रेल बजट पर हावी रहा विजन
त्वरित टिप्पणी रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने पेश तो रेल बजट किया है लेकिन यह बजट कम और विजन ज्यादा प्रतीत होता है। फिर भी इसे एक अच्छे प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए। बजट के साथ विजन पेश करने की...
त्वरित टिप्पणी
रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने पेश तो रेल बजट किया है लेकिन यह बजट कम और विजन ज्यादा प्रतीत होता है। फिर भी इसे एक अच्छे प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए। बजट के साथ विजन पेश करने की मनाही नहीं है, लेकिन इसे कुछ और बेहतर किया जा सकता था।
रेल मंत्री इसमें कुछ स्पष्टता ला सकते थे। नई ट्रेन, नई परियोजनाओं की घोषणा करने से सरकार बची है। अच्छा ही है कि तात्कालिक लोकप्रियता हासिल करने से तो बेहतर है कि सरकार पहले ठोस बुनियाद तैयार करे। इसलिए यह भी ठीक है। लेकिन संसाधन जुटाने के लिए कुछ उपाय कर सकते थे। यात्री किराये में थोड़ी बढ़ोतरी करने से सरकार को घबराने की जरूरत नहीं थी। आजकल लोग इतना अर्थशास्त्र समझते हैं।
दूसरे, रेलवे के राजस्व का मुख्य जरिया मालभाड़ा होता है। लेकिन मालभाड़े में जरूरत के मुताबिक बढ़ोतरी नहीं की गई है। मेरा मानना है कि मालभाड़े की वृद्धि दर को बढ़ाए जाने की जरूरत है, क्योंकि रेलवे को अपना बाजार हिस्सेदारी बढ़ाना है।
दरअसल, काफी समय से मालभाड़े से होने वाली आय की वृद्धि दर साढ़े चार फीसदी के आसपास स्थिर है। इसे 1कम से कम आठ फीसदी तक ले जाने की जरूरत है। यूरिया आदि जरूरी सामानों के भाड़े को छोड़कर बाकी वस्तुओं के भाड़े में बढ़ोतरी करके इस वृद्धि को और बढ़ाया जा सकता था।
बजट को लेकर दो बातों में स्पष्टता नहीं आ रही है। यह ठीक है कि सरकार ने नई रेल परियोजनाओं को मंजूरी नहीं दी है, लेकिन पहले से लंबित साढ़े तीन सौ परियोजनाओं के लिए आवंटन बढ़ाने का ऐलान भी रेलमंत्री ने नहीं किया है। इसलिए क्या गारंटी है कि लंबित परियोजनाओं को जल्द पूरा किया जाएगा? इस बाबत स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। नई ट्रेनें बिल्कुल शुरू नहीं करना भी समझ से परे है। यह ठीक है कि सबकुछ राजनीतिक वाहवाही के लिए नहीं होना चाहिए। लेकिन रेलवे की फैक्टरियों में हर साल साढ़े तीन सौ डिब्बे बनकर तैयार होते हैं। जो नई ट्रेनों में चलते खप जाते थे। रेलमंत्री ने लाइन क्षमता की समीक्षा की बात कही है। यह समीक्षा पहले भी हो सकती थी।
इस बार के बजट में घोषित की गई नई तकनीकों और वाई-फाई जैसी योजानाएं आकर्षक हैं। ये आज के वक्त की जरूरत भी हैं। यही कह सकते हैं रेलवे वक्त के साथ चल रहा है। उम्मीद है कि आने वाले समय में इसमें और सुधार होंगे और यात्रियों का सफर पहले के मुकाबले काफी आरामदायक होगा।
(विशेष संवाददाता से बातचीत पर आधारित)