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हल्दी, जायफल और ग्रीन टी पर यूरोप में पेटेंट की कोशिश विफल

वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने भारतीय पारंपरिक ज्ञान के के आधार पर दवा फार्मूला तैयार कर पेटेंट हथियाने की विदेशी कंपनी की कोशिश को नाकाम कर दिया है। यूरोप की दवा कंपनी ...

हल्दी, जायफल और ग्रीन टी पर यूरोप में पेटेंट की कोशिश विफल
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 02 Aug 2015 06:41 PM
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वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने भारतीय पारंपरिक ज्ञान के के आधार पर दवा फार्मूला तैयार कर पेटेंट हथियाने की विदेशी कंपनी की कोशिश को नाकाम कर दिया है। यूरोप की दवा कंपनी  पेनीजिया लेब्रोटरी लिमिटेड ने हल्दी, ग्रीन टी और देवदारू के अंशों से यह फार्मूला तैयार किया था। यह फार्मूला बाल झड़ने के उपचार के लिए तैयार किया गया था।

सीएसआईआर के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार 2011 में कंपनी ने यूरोपीय पेटेंट आफिस में इस फार्मूले पर पेटेंट के लिए आवेदन किया था। लेकिन सीएसआईआर की ट्रडिशनल नॉलेज लाइब्रेरी (टीकेडीएल) एवं यूरोपीय पेटेंट ऑफिस के बीच हुए समझौते के तहत उसने यह जानकारी भारत से साझा की। इस पर टीकेडीएल की टीम ने विरोध दर्ज कराया। टीम की तरफ से यूरोपीय पेटेंट आफिस को वे तमाम दस्तावेज दिए जो यह साबित करते हैं कि हल्दी, देवदारू और ग्रीन टी के फार्मूले से बाल झड़ने के उपचार का वर्णन भारतीय पारंपरिक ज्ञान में मौजूद है।

आयुर्वेद में इसका जिक्र है जिसको टीकेडीएल लाइब्रेरी में भी संग्रहित किया गया है। इसकी एक प्रति यूरोपीय, अमेरिकी और दुनिया भर के तमाम पेटेंट आफिसों के पास मौजूद है। सीएसआईआर-टीकेडीएल टीम के मजबूती से पक्ष रखने के बाद यूरोपीय पेटेंट कार्यालय ने 29 जून 2015 को यूरोपीय कंपनी को आदेश दिया कि वह अपना पेटेंट आवेदन वापस ले। कंपनी को ऐसा करने के लिए बाध्य होना पड़ा।

जायफल का पेटेंट प्रयास भी खारिज-इस बीच टीकेडीएल ने कोलगेट-पाल्मोलिव के भी जायफल से बने माउथवास पर पेटेंट लेने के प्रयास को विफल कर दिया। कंपनी ने यूरोपीय पेटेंट आफिस में जायफल से बने एक माउथवास के लिए पेटेंट दाखिल किया था। लेकिन सीएसआईआर -टीकेडीएल टीम ने साबित किया कि भारतीय चिकित्सा पद्धति में यह फार्मूला पहले से ही ज्ञान है और टीकेडीएल में इसे संग्रहित करके कानूनी संरक्षण प्रदान किया गया है। बता दें कि टीकेडीएल अब तक ऐसे दो सौ से भी ज्यादा प्रयासों को विफल कर चुका है।

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