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एचटी समिट:कायम रहेगा परंपरागत मीडिया का जलवा

ट्विटर जैसे सोशल मीडिया के इस दौर में खबरों लेकर परंपरागत मीडिया का महत्व बिल्कुल कम नहीं हुआ है। हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट के दूसरे दिन शनिवार को क्या सोशल मीडिया परंरपरागत मीडिया को खत्म कर...

एचटी समिट:कायम रहेगा परंपरागत मीडिया का जलवा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 23 Nov 2014 10:04 AM
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ट्विटर जैसे सोशल मीडिया के इस दौर में खबरों लेकर परंपरागत मीडिया का महत्व बिल्कुल कम नहीं हुआ है। हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट के दूसरे दिन शनिवार को क्या सोशल मीडिया परंरपरागत मीडिया को खत्म कर रहा है जैसे मुद्दे पर अच्छी बहस हुई।

बहस में सोशल मीडिया और परंपरागत मीडिया के प्रतिनिधि के तौर पर ट्विटर की ग्लोबल वाइस प्रेसिडेंट केटी जैकब स्टेंटोन, लंदन इवनिंग स्टैंडर्ड की संपादक सारा सैंड्स और हिन्दुस्तान टाइम्स के चीफ कंटेट ऑफिसर नीक डाव्स शरीक हुए।

इस बात को लेकर सभी ने सहमति जताई कि ट्विटर और सोशल मीडिया से इस दौर के मीडिया में बडम बदलाव आया है। इसका ताजा उदाहरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जिन्होंने गणतंत्र दिवस पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के मुख्य मेहमान होने की ब्रेकिंग न्यूज ट्विटर पर जारी की।

ट्विटर की वाइस प्रेसिडेंट केटी ने बताया कि ट्विटर के अब 28 करोड़ 40 लाख सक्रिय इस्तेमाल करने वाले हैं। हमारे 77 फीसदी इस्तेमाल करने वाले अमेरिका से बाहर के हैं। भारत में चुनाव के दौरान 6 करोड़ ट्विट किए गए। ट्विटर इस दौरान आंखों देखा हाल बताने वाले नेटवर्क के तौर पर उभर कर सामने आया। केटी कहती हैं कि ट्विटर मीडिया के क्षेत्र में एक टेक्नोलॉजी कंपनी है। पर ये परंपरागत मीडिया संगठनों के लिए खतरा किसी भी तरह से नहीं है। खास तौर पर पत्रकार इस सोशल मीडिया के पहले इस्तेमाल करने वाले होते हैं जो खबरों को ब्रेक करते हैं।

लंदन इवनिंग स्टैंडर्ड की संपादक सारा सैंड्स ने कहा कि लोग कह रहे थे कि अखबार का नाश हो जाएगा, पर ऐसा हुआ नहीं। अब सभी अखबार मल्टी प्लेटफार्म पर काम कर रहे हैं, पर अखबार मातृशक्ति के तौर पर है। जो लोग अखबार में पढ़ते हैं और टीवी पर खबरों में देखते हैं उसकी तुलना में लोग ट्विटर पर कितना संवाद करते हैं। इसको देखा जाए तो हमें परंपरागत माध्यमों का महत्व समझ में आ जाएगा। ट्विटर जैसा प्लेटफार्म सिर्फ छोटी सी जानकारी देता है, विश्लेषण तो टीवी और अखबार ही पेश करते हैं।

ट्विटर के छोटे-छोटे संदेशों पर सवाल उठाते हुए सैंड्स ने कहा कि इन पंक्तियों के बीच कई बार सच्चाई धूमिल हो जाती है। आपके डाटा का कौन और किसलिए इस्तेमाल कर रहा होता है ये साफ नहीं होता। सैंड्स ने कहा कि मैं ये नहीं जानती कि अखबार 20 साल बाद किस स्थिति (ईपेपर या प्रिंट) में रहेंगे पर इसको लेकर आश्वस्त हूं कि पत्रकारिता रहेगी।

जब केटी से ये पूछा गया कि ट्विटर राजनेताओं के बयान देने के लिए अच्छा माध्यम बन गया है और ये पत्रकारों के सवालों की उपेक्षा कर देता है। तो उन्होंने बताया कि किस तरह ट्विटर पर कोई देश के सबसे बडम्े नेता से भी सवाल पूछ सकता है। हालांकि उन्होंने माना कि ये एक ऐसा माध्यम है जो विकास की प्रक्रिया में है।

गाली देने से रोकना मुश्किल
वरिष्ठ पत्रकार विनोद मेहता ने ये सवाल उठाया कि ट्विटर लोगों के लिए भड़ास निकालने या किसी को गाली देने का भी प्लेटफार्म बनता जा रहा है और कई लोग इसके शिकार हो रहे हैं। इस पर ट्विटर की वाइस प्रेसिडेंट केटी ने कहा कि हम चाहते हैं कि ट्विटर पर ऐसी सामग्री को रोका जा सके और ये सुरक्षित माध्यम बने। पर सच्चाई यह है कि ऑनलाइन माध्यम में ऐसा कर पाना मुश्किल है।

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