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इंटरनेट से जुड़े स्मार्ट गैजेट निजता के लिए खतरा!

इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) या मशीन टू मशीन (एमटूएम) से जुड़े स्मार्ट गैजेट इनसे जुड़े लोगों की निजता के लिए खतरा भी हो सकते हैं। इस बारे में अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमीशन (एफटीसी) की अध्यक्ष ने चेतावनी...

इंटरनेट से जुड़े स्मार्ट गैजेट निजता के लिए खतरा!
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 07 Jan 2015 09:12 PM
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इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) या मशीन टू मशीन (एमटूएम) से जुड़े स्मार्ट गैजेट इनसे जुड़े लोगों की निजता के लिए खतरा भी हो सकते हैं। इस बारे में अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमीशन (एफटीसी) की अध्यक्ष ने चेतावनी भी जारी की है। उन्होंने कहा है कि हमारी हर तरह की निजी जानकारी गैजेट के जरिये लीक हो सकती है।  इस समय अमेरिका के लास वेगास में चल रहे कंज्यूमर इलेक्ट्रानिक्स शो (सीईएस) में आईओओ पर ही सबसे ज्यादा फोकस है।

क्या है इंटरनेट ऑफ थिंग्स 
-इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) में घर-दफ्तर और चीजें  इंटरनेट के जरिये जुड़ जाएंगी। इस तकनीक की दुनियाभर में चर्चा है। इससे बहुत सी चीजें आसान हो जाएंगी। लेकिन इससे बहुत से जटिलताएं भी पैदा हो सकती हैं।

क्या है भविष्यवाणी
गार्टनर की भविष्यवाणी है कि 2020 में आईओटी (पर्सनल कंप्यूटर, टेबलेट और स्मार्टफोन को छोड़कर) से 26 अरब यूनिट जुडम् जाएंगी। कनेक्टेड जीवनशैली की यह प्रौद्योगिकी एक दिन आदमी पर पूरी तरह हावी हो जाएगी।

क्या है तीन मुश्किलें
इंटरनेट से जुड़े डिवाइस उपभोक्ता के व्यवहार पर नजर रखते हैं, उसकी निगरानी करते हैं। इससे उपभोक्ता को जिंदगी की दौडम् के अनुरूप ढालने में मदद मिलती है, लेकिन इसके साथ ही उसकी निजता और सुरक्षा में सेंध भी लगती है। इसे लेकर दो मुश्किलें और हैं..एक डाटा का मालिकाना हक और दूसरा स्पेक्ट्रम का मुद्दा।

1- निजता को खतरा
-आईटीओ में घर-कार इत्यादि ऐसी डिवाइसों से जुडम् जाएंगे जो संवेदनशील सेंसर के मार्फत लोगों को नियंत्रित या निगरानी कर सकते हैं।
-ये डिवाइस किसी व्यक्ति के कर्ज की स्थिति, स्वास्थ्य, धार्मिक प्राथमिकताओं, परिवार और मित्र की जानकारी जुटा सकते हैं।
- ये किसी भी व्यक्ति की बेहद निजी तस्वीरें भी हासिल कर सकते हैं।
-ऐसे गैजेट जैसे ही इंटरनेट से जुड़ेंगे, उनके हैक होने की पूरी संभावना होती है क्योंकि ये जुड़ते ही दुनिया की पहुंच में आ जाते हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
-यह दुधारी तलवार है। एक-दूसरे से जुड़े डिवाइस संवाद और कामकाज के लिए जरूरी हैं। लेकिन इससे इतने प्रवेश द्वार खुल जाते हैं कि आपका बहुमूल्य डाटा रोके नहीं रुकने वाला। यही कारण है कि उपभोक्ता आईओटी को अपनाने से हिचक सकते हैं।

क्या है समाधान
-समाज का एक वर्ग निजता या सुरक्षा को लेकर अपने उत्पाद को नहीं जोड़ना चाहेगा। लेकिन सुरक्षा को लगातार बेहतर बनाया जाए तो ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ जाएंगे।

कोट
गैजेट निर्माता कंपनियों से मेरा आग्रह है कि वे यूजर का उतना ही डाटा लें, जितना कि गैजेट के  लिए जरूरी है। अगर कोई कंपनी यूजर की निजता का हनन करती है तो बाजार में अपना विश्वास खो देगी।
एडिथ रेमरिज
यूएसएफटीसी की अध्यक्ष
(लास वेगास में सीईएस में कहा)

2. डाटा का मालिकाना हक
आईओटी की राह में डाटा का मालिकाना हक भी बडम रोडम है। डिवाइस सेंसर  लोगों और चीजों की जो जानकारियां जुटाएंगे उनके मालिकाना हक के बारे में स्पष्ट मार्गदर्शिका की जरूरत पड़ेगी।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
-हैल्थ वियरेबल डिवाइस तेजी से बढम् रहे हैं। ये जानकारी जुटाते हैं। लोग क्या खाते-पीते हैं, क्या करते (कसरत) हैं। लेकिन इस डाटा का मालिकाना हक किसका होगा? क्या उपभोक्ता का? या वियरेबल डिवाइस बनाने वाली कंपनी का? या किसी तीसरी पार्टी का?

क्या है समाधान
एक ऐसा प्लेटफार्म तैयार किया जाए जो डिवाइस से जुटाए गए डाटा को प्रभावी ढंग से संग्रहित कर उपभोक्ता और कंपनी को लाभ पहुंचाए। यानी इसके लिए कुशल डाटा विज्ञानियों की जरूरत पड़ेगी। यानी ऐसे लोग जो क्लाउड डाटा का विश्लेषण कर सकें।

3- स्पेक्ट्रम का मुद्दा
आईओटी राह में स्पेक्ट्रम की बढम्ती कमी रोडम हो सकती है। वाई फाई और ब्लूटूथ जैसी प्रोद्योगिकी गैर लाइसेंस वाले स्पेक्ट्रम पर ज्यादा निर्भर हो जाएंगी।

क्या है समाधान
इस मुद्दे पर काम करने के लिए विनियामक, प्रौद्योगिकी प्रदाता और अन्य को मिलकर उन्नतशील उत्पाद, प्रौद्योगिकी और रणनीतियां बनानी पड़ेगी।

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