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अपने अपने पिज्जा

पत्नी: आज धोने के लिए कपड़े ज्यादा मत निकालना.. पति: क्यों? पत्नी: अपनी कामवाली बाई दो दिन नहीं आएगी..कह रही थी, त्योहार है, नाती से मिलने बेटी के यहां जा रही है.. पति: ठीक है, अधिक कपड़े नहीं...

अपने अपने पिज्जा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 14 Sep 2014 07:30 PM
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पत्नी: आज धोने के लिए कपड़े ज्यादा मत निकालना..
पति: क्यों?
पत्नी: अपनी कामवाली बाई दो दिन नहीं आएगी..कह रही थी, त्योहार है, नाती से मिलने बेटी के यहां जा रही है..
पति: ठीक है, अधिक कपड़े नहीं निकालता..
पत्नी: उसे पांच सौ रुपये दे दूं क्या, त्योहार का बोनस..
पति: क्यों, अभी दिवाली आ रही है, तब दे देंगे..
पत्नी: अरे नहीं बाबा, गरीब है बेचारी, बेटी के यहां जा रही है तो उसे भी अच्छा लगेगा। इस महंगाई के दौर में अपनी पगार से त्योहार कैसे मनाएगी बेचारी।
पति: तुम भी ना.. जरूरत से ज्यादा भावुक हो जाती हो..
पत्नी: अरे नहीं..चिंता मत करो..मैं आज का पिज्जा खाने का कार्यक्रम रद्द कर देती हूं..खामख्वाह पांच सौ रुपये उड़ जाएंगे, बासी पाव के आठ टुकड़ों के लिए..
पति: वाह, वाह..क्या कहने। हमारे मुंह से पिज्जा छीनकर बाई की थाली में?
तीन दिन बाद.. पोंछा लगाती हुई कामवाली बाई से पति ने पूछा..क्या बाई? कैसी रही छुट्टी?
बाई: बहुत बढ़िया रही साहब..दीदी ने पांच सौ रुपये दिए थे ना.. त्योहार का बोनस..
साहब: तो जा आई बेटी के यहां..मिल ली नाती से..?
बाई: हां साहब..मजा आया, दो दिन में पांच सौ रुपये खर्च कर दिए..
नाती के लिए 150 रुपये की शर्ट, 50 रुपये की गुड़िया, बेटी को 50 रुपये पेड़े के लिए, 50 रुपये का मंदिर में प्रसाद चढ़ाया, 60 रुपये का किराया लगा और 25 रुपये की चूड़ियां बेटी के लिए और जमाई के लिए 50 रुपये का बेल्ट लिया अच्छा सा..बचे हुए 75 रुपये नाती को दे दिए कॉपी-पेंसिल खरीदने के लिए..

झाड़ू-पोंछा करते हुए पूरा हिसाब उसकी जबान पर रटा हुआ था। 500 रुपये में इतना कुछ? साहब आश्चर्य से विचार करने लगा। उसकी आंखों के सामने आठ टुकड़े किया हुआ पिज्जा घूमने लगा, एक-एक टुकड़ा उसके दिमाग में हथौड़ा मारने लगा. अपने एक पिज्जा के खर्च की तुलना वह कामवाली बाई के त्योहारी खर्च से करने लगा। आठ टुकड़े, आठ खुशियां. आज तक उसने पिज्जो की एक ही बाजू देखी थी, कभी पलटकर नहीं देखा था कि पिज्जा पीछे से कैसा दिखता है.. लेकिन कामवाली बाई ने पिज्जो की दूसरी बाजू दिखा दी थी। जीवन के लिए खर्च या खर्च के लिए जीवन, यह अर्थ उसे समझ आ गया था।

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