अदालतों में पलटे जाएंगे पुराने सरकार के निर्णय
कैबिनेट सचिव ने केंद्र सरकार के सभी विभागों को दिशा निर्देश जारी करके कहा है कि वे विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों में जहां केंद्र सरकार पार्टी है, नई सरकार की नीति और विचारों के अनुरूप अपना पक्ष नए...
कैबिनेट सचिव ने केंद्र सरकार के सभी विभागों को दिशा निर्देश जारी करके कहा है कि वे विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों में जहां केंद्र सरकार पार्टी है, नई सरकार की नीति और विचारों के अनुरूप अपना पक्ष नए सिरे से रखें। कैबिनेट सचिव ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की है कि अदालतों में चल रहे कई मामलों में सरकार के हितों का प्रभावी तरीके से बचाव नहीं किया जा रहा है, या खराब तरीके से पक्ष रखा गया है।
उन्होंने कहा है कि ऐसे मामलों को तुरंत चिन्हित करके उसमें सुधार के लिए तुरंत कदम उठाएं। विभागों के सचिवों को हिदायत दी गई है कि वे खुद अदालती मामलों की निगरानी करें और एसएमएस आदि के जरिए सरकारी वकीलों के संपर्क में रहें। मंत्रियों को भी अदालती मामलों की प्रगति के संबंध में अपडेट करके नए हलफनामे पर उनकी सलाह लें।
सात बिंदु की गाइड लाइन जारी
कैबिनेट सचिव ने सरकार की मंशा जाहिर करते हुए सात बिंदु के दिशा निर्देश विभागों को जारी किए हैं।
1- सभी मंत्रालय या विभाग विभिन्न अदालतों में चल रहे मामलों में सरकार का पक्ष रखने के लिए नई सूची के साथ कानून मंत्रालय से सलाह मशविरा करें।
2- लंबित मामलों की हर सप्ताह सचिव के स्तर पर समीक्षा की जाए।
सचिव महत्वूपर्ण लंबित मामलों और उनकी प्रगति के संबंध में मंत्रियों को सतत रूप से अवगत कराते रहें।
मुकदमों की सुनाई स्थगित न कराएं
3- मामलों की सुनवाई स्थगित करने की मांग से बचें। सरकारी वकीलों को परामर्श दिया जाए कि वे स्थगन के लिए अदालतों में निवदेन न करें। क्योंकि देरी की अपनी कीमत चुकानी पड़ती है। यह समय से जवाब देने की सरकार की क्षमता और योग्यता पर भी सवाल खडम करता है। इसलिए जिन मामलों में स्थगन का अनुरोध किया गया है उन्हें नए सिरे से देखकर सुधार के लिए कदम उठाए जाएं।
4- सभी मंत्रालयों में अदालती मामलों के समन्वय के लिए एक वरिष्ठ नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए।
5- मंत्रालय और विभागों को अपने वकीलों के लगातार संपर्क में रहना चाहिए। सरकारी वकीलों से कहा जाए कि वे संचार माध्यमों या मोबाइल, एसएमएस आदि के जरिए हर मामले की सुनावाई के बाद मामले से जुड़े परिणाम या प्रगति की जानकारी देते रहें।
खराब तरीके से रखा पक्ष तो कानून मंत्रालय को बताएं
6- मंत्रालय व विभाग ऐसे मामलों की लगातार निगरानी करें जहां सरकार के हितों का कायदे से कोर्ट में बचाव नहीं किया गया। या जिन केसेज को खराब तरीके से हैंडल किया गया,जिसकी वजह से नुकसान उठाना पड़ा हो। ऐसे मामलों की रिपोर्ट कानून व न्याय मंत्रालय को भेजा जाए जिससे सुधार के लिए कदम उठाए जा सकें।
7- सभी मामलों में जहां अतीत में सरकार की ओर से हलफनामे दिए गए हैं उनमें नई परिस्थितियों के मुताबिक या नई सरकार के विचारों के अनुरूप बदलाव किए जाएं। इसकी समीक्षा भी तुरंत सचिवों के स्तर पर की जाए। जिन मामलों में नया हलफनामा देना हो उनके बारे में मंत्रियों को अवगत कराके हलफनामा दाखिल करने से पहले उनका मार्गदर्शन हासिल करें।
सभी दिशा निर्देशों पर तुरंत अमल करने की हिदायत देते हुए कैबिनेट सचिव ने कहा है कि इनके अतिरिक्त भी अगर कोई उपाय सरकार के हितों का ख्याल रखने के लिए जरूरी हों तो वे मंत्रालय अपने स्तर पर कर सकते हैं।
अदालतों में चल रहे हैं कई अहम केस
टूजी स्पेक्ट्रम मामला,कालाधन,आईटी एक्ट में बदलाव,समलैंगिकता का मामला।