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हिन्दुस्तान विशेष: आतंकवाद के खिलाफ कितने तैयार हैं हम

सिडनी में एक चरमपंथी की सनक। दूसरे ही दिन पेशावर में पेशेवर आंतकियों का काल से भी क्रूर चेहरा। आतंक के नए प्रयोगों से पूरी दुनिया सहम गई है। इन घटनाओं के बाद भारतवासियों के मानस में भी सहज सवाल...

हिन्दुस्तान विशेष:  आतंकवाद के खिलाफ कितने तैयार हैं हम
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 18 Dec 2014 04:10 PM
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सिडनी में एक चरमपंथी की सनक। दूसरे ही दिन पेशावर में पेशेवर आंतकियों का काल से भी क्रूर चेहरा। आतंक के नए प्रयोगों से पूरी दुनिया सहम गई है। इन घटनाओं के बाद भारतवासियों के मानस में भी सहज सवाल कौंधने लगा है कि आखिर हम ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कितने तैयार हैं? दुनिया भर में बढ़ रही आतंकवादी गतिविधियों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने देशवासियों को भरोसा दिलाया है कि हम आतंकी वारदातों को रोकने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। समुद्री रास्तों पर चौकसी बढ़ाई गई है। निगरानी के लिए आधुनिक उपकरण लगाए गए हैं। सीमा पर चौकसी बढ़ी है। लेजर तकनीक से घुसपैठ पर लगाम लगाने के प्रयास हो रहे हैं। नए उपकरणों व अत्याधुनिक हथियारों से सुरक्षा बल लैस हुए हैं। सरकार का आंतरिक सुरक्षा पर फोकस व खर्च पहले से कई गुना बढ़ा है।

काम तो हुआ, फिर भी खतरा बरकरार
सुरक्षा विशेषज्ञ भी मानते हैं कि मुंबई हमलों से सबक लेकर देश में काफी कुछ किया गया है। मानेसर के नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स हब मुख्यालय के अलावा क्षेत्रीय हब चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई में बनाए गए हैं। देश में करीब 21 आतंकवादरोधी स्कूल शुरू किए गए हैं। केंद्र-राज्यों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान बढ़ा है। एनआईए ने आतंकरोधी जांच में अहम भूमिका निभाई है। बहु एजेंसी केंद्र को सुदृढ़ किया गया है। बावजूद इसके आतंक के नए चेहरों व प्रयोगों के आगे इतने इंतजामों को भी सुरक्षा विशेषज्ञ पर्याप्त नहीं मानते।

इन मोर्चों पर कमजोरी
सुरक्षा विशेषज्ञ कपिल कॉक ने सवाल किया कि अगर हम बहुत मुस्तैद हैं तो तीन काउंटर ग्रिड सिस्टम को भेद कर आतंकी कश्मीर के सुरक्षित सेना के कैंप तक कैसे पहुंच गए? नक्सली हमारे सुरक्षा बलों को निशाना कैसे बना रहे हैं? सच तो यह है कि हम मुंबई हमले के बाद 30 से 40 फीसदी आधारभूत ढांचे को दुरुस्त कर पाए हैं। नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर को आतंकरोधी व्यवस्था में अहम कदम बताया गया था। यह आज तक नहीं बन पाया। आईबी और रॉ के बीच समन्वय की कमी जगजाहिर है। देश में इंटीग्रेटेड खुफिया नेटवर्क तैयार करना चुनौती बना हुआ है। खुफिया सूचनाओं को साझा करना, उनका विश्लेषण करना व उनके आधार पर त्वरित कार्रवाई करने के मामले में चूक कई बार सामने आई है।

प्रशिक्षण पर देना होगा जोर
विशेषज्ञों के मुताबिक जिस समुद्री रास्ते का इस्तेमाल करके पाक आतंकी कसाब हमारे देश को चुनौती देने पहुंचा था, वहां आज भी सुरक्षा की कमजोरी सामने आ रही है। कपिल कॉक का कहना है कि हमने आधी-अधूरी तैयारियों को ही फूल प्रूफ सिस्टम मान लिया है। ऐसा नहीं होता तो हमारा फोकस प्रशिक्षण पर होता। हमारे यहां प्रशिक्षण महकमे में पोस्टिंग को सजा माना जाता है। पुलिस आधुनिकीकरण का काम ज्यादातर राज्यों में अधूरा है। सैन्य मामलों के जानकार सी.उदय भास्कर का कहना है कि हमारे पास समुद्री पोस्ट पर त्वरित गति से चलने वाली नावें आ गई हैं, लेकिन उन्हें चलाने वाले प्रशिक्षित बल की कमी है। विशेषज्ञों के मुताबिक हमारे स्कूल, माल, व्यावसायिक स्थल, मनोरंजन केंद्र, मेट्रो स्टेशन सभी जगहों पर अप्रशिक्षित लोगों की फौज हमारी सुरक्षा निगरानी कर रही है।

नए आतंकी प्रयोगों से खतरा
साइबर, ट्विटर या फेसबुक जैसे माध्यमों से बढ़ रही आतंकी नेटवर्किंग पर नकेल कसने में सरकार लाचारी जाहिर कर रही है। संसद, राष्ट्रपति भवन या देश के अन्य प्रतीक स्थलों पर भी घटना के होने से पहले रोक पाने की क्षमता अमेरिका या इजरायल जैसे देशों की तुलना में बहुत कम है। संसद में सुरक्षा के लिए बनी कमेटी के एक सदस्य के मुताबिक हमने रासायनिक हमलों को रोकने से लेकर तमाम संभावित खतरों को भांप कर चर्चा की है, लेकिन आईएस, अलकायदा, अलमुसरा, जमात, आईएम, सिमी से लेकर आतंक के नए-नए चेहरों व तरीकों के खिलाफ लड़ाई तभी संभव है, जब पूरी दुनिया एकजुट हो।


भारत : पांच बड़े आतंकी हमले

13 मई, 2008 जयपुर में छह बम ब्लास्ट
63 लोगों की मौत, 216 घायल
इंडियन मुजाहिदीन ने ली जिम्मेदारी

26 जुलाई, 2008 अहमदाबाद ब्लास्ट
56 लोग मरे, 200 घायल
इंडियन मुजाहिदीन ने ली जिम्मेदारी

13 सितंबर, 2008 दिल्ली सीरियल ब्लास्ट
30 लोग मरे, 100 घायल
इंडियन मुजाहिदीन ने ली जिम्मेदारी

30 अक्टूबर, 2008 गुवाहाटी में ब्लास्ट
77 लोग मरे, 470 घायल
आतंकी संगठन उल्फा का हाथ

13 जुलाई, 2011 मुंबई में सीरियल ब्लास्ट
26 लोगों की मौत, 130 घायल
इंडियन मुजाहिदीन का हाथ

आतंक के चार चेहरे
इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लीवेंट (आईएसआईएल): इसके पास 31500 लड़ाके हैं। 2013 में इसने 350 आतंकी हमले किये, जिसमें 1400 लोग मारे गए और 3600 लोग घायल हुए।

अलकायदा: अनुमान के मुताबिक 3700 से 19000 तक इसके सदस्य हो सकते हैं। 2013 में इसके द्वारा किये गए आतंकी हमलों में 166 लोगों की मौत हुई।

तालिबान : 2010 में 36000 से लेकर 60000 तक इसके सदस्य थे। 2013 में इसके द्वारा की गई 649 आतंकी कार्रवाई में 234 लोग मारे गए थे।

बोको हरम: इसका प्रभाव क्षेत्र नाइजीरिया है। एक अनुमान के मुताबिक लगभग 9000 लोग इस आतंकी संगठन से जुड़े हैं। 2009 से 2012 के बीच विभिन्न आतंकी हमलों में यह 3500 से भी ज्यादा नाइजीरियाई नागरिकों का कत्ल कर चुका है।

आतंकवाद से प्रभावित देशों में ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स (जीटीआई) रिपोर्ट में भारत छठे स्थान पर है
1. इराक         10
2. अफगानिस्तान     9.39
3. पाकिस्तान         9.37
4. नाइजीरिया         8.58
5. सीरिया         8.12
6. भारत         7.86
11. रूस         6.76
23. बांग्लादेश         5.25
27. यूनाइटेड किंगडम     5.17
30. अमेरिका         4.71
नोट : नंबर ये बताते हैं कि खतरा कितनाphoto1

2012 से 2013 के बीच एक साल में भारत में आतंकवाद में 70 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2012 में जहां 238 लोगों की मौत हुई थी, वहीं 2013 में यह बढ़ कर 404 पहुंच गई। आतंकी हमलों की संख्या पिछले साल के मुकाबले 55 ज्यादा थी। हालांकि ज्यादातर आतंकी हमलों में हताहतों की संख्या कम रही। साल 2013 में 70 प्रतिशत हुए हमले घातक नहीं थे। इन आतंकी हमलों में 43 अलग-अलग आतंकी संगठन शामिल थे, जिन्हें तीन समूह इस्लामिक चरमपंथी, अलगाववादी और नक्सली में वर्गीकृत किया जा सकता है। भारत में सर्वाधिक मौत नक्सली हमलों में हुए हैं। माओवादी कम्युनिस्ट संगठनों ने 2013 में की गई हत्या की जिम्मेदारी ली है, जो भारत में आतंकी घटनाओं में हुई मौतों की लगभग आधी है। माओवादियों के लक्ष्य पर सबसे ज्यादा पुलिस रही है।

अधिकतर माओवादी हमले छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार के जिलों में हुए हैं। इसके अलावा आमतौर पर पाकिस्तान के साथ जम्मू और कश्मीर का विवाद इस्लामिक चरमपंथियों को उकसाने का मौका है। साल 2013 में तीन इस्लामिक चरमपंथी देश में हुई 15 प्रतिशत मौत के जिम्मेदार हैं। इनमें पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन (भारत में इंडियन मुजाहिदीन) भी शामिल है, जिसके 15000 सदस्य हैं। यह एकलौता संगठन है, जिसने 2013 में भारत में आत्मघाती हमले किये। इस्लामिक चरमपंथी भारत में पुलिस को हथियारों से निशाना बनाते हैं और नागरिकों को निशाना बनाने के लिए बम का सहारा लेते हैं। इनके दक्षिण में ज्यादातर हमले हैदराबाद में हुए और उत्तर में जम्मू और कश्मीर में। सितंबर 2014 में अलकायदा ने भारत में अपनी उपस्थिति की घोषणा की, साथ ही यह उम्मीद जताई कि इस्लामिक चरमपंथी एकजुट होंगे।

पूवरेत्तर में पिछले तीन दशक से जातीय अलगाववाद की वजह से अशांति फैली हुई है। अलगाववादी संगठनों ने पूवरेत्तर में मौत का तांडव फैलाया। वे नागरिकों, पुलिस और बिजनेसमैन को लक्षित करते हैं।photo2

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