इंटरनेट की लत छुड़ाने का पहला केंद्र खुला
इंटरनेट की बच्चों में बढ़ रही लत को दूर करने के लिए दिल्ली में पहला केंद्र खुला है। सेंटर फॉर चिल्ड्रेन इन इंटरनेट एंड टेक्नोलॉजी डिस्ट्रेस नाम का यह केंद्र सवरेदय एनक्लेव में खोला गया है। केंद्र में...
इंटरनेट की बच्चों में बढ़ रही लत को दूर करने के लिए दिल्ली में पहला केंद्र खुला है। सेंटर फॉर चिल्ड्रेन इन इंटरनेट एंड टेक्नोलॉजी डिस्ट्रेस नाम का यह केंद्र सवरेदय एनक्लेव में खोला गया है। केंद्र में इलाज कराने आए अधिकतर बच्चों का लगातार इंटरनेट के इस्तेमाल से व्यवहार काफी आक्रामक हो गया था, वह एकांत में रहने लगे थे और बिना कंप्यूटर के वह बैचेनी महसूस करते थे।
सेंटर फॉर चिल्ड्रेन इन इंटरनेट एंड टेक्नोलॉजी डिस्ट्रेस केंद्र शुरू करने वाले राहुल वर्मा कहते हैं कि हमारे केंद्र में अब तक साठ से अधिक बच्चाे इंटरनेट की लत का इलाज करा रहे हैं। इन बच्चों की उम्र आठ से 19 साल के बीच की है। राहुल कहते हैं कि वीडियो गेम, लैपटॉप या टीवी से लंबे समय तक चिपके रहने के कारण उनमें शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती है जिससे उनमें मोटापा, डायबिटीज आदि का खतरा भी बढ़ जाता है। राहुल कहते हैं कि कई बच्चे आईपैडी सिंड्रोम के शिकार होते हैं मसलन अगर कोई बच्चे से मोबाइल या आईपैड छीन लें तो वह नाराज हो जाते हैं या फिर गुमसुम हो जाते हैं। वहीं कई बच्चे टेक्सटोफोबिया (मैसेज करने की आदत) के शिकार थे।
डा. तारा कहती है कि इंटरनेट के अधिक इस्तेमाल से बच्चे समाज से कट रहे हैं। वह छोटी जानकारियों और जरूरी सूचनाओं के लिए फेसबुक, व्हाट्सअप जैसे माध्यमों पर निर्भर हो जाते हैं। इन माध्यमों से कभी-कभार बच्चों को गलत सूचनाएं भी मिल जाती है जो उनके ज्ञान को खराब करने का काम करता है। इसका असर बच्चों के याद रखने की क्षमता और पढ़ाई के प्रदर्शन पर भी पढ़ रहा है। वह कहती है कि इस तरह के बच्चाे वास्तविक दुनिया से कट जाते हैं। वह वर्चुअल दुनिया में ही जीने लगते हैं।
इंटरनेट के बिना होने लगी थी घबराहट: डा. तारा ने बताया कि उनके केंद्र में आए 14 साल के बच्चे को बिना इंटरनेट के इस्तेमाल के घबराहट होने लगी थी। साथ ही किसी भी बात पर टोकने पर वह उग्र व्यवहार करने लगा था। इसका असर उसकी पढ़ाई पर होने लगा था। अभिभावकों ने जब इस बात को परखा और जांच कराई तो मालूम चला कि वह इंटरनेट सिंड्रोम का शिकार हो चुका है।