रुखसती से जो खालीपन पैदा हुआ, उसकी भरपायी मुमकिन नहीं है। एक, प्रसिद्ध हास्य कवि हुल्लड़ मुरादाबादी की हास्य कविताओं का कोई तोड़ नहीं है। जीवन के विभिन्न पहलुओं को केंद्र में रखकर मुरादाबादी गंभीर बातों को इतने सरल और रोचक अंदाज में प्रस्तुत कर देते थे कि श्रोताओं के चेहरे पर मुस्कान अनायास चली आती थी। हुल्लड़ मुरादाबादी के दो-तीन रोज पहले ही मशहूर अदाकारा जोहरा सहगल हमें अलविदा कह गईं। उनका मुस्कराता चेहरा दर्शकों के मन पर हमेशा छाया रहेगा। खास बात यह है कि ये दोनों ही शख्सियतें पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखती थीं। मनोरंजन और कला क्षेत्र की इन दो प्रतिभाओं के अमूल्य योगदान को देश के लोग वर्षों तक याद रखेंगे। उनके लिए दिल से बस यही निकलेगा कि ‘तुमको न भूल पाएंगे।’
सचिन कुमार कश्यप, शामली
sachinkumar8778@gmail.com

दोषी कौन 

एक जमाने में कई हिंदी मासिक पत्रिकाएं सामान्य घरों में खूब पढ़ी जाती थीं, लेकिन जब से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भारत में आया, तब से ही हिंदी पत्रिकाओं की लोकप्रियता घटने लगी, अब तो लगभग खत्म-सी हो गई है। मनोरंजन के नाम पर जितने भी सीरियल चलते हैं, उनमें केवल निराशाजनक, व्यंग्यात्मक और घृणित पटकथाएं ही दर्शकों को परोसी जाती हैं, जिनका समाज पर केवल नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। समाचार पत्रों को पढ़ने से तो यही ज्ञात होता है कि समाज में कहीं भी कुछ अच्छा काम हो ही नहीं रहा है, क्योंकि पहले पन्ने से लेकर अंतिम पेज तक केवल अपराध को स्थान मिलता है। न्यूज चैनलों पर भी भिन्न-भिन्न विज्ञापनों में नग्नता परोसी जा रही है। अगर भारत की वास्तविक सामाजिक स्थिति को देखें, तो भारतीयों को पढ़ने-सुनने-देखने के लिए कोई सकारात्मक और ज्ञानवर्धक संतुलित सामग्री उपलब्ध ही नहीं है, यहां तक कि हास्य कार्यक्रमों में भी फूहड़ता और नग्नता को प्राथमिकता मिलती है। यही कारण है कि भारत में अब अपराध उद्योग बनते जा रहे हैं और अपराधों में जघन्यता बढ़ती जा रही है। इसलिए यह सवाल मौजूं है कि आखिर इसके लिए दोषी कौन है? कोई एक या पूरा का पूरा समाज? 
रामानंदी अग्रवाल, सिविल लाइन्स, बिजनौर

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें
अगला लेख पढ़ें