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शुभ हो दीपावली

हमारे मन का अंधियारा सच्चे, पक्के और अच्छे इरादों से ही दूर होगा। इन इरादों को अपने मन में जगह देने के लिए दीपावली से बेहतर त्योहार और क्या हो सकता है? लेकिन हमारे नेक इरादे क्या हों? जाहिर है कि हम...

शुभ हो दीपावली
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 22 Oct 2014 09:38 PM
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हमारे मन का अंधियारा सच्चे, पक्के और अच्छे इरादों से ही दूर होगा। इन इरादों को अपने मन में जगह देने के लिए दीपावली से बेहतर त्योहार और क्या हो सकता है? लेकिन हमारे नेक इरादे क्या हों? जाहिर है कि हम बुराइयों को दूर भगाएं और अच्छाइयों को अपनाएं। हम सभी तरह की समृद्धि की ओर बढ़ें। शिक्षा से लेकर खेल-कूद तक में अपना नाम रोशन करें। अपने बच्चों को सुरक्षित भारत और भविष्य दें। बुजुर्गों को मान-सम्मान और आरामदेह जीवन दें। गरीबी उन्मूलन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ें। सामाजिक बुराइयों, जैसे  दहेज-प्रथा, बाल-मजदूरी, लड़कियों के साथ भेदभाव वगैरह को जड़ से खत्म करें। देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें। निश्चित तौर पर यह सब एक दिन में नहीं होगा। और यह भी सच है कि कोई इसे एक दिन में पूरे करने की अपेक्षा भी नहीं करता। लेकिन हम शुरुआत तो कर ही सकते हैं और जिन क्षेत्रों में आगे बढ़ चुके हैं, उनमें अगली मंजिलें निर्धारित की जा सकती हैं।
सुबोध वर्मा, कविनगर, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

चुनाव के नतीजे
हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा का सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आना इस बात को बतलाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रभाव पूरे भारत में बना हुआ है। ऐसे में, इन राज्यों के लिए यह बदलाव का जनादेश है। कई मायनों में चुनाव के नतीजे लीक तोड़ने वाले रहे हैं। मतदाताओं ने यह भी बता दिया है कि आम जनता की अनदेखी करके कोई राजनीतिक पार्टी सत्ता में नहीं पहुंच सकती। दरअसल, भाजपा ने राज्य के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। हरियाणा का चुनावी नतीजा उन वंशवादी राजनीतिक पार्टियों के लिए गंभीर चेतावनी भी है, जो जातिवाद और क्षेत्रवाद का सहारा लेती रही हैं। महाराष्ट्र का नतीजा यह बताता है कि शिवसेना का अहंकार और गलत महत्वाकांक्षा उसके धूल-धूसरित होने का कारण है।
नवीनचंद्र तिवारी, रोहिणी, दिल्ली

बधाई हो अमृता
गुदड़ी में भी लाल पलते हैं। इसकी ताजातरीन मिसाल पेश की है गुड़गांव के सब्जी विक्रेता की बेटी अमृता ने, जिसे बांग्लादेश में हो रही एशियन फुटबॉल चैंपियनशिप में अंडर-16 टीम का कप्तान बनाया गया है। गरीबी में पली अमृता ने अपनी अद्भुत खेल-प्रतिभा का परिचय देकर साबित कर दिया है कि जहां चाह होती है, वहां राह खुद-ब-खुद निकल आती है। संसाधनों के अभाव में जी रही प्रतिभाओं को अगर सही दिशा में प्रेरित किया जाए, तो उनसे कल के स्टार निकल सकते हैं। गुरबत में पल रहे बच्चों की मासूम आंखों में भी कुछ कर गुजरने के सपने होते हैं। मगर तंगहाली और सुविधाओं के अभाव में उनके सपने आंखों में ही टूट जाते हैं। निस्संदेह, अमृता की यह कामयाबी उस जैसी और अनेक लड़कियों का मार्गदर्शन करेगी।
सचिन कुमार कश्यप, शामली, उत्तर प्रदेश

मुद्दे कौन से अहम
केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनते ही एक बार फिर राम मंदिर का मुद्दा जोर पकड़ चुका है। आज के भूमंडलीकरणके युग में एक राजनीतिक पार्टी विशेष द्वारा बार-बार जन-भावनाओं को कुरेदना कितना उचित है? सवाल यह भी है कि राम मंदिर ही क्यों? चीजें तो और भी हैं बनाने के लिए। हमारे देश में हजारों स्कूलों की जरूरत है, क्या वे नहीं बनने चाहिए? हमारे देश की सड़कें दुनिया की बेकार सड़कों में गिनी जाती हैं, क्या वे नहीं बननी चाहिए? देश भर में आपराधिक घटनाएं घट रही हैं, क्या नए पुलिस थाने नहीं बनने चाहिए? देश के कई भाग आज भी रेलवे की सुविधा से वंचित हैं, क्या देश के हर कोने तक रेलवे लाइन नहीं बननी और बिछनी चाहिए? अब फैसला देश की जनता को करना है कि वह राम मंदिर के लिए आगे आती है या फिर ऐसे मुद्दों को नकारकर देश, समाज और अपने विकास को तवज्जो देती है।
कुंदन सिंह ‘संगम’, ढक्का, अमरोहा

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