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DELHI: ट्रैफिक जाम से बचाने के लिए सरकार ला रही है एक्सप्रेस-वे, जानें हकीकत

केंद्र सरकार ने दिल्ली को यातायात जाम व प्रदूषण से मुक्ति दिलाने वाली ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे योजना को 400 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा है। दावे के मुताबिक मार्च 2017 में इस पर वाहन दौड़ने...

DELHI: ट्रैफिक जाम से बचाने के लिए सरकार ला रही है एक्सप्रेस-वे, जानें हकीकत
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 26 Oct 2016 06:55 AM
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केंद्र सरकार ने दिल्ली को यातायात जाम व प्रदूषण से मुक्ति दिलाने वाली ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे योजना को 400 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा है। दावे के मुताबिक मार्च 2017 में इस पर वाहन दौड़ने लगेंगे। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि कंट्रैक्ट एग्रीमेंट दस्तावेजों में परियोजना पूरी होने की मियाद 910 दिन (जून 2018) है। ताजा स्थिति यह है कि मिट्टी समतल करने का 10 फीसदी काम हो सका है। इस रफ्तार को देखते हुए एक्सप्रेस-वे के 2018 तक पूरा होने में संदेह है।

सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय एक वरिष्ठ अधिकारी ने माना कि ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे को 400 दिनों में पूरा करने का दबाव है। जबकि कंट्रैक्ट एग्रमीमेंट 910 दिन का है। इसके मुताबिक जून 2018 में परियोजना पूरी होगी। उन्होंने बताया कि 400 दिनों के तय लक्ष्य में काम पूरा करने के लिए परियोजना को छह निर्माण कंपनियों को ठेका दिया गया है। भूमि अधिग्रहण का 96 फीसदी काम पूरा किया जा चुका है। लेकिन अभी एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जा सका है। उन्होंने बताया कि 135 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस-वे पर मिट्टी डालने का काम 10 फीसदी पूरा हुआ है।

सूत्रों ने बताया कि परियोजना में छह लेन चौड़ी सड़क बनाने के अलावा फुट ओवर ब्रिज, रेलवे ओवर ब्रिज, अंडरपास-ओवरपास आदि का प्रावधान है। जटिल कार्य होने के कारण इनको बनाने में काफी वक्त लगता है। इसलिए 2018 में एक्सप्रेस-वे के पूरा होने की संभावना कम लगती है।

135 किलोमीटर लंबे ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे परियोजना की लागत 7558 करोड़ लागत है। इसके बनने से दिल्ली पर 40 फीसदी गैर जरूरी ट्रैफिक का बोझ कम हो जाएगा। उत्तर प्रदेश से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल, गुजरात आदि जाने वाले व्यवसायिक व निजी वाहन एक्सप्रेस-वे से दिल्ली के बाहर अपने गंतव्य तक जा सकेंगे। वर्तमान में प्रतिदिन लगभग 25 हजार ट्रक व 45 हजार कारें दिल्ली से होकर अपने गंतव्य जाते हैं। एक्सपेस-वे के बीच में वाहन नहीं घुस पाएंगे।

क्या होगा रूट
ईस्टर्न पैरीफेरल एक्सप्रेस-वे हरियाणा-कुंडली (एनएच-1) से शुरू होकर वाया गाजियाबाद होते हुए हरियाणा-पलवल (एनएच-2) पर समाप्त होगा। 135 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस-वे एनएच-58, एनएच-24, एनएच-91 (दादरी के नजदीक) को जोड़ेगा। इससे फरीदाबाद, गजियाबाद, ग्रेटर नोएडा,सोनीपत व पलवल के स्थानीय निवासियों को होगी सहूलियत।

ईस्टर्न पेरीफेरल को बनाने का सपना 2006 में देखा गया था। उस समय एक निजी कंपनी बीओटी टोल के तहत महज 2700 करोड़ में एक्सप्रेस-वे को बनाने के लिए तैयार थी। इससे सरकार का पैसा भी खर्च नहीं होता और महज 20 करोड़ प्रति किलोमीटर की लागत से परियोजना पूरी हो जाती। लेकिन सड़क परिवहन मंत्रालय के एक अधिकारी ने इसमें टांग अड़ा दी। नतीजा यह कि 11 साल बाद भी एक्सप्रेस-वे नहीं बन सका है और परियोजना की लागत बढ़कर 7558 करोड़ हो गई। अब 60 करोड़ प्रति किलोमीटर की लागत से एक्सप्रेस-वे बनाया जा रहा है।

दिल्ली को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए सरकार 136 किलोमीटर लंबा वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे बना रही है। इसका 94 फीसदी काम पूरा हो गया है। योजना की लागत 2274 करोड़ है। कोंडली-मानेसर-पलवल (वेस्टर्न पेरिफेरल) तैयार होगा। एक्सप्रेस-वे दिल्ली मुबारका चौक से पानीपत आठ लेन बनाया जा रहा है।

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