आईएसआई एजेंट ने गर्लफ्रेंड्स के जरिए बनाई जासूसी योजना
एसटीएफ के हत्थे चढ़े आईएसआई एजेंट व जाली नोट कारोबारी अली अहमद उर्फ डा. समीर उर्फ वसीम खान की काठमांडू, वीरगंज, बिहार व लखनऊ में करीब आधा दजर्न गर्ल फ्रेंड्स हैं। उनके जरिए ही उसने गोरखपुर एयरफोर्स...
एसटीएफ के हत्थे चढ़े आईएसआई एजेंट व जाली नोट कारोबारी अली अहमद उर्फ डा. समीर उर्फ वसीम खान की काठमांडू, वीरगंज, बिहार व लखनऊ में करीब आधा दजर्न गर्ल फ्रेंड्स हैं। उनके जरिए ही उसने गोरखपुर एयरफोर्स स्टेशन व देश के निगरानी तंत्रों की गोपनीय सूचनाएं लीक कराने की योजना तैयार की थी। दुर्भाग्य कि इन्हीं गर्ल फ्रेंड्स के जरिए एसटीएफ उस तक पहुंच गई। उसकी गिरफ्तारी से खासकर जाली नोट के कारोबारियों को करारा धक्का लगा है।
एसटीएफ द्वारा लखनऊ से गिरफ्तार अली अहमद मूल रूप से पश्चिमी चंपारण बिहार के पुरैना चौबे चनपटिया निवासी बख्शीश करीम का पुत्र है। बख्शीश करीम पहले बिहार पुलिस में सिपाही था। बगहा में उसकी तैनाती थी। परिवार के साथ वह रक्सौल में रहने लगा था। उसकी गतिविधियों पर जब अधिकारियों ने निगाह रखनी शुरू की तो नौकरी छोड़ दी। रक्सौल में ही अली अमहद ने मंसूर आलम के यहां दर्जी की नौकरी शुरू की।
ऊंचे ख्वाब संजोए वह गोरखपुर पहुंचा। गोरखनाथ थाना क्षेत्र के रसूलपुर में एक पावरलूम में नौकरी की। पांच-छह साल यहां बिताने के बाद फिर रक्सौल लौटा तो मंसूर आलम बड़ा आदमी बन चुका था। उसका ठिकाना काठमांडू बन चुका था। सलीम मियां अंसारी के बेटे युनुस अंसारी का मंसूर आलम खास बन चुका था। अली अहमद को भी वह काठमांडू ले गया। वहां एक कैसिनो में अली अहमद की मुलाकात मंसूर ने पाकिस्तान दूतावास के कुछ अधिकारियों से कराई और फिर जाली नोट के धंधे में उतार दिया गया।
कुछ ही दिनों में उसने वीरगंज को ठिकाना बना कर कई लाख के जाली नोट भारत में खपा दिए। उत्तर प्रदेश के अलावा देश के कई अन्य राज्यों में नेटवर्क का विस्तार किया। इसी बीच 2010 में एसटीएफ ने उसे जाली नोटों के साथ गिरफ्तार कर लिया। पकड़े जाने के साल भर बाद ही उसके साथियों ने पेशी पर जाते समय फरार करा दिया। फरार होने के बाद वह फिर काठमांडू पहुंचा। गोरखपुर की पृष्ठभूमि जानने के बाद पाकिस्तानी एजेंटों ने उसे गोरखपुर में आईएसआई के स्लीपिंग माडय़ूल्स तैयार करने का आदेश दिया।
उसे गोरखपुर एयरफोर्स व सुरक्षा तंत्रों की गोपनीय सूचनाएं जुटाने का काम सौंपा गया। एसटीएफ के अनुसार इसके बाद से उसने पैसे के बल पर काठमांडू, वीरगंज, बिहार व लखनऊ में करीब आधा दजर्न गर्ल फ्रेंड्स बनाई। इन्हीं के जरिए उसने गोपनीय सूचनाएं लीक कराने की योजना बनाई थी। मगर तलाश में जुटी एसटीएफ ने गर्ल फ्रेंड्स के जरिए ही उसे दबोच लिया। एसटीएफ ने पकड़े गए एजेंट से पूछताछ के आधार पर बताया कि वह लखनऊ में जाली नोटों के सैंपल लेकर कुछ लोगों को दिखाने पहुंचा था।
लखनऊ के नाका थाने में मुकदमा दर्ज
सीओ एसटीएफ विकास चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि एसटीएफ ने लखनऊ के नाका थाने में गिरफ्तार अली अहमद उर्फ डा. समीर उर्फ वसीम खान के खिलाफ केस दर्ज करा दिया है। इससे पूर्व भी उस पर लखनऊ में जाली नोट के कारोबार व बिहार के चनपटिया थाने में हत्या के प्रयास का केस दर्ज हो चुका है।