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सितंबर तक पूरा होगा मलूटी के 20 मंदिरों का काम

मलूटी में मंदिरों केसौंदर्यीकरण का काम तेज किया गया है। सितंबर तक 20 मंदिरों का संरक्षण एवं जीर्णोद्धार का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। करीब सात करोड़ की राशि से मंदिरों के संरक्षण और...

 सितंबर तक पूरा होगा मलूटी के 20 मंदिरों का काम
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 27 Mar 2017 01:40 AM
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मलूटी में मंदिरों केसौंदर्यीकरण का काम तेज किया गया है। सितंबर तक 20 मंदिरों का संरक्षण एवं जीर्णोद्धार का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। करीब सात करोड़ की राशि से मंदिरों के संरक्षण और जीर्णोद्धार का काम दो अक्टूबर 2015 से शुरू किया गया था। यह काम इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हेरिटेज एण्ड डेवलपमेंट (आईटीआरएचडी) को मिला है।चार मंदिरों का काम होने के बाद स्थानीय ग्रामीणों के विरोध और आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा की जा रही जांच के बाद बंद कर दिया गया था। इस मामले में क्लीन चिट मिलने के बाद इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हेरिटेज एण्ड डेवलपमेंट (आईटीआरएचडी) ने एक बार फिर से मलूटी के शेष मंदिरों के संरक्षण का काम शुरू कर दिया गया। रविवार को ट्रस्ट के अध्यक्ष एसके मिश्रा मलूटी पहुंच कर चल रहे कार्यों का जायजा लिया। एसके मिश्रा पूर्व प्रधानमंत्री के पूर्व सचिव रह चुके हैं। उनके साथ नई दिल्ली से प्रख्यात संरक्षण वास्तुविद् प्रो.एजीके मेनन भी मलूटी पहुंचे थे। श्री मेनन ने मलूटी के टेराकोटा आर्ट से संबंधित कई तकनीकी सुझाव दिया है। इस मौके पर राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में डिप्टी डायरेक्टर आर्केलॉजी डॉ.अमिताभ कुमार और इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हेरिटेज एण्ड डेवलपमेंट के झारखंड हेड एसडी सिंह भी मौजूद थे। इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हेरिटेज एण्ड डेवलपमेंट के झारखंड हेड एसडी सिंह ने बताया कि मलूटी में अभी 15 मंदिरों के संरक्षण और जीर्णोद्धार का काम चल रहा है जिनमें करीब 8 मदिंरों का काम लगभग पूरा हो चुका है। पहला चरण में 20 मंदिरों के सरक्षण का काम होना है जिसे सितंबर तक पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि सभी 62 मंदिरों का संरक्षण और जीर्णोद्धार का काम होना है। एसडी सिंह ने बताया कि चेयरमैन ने यहां चल रहे कार्यों पर संतोष व्यक्त किया है। इधर मलूटी गांव के ग्रामीणों के साथ इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हेरिटेज एण्ड डेवलपमेंट के अधिकारियों की बैठक हुए बगैर मलूटी के मंदिरों का संरक्षण कार्य दोबारा शुरू कर दिए जाने पर स्थानीय लोगों में असंतोष है। जिन लोगों ने संरक्षण के दौरान मंदिरों के मूल स्वरूप को नष्ट करने का इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हेरिटेज एण्ड डेवलपमेंट पर आरोप लगाया था वे आज भी अपने स्टैंड पर कायम हैं। स्थानीय ग्रामीणों को विश्वास में नहीं लिया गया तो दोबारा लोग गोलबंद हो सकते हैं।

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