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छत्तीसगढ़ में लगी है बस्तर का चक्रव्यूह तोड़ने की कवायद

छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बस्तर की 12 सीट किसी चक्रव्यूह से कम नहीं है। जिस पार्टी ने यहां बढ़त ले ली, मानो चुनाव का महाभारत जीत लिया। प्रदेश की दो प्रमुख पार्टी भारतीय जनता पार्टी...

छत्तीसगढ़ में लगी है बस्तर का चक्रव्यूह तोड़ने की कवायद
एजेंसीWed, 25 Sep 2013 04:14 PM
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छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बस्तर की 12 सीट किसी चक्रव्यूह से कम नहीं है। जिस पार्टी ने यहां बढ़त ले ली, मानो चुनाव का महाभारत जीत लिया। प्रदेश की दो प्रमुख पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस की पैनी नजर प्रत्येक सीट पर बनी हुई है।

छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच सहित तीसरे मोर्चे की नजर भी बस्तर पर बनी हुई है। तीसरे मोर्चे के पदाधिकारी बस्तर में तीन से पांच सीट पर कब्जा कर अगली सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहते हैं।

सत्ताधारी दल भाजपा बीते चुनाव की तरह अपनी जीत बरकरार रखने के लिए मशक्कत कर रही है, तो कांग्रेस बस्तर में सेंधमारी की फिराक में है। दोनों पार्टी के प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी लगातार बस्तर का दौरा कर रहे हैं।

इसके अलावा तीसरा मोर्चा भी पूरी तरह सक्रिय है। तीसरे मोर्चे के समर्थकों में पिछड़ा वर्ग संख्या अधिक है। आगामी में चुनाव परिणाम ही तय करेगा कि वर्तमान में कौन कितनी मेहनत कर रहा है।

बस्तर की 12 सीटों में 11 सीट पर भाजपा और एक मात्र कोंटा से कवासी लखमा विधायक हैं। वहीं रमन सरकार के तीन मंत्री बस्तर के इन्हीं 12 सीटों से जीते विधायकों में से आते हैं। इसमें लता उसेंडी, विक्रम उसेंडी एवं केदार कश्यप का नाम शामिल है। बस्तर में शानदार प्रदर्शन के बावजूद भाजपा इस बार भी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती, इसलिए अधिक विरोध होने पर पार्टी किसी मंत्री व विधायक ड्राप करने से भी परहेज नहीं करेगी।

इधर, कांग्रेस भी अच्छी तरह मंथन करने के बाद ही जीतने वाले उम्मीदवार को मौका देना की तैयारी में है। इसके लिए लगातार बस्तर के सभी सीट पर उम्मीदवारों के गुणदोष का परीक्षण किया जा रहा है। वहीं तीसरे मोर्चे के पदाधिकारी भी लगातार दौरे कर रहे हैं।

बस्तर के पूर्व राजघराने के कमल भंजदेव के पार्टी में शामिल होने के बाद भाजपा इसे अच्छी तरह भुनाने का प्रयास कर रही है, जबकि कांग्रेस झीरम घाटी के हमले एवं महेंद्र कर्मा की शहादत की सहानुभूति बटोरने के प्रयास में जुटी है।

वहीं, तीसरे मोर्चे के पदाधिकारी स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने की बात कह रहे हैं। साथ ही प्रदेश सरकार की नाकामी व विफलता एवं पूर्व की सरकार की असफलता का भी प्रचार कर रहे हैं।

भाजपा के प्रदेश प्रभारी जे.पी. नड्डा, राष्ट्रीय संगठन मंत्री सौदान सिंह शुक्रवार को तीन दिवसीय बस्तर प्रवास पर पहुंचे। इससे पहले मुख्यमंत्री रमन सिंह की विकास यात्रा के दौरान वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित कई दिग्गजों का बस्तर दौरा हो चुका और विकास यात्रा के बाद भी मुख्यमंत्री बस्तर का दौरा कर चुके हैं।

कांग्रेस 26 सितंबर को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के आगमन की तैयारी में जुटा हुआ है। राहुल गांधी बस्तर में चुनाव से पहले ही माहौल बनाएंगे और मतदाताओं को रिझाने का प्रयास करेंगे। इसके लिए राहुल गांधी के आगमन से पहले प्रदेश के सभी बड़े पदाधिकारी, केंद्रीय मंत्री व प्रदेश अध्यक्ष चरणदास महंत, केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश सहित कई वरिष्ठ पदाधिकारी बस्तर का दौरा कर चुके हैं। तीसरे मोर्चे के वरिष्ठ पदाधिकारी अरविंद नेताम बस्तर से ही आते हैं।

सूत्रों की मानें तो भाजपा, कांग्रेस व तीसरे मोर्चे के पदाधिकारी मैदान क्षेत्र की तुलना में बस्तर के 12 सीटों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। इस बार भाजपा-कांग्रेस बस्तर की सीटों पर उम्मीदवारों के चयन को लेकर उहापोह की स्थिति में है।

सूत्रों की मानें तो दोनों ही पार्टी में उम्मीदवारों की लंबी कतार है, क्योंकि भाजपा के वर्तमान विधायकों के खिलाफ लोगों में आक्रोश है, जबकि कांग्रेस में पूर्व या परंपरागत उम्मीदवारों को लोग पसंद नहीं कर रहे हैं। दोनों ही पार्टी के पदाधिकारियों को चुनाव जीतने से कहीं ज्यादा प्रत्याशियों के चयन करने में माथापच्ची करनी पड़ रही है।

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