गुमनामी में जी रहे बापू के सहयोगी विश्वनाथ नायक
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर आज सरकार कई संस्थाएं चला रही हैं, लेकिन कोल्हान में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में बापू का सहयोग करने वाले विश्वनाथ नायक पर किसी का ध्यान नहीं गया। हम बात कर रहे...
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर आज सरकार कई संस्थाएं चला रही हैं, लेकिन कोल्हान में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में बापू का सहयोग करने वाले विश्वनाथ नायक पर किसी का ध्यान नहीं गया। हम बात कर रहे हैं 103 वर्ष के विश्वनाथ नायक की।
फिलहाल, यह स्वतंत्रता सेनानी नोवामुंडी के कोटगढ़ गांव में अपनी छोटी बेटी सुगला देवी के घर रहकर जीवन गुजार रहे हैं। उन्होंने दो बार वृद्धा पेंशन का आवेदन दिया, लेकिन वह भी शुरू नहीं हुई।
आजिज आकर उन्होंने इसका ख्याल ही छोड़ दिया। अब तक न तो उन्हें बीपीएल कार्ड मिला और न ही इंदिरा आवास। आर्थिक दिक्कत है, लेकिन शरीर स्वस्थ है। आज भी वे कई घंटों तक अपने खेतों में काम करते हैं।
बस आंखों की रोशनी कम होती जा रही है। डॉक्टरों ने मोतियोबिंद की आशंका जताई है, लेकिन इतने पैसे नहीं हैं कि ऑपरेशन करा सकें।
इस तरह भेंट हुई पार्षद से
24 जनवरी को सरस्वती पूजा के दिन कंबल वितरण के समय नोवामुंडी की पार्षद लक्ष्मी सुरेन की विश्वनाथ नायक से भेंट हुई थी। विश्वनाथ नायक किसी से कुछ मांगने को भी पाप समझते हैं।
इसलिए पार्षद को भी अपने बारे में कुछ बताने से कतरा रहे थे। बाद में उनकी कहानी सुनकर पार्षद स्तब्ध रह गईं और अब मदद को तैयार हैं।
बच्चों को सुनाते हैं गांधीजी की कहानी
गांव के बच्चों को नायक हमेशा गांधीजी से हुई भेंट और बातचीत के बारे में बताते हैं। कैसे गांधीजी ने गुप्त मीटिंग की थी और वे उस मीटिंग शामिल हुए।
गांधीजी के सुझाव पर वे छह-सात वर्षों तक सक्रिय रहे, लेकिन अन्य साथियों के अलग हो जाने पर पिता को सहयोग देने के लिए काम करने लगे।
स्वतंत्रता सेनानियों की सुविधा के लिए नहीं किया दावा
विश्वनाथ नायक ने आजादी के वक्त स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाली सुविधाओं के लिए दावा नहीं किया। इसका कारण उन्होंने बताया कि उनके स्वाभिमान ने कभी इसकी इजाजत नहीं दी।
गांधीजी ने कहा था कि आप युवा है। बिरसा मुंडा से प्रेरणा लेकर अंग्रेजों के खिलाफ ग्रामीणों को एकजुट करें। आपके क्षेत्र में आंदोलन ठीक से नहीं चल रहा है। हमें सहयोग दें ताकि सिंहभूम में किसानों का शोषण न हो और देश आजाद हो।
-विश्वनाथ नायक, स्वतंत्रता सेनानी
गांधीजी के सहयोगी की उपेक्षा ठीक नहीं है। उन्हें हर तरह की सुविधा दिलाने के लिए बीडीओ और उपायुक्त से मिलकर उचित कदम उठाने की मांग करूंगी। मैं पूरा प्रयास करूंगी कि कोल्हान की इस धरोहर को सरकारी सुविधाएं और सम्मान मिल सके।
-लक्ष्मी सुरेन, पार्षद, नोवामुंडी