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जम्मू-कश्मीर: धारा-370 और आफ्सपा पर भाजपा और पीडीपी में गतिरोध

जम्मू कश्मीर में सरकार के गठन पर आज पांचवें दिन भी गतिरोध बने रहने के बीच पीडीपी ने भाजपा से अनुच्छेद 370 की सुरक्षा किए जाने और आफ्सपा को हटाए जाने जैसे अपने प्रमुख मुद्दों पर आश्वासन...

जम्मू-कश्मीर: धारा-370 और आफ्सपा पर भाजपा और पीडीपी में गतिरोध
एजेंसीSat, 27 Dec 2014 10:14 PM
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जम्मू कश्मीर में सरकार के गठन पर आज पांचवें दिन भी गतिरोध बने रहने के बीच पीडीपी ने भाजपा से अनुच्छेद 370 की सुरक्षा किए जाने और आफ्सपा को हटाए जाने जैसे अपने प्रमुख मुद्दों पर आश्वासन मांगा।
   
पीडीपी के प्रवक्ता नईम अख्तर ने कहा, सभी विकल्प अब भी खुले हैं, राज्य में किसी अन्य दल के साथ मिलकर सरकार बनाने को लेकर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि पीडीपी, जो विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, सरकार के गठन के लिए भाजपा के साथ गठबंधन सहित अपने सभी विकल्पों पर चर्चा कर रही है।
   
अख्तर ने कहा, कुछ खास मुद्दे हैं जो हमारे कोर एजेंडे में हैं और इन पर आश्वासन की आवश्यकता है कि ये हमारे संभावित गठबंधन सहयोगी, यह कोई भी पार्टी हो सकती है, द्वारा स्वीकार किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 की सुरक्षा पर पार्टी के रुख के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
   
अख्तर ने कहा कि पार्टी राज्य से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को हटाए जाने और कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए राजनीतिक प्रक्रिया शुरू किए जाने जैसे अपने मुद्दों पर कटिबद्ध है। यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी भविष्य के किसी गठबंधन सहयोगी के साथ बारी-बारी से मुख्यमंत्री की मांग पर विचार करेगी, पीडीपी प्रवक्ता ने कहा कि अभी तक किसी भी दल के साथ बातचीत उस चरण तक नहीं पहुंची है।
   
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भी पीडीपी को सरकार गठन के लिए प्रस्ताव दिया है, जिस पर उनकी पार्टी विचार कर रही है। सरकार गठन के लिए पीडीपी को बिना शर्त समर्थन की नेशनल कॉन्फ्रेंस की पेशकश के बारे में अख्तर ने कहा कि उनकी पार्टी को अपनी धुर प्रतिद्वंद्वी की तरफ से अब तक ऐसा कोई संदेश नहीं मिला है।
   
उन्होंने कहा, जब भी कोई ऐसी पेशकश आएगी, हम इस पर निश्चित रूप से चर्चा करेंगे और भविष्य के कदम पर फैसला करेंगे। नेशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कल कहा था कि उनकी पार्टी ने एक मध्यस्थ के जरिए केवल मौखिक पेशकश की थी।
   
पीडीपी नेतृत्व के समक्ष न उगले बने, न निगले बने जैसी स्थिति है। पार्टी के भीतर कुछ प्रभावशाली नेता इस आधार पर भाजपा के साथ गठबंधन का जबर्दस्त विरोध कर रहे हैं कि इस तरह की भागीदारी से हालिया समय में पार्टी को मिला लाभ उलट सकता है।

पीडीपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि 25 सीटें लेकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी भाजपा के साथ गठबंधन करना क्षेत्रीय पार्टी के लिए आत्मघाती होगा।
    
उन्होंने कहा कि सुशासन और विकास के लिए लोगों की एक सार्वभौमिक इच्छा होती है, लेकिन कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में लोग आपके मित्रों को भी उत्सुक्ता से देखते हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के हास के कारणों में से एक यह रहा कि वह केंद्र में जिसकी सरकार होती है, उसीके साथ चली जाती है।
   
नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास 15 सीटें हैं और वह सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। भाजपा के साथ गठबंधन की बातचीत होने की रिपोर्ट आम होने पर कुछ विधायकों के खुलेआम असंतोष जताए जाने के बाद वह दौड़ से हट गई।
   
चुनाव परिणामों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। जम्मू-कश्मीर की 87 सदस्यीय विधानसभा में 12 विधायकों वाली कांग्रेस न तो सरकार बनाने की स्थिति में है और न ही 44 के आंकड़ों को पार करने के लिए वह सरकार के गठन में पीडीपी या नेशनल कॉन्फ्रेंस की मदद करने योग्य है।
   
कांग्रेस प्रवक्ता सलमान निजामी ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी भाजपा को राज्य में सत्ता में आने से रोकने के लिए पीडीपी और छह निर्दलीय विधायकों के संपर्क में है। राज्य के राज्यपाल एनएन वोहरा ने सरकार गठन पर विचार के लिए पीडीपी और भाजपा को चर्चा के लिए अलग-अलग बुलाया है।
   
राजभवन सूत्रों ने कहा था, राज्यपाल ने पार्टियों से राज्य में सरकार के गठन से संबंधित घटनाक्रम पर उन्हें सूचना देने के लिए कहा है। सभी की नजरें राज्य में सरकार गठन को लेकर पीडीपी पर टिकी हैं कि वह क्या फैसला करती है।

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