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जांच आयोगों की अवमानना नहीं हो सकती: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि जांच आयोग अदालतें नहीं हैं, इसलिए इसकी अवमानना नहीं हो सकती। चाहे इसक अध्यक्ष हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के कार्यरत जज ही क्यों न हों। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस...

जांच आयोगों की अवमानना नहीं हो सकती: सुप्रीम कोर्ट
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 23 Jul 2014 09:45 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि जांच आयोग अदालतें नहीं हैं, इसलिए इसकी अवमानना नहीं हो सकती। चाहे इसक अध्यक्ष हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के कार्यरत जज ही क्यों न हों।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने बुधवार को दिए फैसले में कहा कि आयोगों का गठन जांच आयोग कानून, 1952 के तहत किया जाता है। महज इस इसलिए कि जांच आयोग का अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट का जज है, यह कोर्ट की विस्तारित शाखा नहीं बन जाती। पीठ ने कहा कि आयोग एक तथ्यांवेषी निकाय होता है जिसका काम सरकार को किसी मुद्दे पर उचित कार्रवाई के लिए फैसला लेने में मदद करना है।

ऐसे आयोग पक्षों के अधिकारों का निर्णय नहीं करते न ही उनके पास कोई न्यायिक शक्ति होती है। वहीं सरकार आयोग की सिफारिशों पर अमल करने के लिए भी बाध्य नहीं है। यह सही है कि आयोग द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानूनी होती है और इसके पास हलफ दिलाने की शक्तियां होती है, लेकिन इससे जांच आयोग को कोर्ट का दर्जा नहीं मिल जाता। इसलिए आयोगों पर अवमानना कानून, 1971 लागू नहीं होता।

पीठ ने यह फैसला एक जांच आयोग के खिलाफ भाजपा नेता अरुण शौरी के टिप्पणियां करने पर अवमानना का मुकदमा चलाने संबंधी याचिका पर दिया। सुप्रीम कोर्ट के कार्यरत जज कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में बने इस आयोग ने 1990 में कर्नाटक के पूर्व मुख्य मंत्री आरके हेगड़े के खिलाफ जांच की थी।

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