फोटो गैलरी

Hindi Newsस्वाइन फ्लू जांच पर 4500 से अधिक शुल्क नहीं

स्वाइन फ्लू जांच पर 4500 से अधिक शुल्क नहीं

स्वाइन फ्लू की जांच व इलाज के लिए निजी लैबोरेटरी व अस्पताल मनमाना शुल्क नहीं वसूल पाएंगे। इस बावत केन्द्र सरकार के नोटिस के बाद दिल्ली सरकार ने स्वाइन फ्लू के जांच व इलाज की कीमत का निर्धारण कर दिया...

स्वाइन फ्लू जांच पर 4500 से अधिक शुल्क नहीं
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 19 Feb 2015 09:17 AM
ऐप पर पढ़ें

स्वाइन फ्लू की जांच व इलाज के लिए निजी लैबोरेटरी व अस्पताल मनमाना शुल्क नहीं वसूल पाएंगे। इस बावत केन्द्र सरकार के नोटिस के बाद दिल्ली सरकार ने स्वाइन फ्लू के जांच व इलाज की कीमत का निर्धारण कर दिया है। दिल्ली स्वास्थ्य सेवा योजना द्वारा जारी की गई नई गाइडलाइन के बाद नई कीमत को तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया है। मालूम हो कि स्वाइन फ्लू की जांच तीन सरकारी व सात निजी लैबोरटी के जरिए की जा रही है।
 
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. एससी शर्मा ने बताया कि स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए सम्बद्ध सभी 28 निजी अस्पताल और जांच निजी लैबारेटरी मरीजों से 4500 से अधिक शुल्क नहीं ले पाएगी। इसमें जांच के साथ ही इलाज का भी खर्च शामिल है। रेट के साथ ही सरकार ने स्वाइन फ्लू मरीजों की श्रेणी भी निर्धारित की है। दिल्ली स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक डॉ. एससी शर्मा ने कहा कि जांच ही नहीं सी श्रेणी के गंभीर एचवनएनवन संक्रमित मरीजों के इलाज भी निजी अस्पताल तय सीमा के आधार पर लेगें।

मालूम हो कि बुधवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के निदेशक डॉ. जगदीश प्रसाद द्वारा दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग को लिखे पत्र में स्वाइन फ्लू की जांच में निजी अस्पतालों की मनमानी पर फटकार लगाई। डीजीएसएस ने कहा कि लंबे समय से मंत्रालय तक महंगी जांच व इलाज की शिकायतें पहुंच रही है, जिसको नियंत्रित नहीं किया जा रहा है। सरकार द्वारा चयनित तीन लैबोरेटी एम्स, सरदार वल्लभ भाई पटेल चेस्ट इंस्टीटय़ूट और राष्ट्रीय संचारी रोग विभाग पर मरीजों का अधिक बोछ बढ़ने के कारण निजी लैबारेटरी एचवनएनवन जांच के लिए छह से आठ हजार तक रुपए वसूल रही हैं।

नहीं है दवाओं की कमी
निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं दिल्ली सरकार डॉ. एचसीएल दास ने कहा कि स्वाइन फ्लू की दवा टैमी फ्लू की सरकार के पास कमी नहीं है। सभी सरकारी व निजी अस्पतालों में दवाएं पहुंचाई जा रही है। हालांकि संक्रमित मरीजों को दवाओं की खरीद के लिए भी बाहर भेजा जा रहा है। दिल्ली फार्मास्यिुटिकल एसोसिएशन के कैलाश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में इस समय टैमी फ्लू का दस हजार दवाओं का स्टॉक मौजूद है। जिसे मरीजों को कम दाम में उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए एसोसिएशन ने सभी 17 अस्पतालों के बाहर स्टॉल लगाने की बात कही है।

चार से पांच हजार अतिरिक्त खर्च
स्वाइन फ्लू संक्रमित बदरपुर के एक मरीज को एक सप्ताह तक चले इलाज में 15 हजार रुपए खर्च करने पड़े। अजय एक कंपनी में स्टोर काम करते हैं। मरीज अजय सिंह ने बताया कि लक्षण सामने आने के बाद वह एम्स पहुंचे, जहां से उन्हें संभावित स्वाइन फ्लू बताकर आरएमएल रेफर कर दिया गया। आरएमएल ने मरीज की जांच की जरूरत से ही इंकार कर दिया। 25 जनवरी को लाल लैब पैथोलॉजी में कराई जांच में अजय के छह हजार रुपए खर्च करने पड़े, पॉजिटिव रिपोर्ट लेकर पहुंचने पर भी आरएमएल से अजय को टैमी फ्लू नहीं मिली, टैमी फ्लू की रोजाना दो दवाओं के खर्च के लिए उन्हें एक हफ्ते में 3,850 रुपए खर्च करने पड़े। मालूम हो कि टैमी फ्लू की एक स्ट्रिप 550 रुपए में आती है जिसमें दस कैप्सूल होते हैं।

नोट- आरएमएल ने जांच के लिए निजी लैब भेजा, हालांकि अजय के परिजनों को बिना जांच के ही टैमी फ्लू लेने की सलाह दी गई। जबकि अन्य निजी लैब व अस्पताल आठ से दस हजार में स्वाइन फ्लू की जांच कर रहे हैं।

बुधवार को 102 पॉजिटिव
स्वाइन फ्लू जांच के बुधवार को 643 संभावित मरीजों के सैंपल भेजे गए, जिसें 102 मरीजों को एचवनएन संक्रमित पाया गया है। स्वाइन फ्लू के नोडल अधिकारी डॉ. चरन सिंह ने बताया कि बुधवार तक दिल्ली में कुल स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या 1781 हो गया है।

तीन दिन से अधिक बुखार पर ही जरूरी एंटी वायरल दवाएं
स्वाइन फ्लू की संभावना लेकर चिकित्सक के पास पहुंच रहे मरीजों को अधिकतर डॉक्टर एंटी वायरल दवाएं दे रहे है। जबकि शुरूआत दो से तीन दिन के बुखार में एंटी वायरल दवा को सही नहीं माना गया है। आईएमए के चिकित्सकों का कहना है कि बुखार यदि किसी भी वायरस के संक्रमण की वजह से हो उस सूरत में ही एंटी वायरल दवाएं दी जानी चाहिए और इसकी जांच खून की एंटीबायोटिक (आईजी, आईजीएम और कल्चर) जांच से की जा सकती है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने बताया कि खून की एंटीवायरल जांच के बाद मरीज को 24 घंटे के अंदर एंटी वायरल दवाएं दी जा सकती है जबकि पुष्टि से पहले मरीज को साधारण जेनेरिक दवा जैसे पैरासिटामोल देना सुरक्षित है। इस संदर्भ में आईएमए ने चिकित्सकों को लक्षण पर अधिक गौर करने के लिए भी कहा, जिसे चिकित्सीय भाषा में एविडेंस बेस्ट या साक्ष्य आधारित इलाज भी कहा जाता है। डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि मरीज के बीमार होने के यदि 60 प्रतिशत लक्षण भी स्वाइन फ्लू से मिलते हैं तो तुरंत जांच करानी चाहिए।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें