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Hindi Newsअक्षय तृतीया पर शुभंकरपुर स्थित बद्रीनाथ मंदिर का पट खुलते ही उमड़े श्रद्धालु

अक्षय तृतीया पर शुभंकरपुर स्थित बद्रीनाथ मंदिर का पट खुलते ही उमड़े श्रद्धालु

शहर के शुभंकरपुर स्थित बद्री नारायण मंदिर का पट शनिार को तड़के अक्षय तृतीया को सार्वजनिक दर्शन के लिए खुलते ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भक्तों द्वारा बद्री विशाल की जय-जयकार से परिसर गूंज उठा।...

अक्षय तृतीया पर  शुभंकरपुर स्थित बद्रीनाथ मंदिर का पट खुलते ही उमड़े श्रद्धालु
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 30 Apr 2017 01:12 AM
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शहर के शुभंकरपुर स्थित बद्री नारायण मंदिर का पट शनिार को तड़के अक्षय तृतीया को सार्वजनिक दर्शन के लिए खुलते ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भक्तों द्वारा बद्री विशाल की जय-जयकार से परिसर गूंज उठा। बैशाख शुक्ल तृतीया को मंदिर का पट सुबह चार बजे आरती के साथ खुला और रात्रि दस बजे अंतिम आरती के साथ पट बंद हो गया। मंदिर के पुजारी रामअवतार शर्मा के अनुसार भगवान की पूजा प्रतिदिन होती है लेकिन तृतीया के दिन सार्वजनिक रूप से पट खोला जाता है। भक्तों ने भगवान बद्रीनारायण की पूजा-अर्चना की और सुख-शांति की कामना की। सुबह चार बजे से 7 बजे तक अपार भीड़ रही, जिसे रोकना कठिन रहा। इसके बाद महिला पुलिस के आने पर कतार लगाने पर सभी को राहत मिली। भक्तों द्वारा फूल, बेल, पानी में फुलाया चना, मिश्री, मेवा, खीरा, ककड़ी, केला, हाथ पंखा, जल भगवान बद्रीनारायण को चढ़ाया गया। पुजारी की ओर से भी भक्तों के बीच प्रसाद सुबह से शाम तक वितरण किया जाता रहा। प्रतिमा में बद्री नारायण, नर-नारायण, गणेश, गरूर, नारद सहित कई देवताओं की प्रतिमा फूलों से सजाये गये थे। मंदिर की भी अच्छी सजावट की गई थी। मान्यता: मान्यता है कि चारो धाम में से उत्तराखंड के बद्रीनाथ का दर्शन करने के बराबर ही यहां आने वाले भक्तों को पुण्य मिलता है। कुछ लोग इस दिन व्रत भी करते हैं। इस दिन बिना परामर्श के ही कार्य सफल हो जाता है। नया मंदिर निर्माणाधीन:इसी मंदिर के निकट में एक विशाल नया मंदिर का निर्माण शुरू है जो दो-तीन दिनों में बनकर तैयार हो जायेगा। सेवैत श्री शर्मा नेबताया कि नये मंदिर का स्वरुप बड़ा होने से भक्तों को होनेवाली परेशानी नहीं होगी। बिहार का यह अकेला मंदिर है। 86साल पुराना है यह मंदिर: सेवैत श्री शर्मा और महावीर शर्मा मिलकर भगवान की सेवा प्रतिदिन करते हैं। इसका कहना है कि उनके पूर्वजों ने 1931 में भगवान की स्थापना की। स्व. गंगाधर रामअवतार शर्मा उसी समय से भगवान की सेवा में लगे रहते हैं। दिनभर रहता है मेला: अक्षय तृतीय के दिन तड़के से ही प्रसाद में लड्डू, मिश्री, केला, खीरा, बेल, फूल, सिंदूर, बिंदी, सहित अन्य तरह की सामानों की दुकानें लगी रहती है। बच्चों के लिए खिलौना के साथ ही अन्य तरह की सामानों की बिक्री होती रही।

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