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पेशावर हमला: कमांडर ने कहा, बच्चों को कत्ल कर दिया, अब फौजियों को भूनो

आर्मी पब्लिक स्कूल में मौजूद हमलावरों ने अपने हैंडलर से पूछा- ‘हमने आडिटोरियम में मौजूद सभी बच्चों को कत्ल कर दिया है, अब हमें क्या करना है?’ वहां से आदेश हुआ-‘फौजियों के आने का...

पेशावर हमला: कमांडर ने कहा, बच्चों को कत्ल कर दिया, अब फौजियों को भूनो
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 19 Dec 2014 12:07 PM
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आर्मी पब्लिक स्कूल में मौजूद हमलावरों ने अपने हैंडलर से पूछा- ‘हमने आडिटोरियम में मौजूद सभी बच्चों को कत्ल कर दिया है, अब हमें क्या करना है?’ वहां से आदेश हुआ-‘फौजियों के आने का इंतजार करो, अपने को उड़ाने से पहले उन्हें भी (सैनिकों) भून डालो।’

मंगलवार को स्कूल में कत्लेआम को अंजाम देने के बाद दो आत्मघाती हमलावर बचे हुए थे। बाहर और बाजू के प्रवेश द्वार पर तैनात स्पेशल सर्विसेज ग्रुप (एसएसजी) की तरफ बढ़ते हुए इन हमलावरों की यह अपने हैंडलर से यह आखिरी बातचीत थी।
वारसक रोड पर स्थित स्कूल साढ़े सात घंटे तक आतंकियों के कब्जे में रहा। इस दौरान उनमें और हैंडलर के बीच कई बार बातचीत हुई। पाकिस्तानी सेना प्रमुख राहिल शरीफ ने बुधवार को अफगानिस्तान के अधिकारियों को खुफिया फाइल सौंपी। इसमें आतंकियों और उनके संचालक के बीच हुए संवाद का विस्तार से ब्योरा दिया गया है।

अबुजर ने पूछा था उमर से कि क्या करना है

इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन ने शरीफ की अफगानिस्तान यात्रा पर बयान जारी करके कहा कि इसमें पेशावर घटना के बारे मे अहम खुफिया तथ्यों को साझा किया गया है। पाकिस्तान ने हमलावरों के नाम और बातचीत की ट्रैन्स्क्रिप्ट भी अफगान अधिकारियों को सौंपी। इसमें हमलावर का नाम अबुजर और हैंडलर का नाम कमांडर उमर बताया गया है। उमर अदिजई को उमर नाराय और उमर खलीफा के नाम से भी जाना जाता है। वह सीमांत क्षेत्र पेशावर में तालिबान का अहम दहशतगर्द है। सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि उमर अफगानिस्तान के नन्गराहर प्रांत के नाजियां जिले से बात कर रहा था। अब पाक चाहता है कि अफगानिस्तान उस पर कार्रवाई करे।

खून गवाह है कि कितनी क्रूरता से गोलियां बरसाईं
अधिकारियों का मानना है कि सात आतंकियों ने स्कूल पर हमला किया। इनमें से पांच ने अपने को प्रशासनिक खंड में बम से उड़ा लिया, जबकि दो ने बाहर। हमलावर पीछे की दीवार से सीढ़ी के जरिये चढ़कर आए थे। ये सभी आडिटोरियम में गए। यहां वरिष्ठ वर्ग में एक प्रशिक्षक बच्चों को प्राथमिक चिकित्सा के बारे में बता रहा था।

ऑडिटोरियम के पिछवाड़े तैनात एक चौकीदार शायद आतंकियों का पहला शिकार था, क्योंकि उसका जमा हुआ खून खुले अहाते में मिला। जब हमलावरों को पीछे का दरवाजा बंद मिला तो वे दो मुख्य प्रवेश और निकास द्वार पर पहुंचे।

आतंकियों से मुकाबले को गए बल के एक सैन्य अधिकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा बच्चे यहीं मारे गए। प्रवेश द्वार के दोनों तरफ फैला हुआ खून इस बात का गवाह है कि दहशतगर्दों ने कितनी निर्दयता से अधाधुंध गोलीबारी करके बच्चों के कत्लेआम को अंजाम दिया था। अधिकारी ने बयां किया- वहां बहुत से बच्चे पड़े हुए थे। इनमें से ज्यादातर मर चुके थे। कुछ जीवित थे। ऐसा लगता है कि पहले राउंड की फायरिंग सुनकर छात्र आडिटोरियम के दोनों दरवाजों की तरफ भागे लेकिन वहां आतंकी उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे।

एक सीट पर मिली खून से सनी नोटबुक

मुख्य हाल के भीतर हर जगह खून फैला हुआ था। जो सीट की कतार के पीछे छिपे हुए थे, उन्हें सिर पर एक-एक करके गोली मारी गई। सौ से ज्यादा घायलों और मारे गए बच्चों को प्रवेश द्वार और हाल से निकाला गया। सीट की हर कतार खून से सनी हुई थी। एक सीट पर आठवीं कक्षा के दो बच्चों मुहम्मद असीम और मुहम्मद जाहिद की खून से सनी नोटबुक मिलीं।

खौफनाक मंजर का अंत यही नहीं था। आडिटोरियम के किनारे दाईं तरफ जहां एक प्रशिक्षक प्राथमिक चिकित्सा के बारे में बता रहा था , वहां एक अध्यापिका की गोली लगी और जली हुई लाश पड़ी थी। यह वह शिक्षिका थी जो बच्चों को जाने देने के लिए उनके सामने अनुनय कर रही थी।

कनिष्ठ वर्ग में पहुंचते तो गजब हो जाता
जब स्पेशल सर्विसेज ग्रुप (एसएसजी) के सैनिक वहां पहुंचे और संघर्ष शुरू हुआ तो आतंकी प्रशासनिक खंड की तरफ भागने को मजबूर हुए। यह आडिटोरियम से कुछ मीटर दूर ही है। सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि एसएसजी दस्ते के पहुंचने से पहले यदि दहशतगर्द कनिष्ठ वर्ग में घुस जाते तो मरने वालों की संख्या कहीं इससे ज्यादा हो सकती थी।

चार दहशतगर्दों ने प्रशासनिक खंड में अपने को उड़ाया
प्रशासनिक खंड के भीतर से आतंकियों ने एसएसजी सदस्यों पर फायरिंग की। लेकिन जब आतंकियों के पैर उखड़ने लगे तो उनमें से चार ने लॉबी के भीतर ही आत्मघाती बम से उड़ा लिया। इसका प्रभाव भयावह था। दीवारों पर बाल बेयरिंग के निशान थे। दीवार और सीलिंग पर मांस के लोथड़ा और बाल चिपके हुए थे। एक आत्मघाती आतंकी ने अपने को प्रधानाध्यापिका ताहिरा काजी के दफ्तर में ही उड़ा लिया। उसकी पहचान बाद में हुई। इस आतंकी का पैर वहीं पड़ा हुआ था। प्रधानाध्यापिका के साथ दो छात्र और स्टॉफ के तीन सदस्य प्रशासनिक खंड में मारे गए।

घिरते ही दो आतंकियों ने अपने को उड़ाया
बचे हुए दो आत्मघाती आतंकियों ने एसएसजी की तरफ बढ़ना शुरू किया। इस दस्ते के सदस्यों ने प्रवेश द्वार के किनारे अपनी पोजीशन ले ली थी। इनमें से एक ने अपने को बम से उड़ाया, तुरंत बाद दूसरे ने भी अपनी मौत चुन ली। बम के टुकड़े और बाल बेयरिंग पीछे वाली दीवारों पर टकराए। कुछ प्रवेश द्वार के सामने पेड़ में जा घुसे। इसमें एसएसजी के सात सदस्य जख्मी हो गए। इनमें से एक जवान पेड़ के पीछे खड़ा हुआ था। उसका चेहरा जख्मी हो गया।

इस हमले से उठे कुछ सवाल:-
क्या यह घटना रोकी जा सकती थी?
हां, यदि कुछ अध्यापकों के स्कूल की पश्चिमी और उत्तरी दीवारों की दुर्दशा के बारे में बार-बार आगाह किए जाने पर ध्यान दिया जाता।

क्या हताहतों की संख्या कम हो सकती थी
शायद नहीं। एसएसजी के सदस्य सूचना मिलने के 10 से 15 मिनट के भीतर स्कूल पहुंच गए थे। तब तक आतंकी काफी खून बहा चुके थे।

क्या हमलावरों को आडिटोरियम में बच्चों के एकत्रित होने का पता था?
अधिकारियों ने कहा कि वह नहीं जानते। यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब हम खोजने की कोशिश कर रहे हैं। 
कितने आतंकी थे

वैसे सात आतंकी बताए गए हैं। लेकिन दहशतगर्दों की संख्या और उनकी लोकेशन को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। जब एसएसजी के जवान वहां पहुंचे तो वे एक ब्लाक से दूसरे ब्लाक में गए। उनकी प्राथमिकता में कनिष्ठ बच्चों की सुरक्षा थी।

पोस्टमार्टम पेशावर
तहरीक ए तालिबान के हमले में कई छात्रों, अध्यापक और प्रधानाध्यापिका की मौत हो गई। कुछ छात्र जख्मी हो गए। आइए इनमें से कुछ के बारे में जानें-

प्रधानाध्यापिका ताहिरा आप शहीद हैं

पब्लिक आर्मी स्कूल पेशावर की प्रधानाध्यापिका ताहिरा काजी का बेहद सम्मान था। वह इस इलाके की सबसे अनुभवी अध्यापिका थीं। उनकी मौत तालिबान के हमले में हुई। उनके स्कूल के कुछ अधिकारी-कर्मचारी भी इस हमले में मारे गए। ताहिरा ने हमलावरों के बीच से कई छात्रों को निकाला। उन्होंने कई बच्चों के माता-पिता को फोन कर उन्हें ले जाने को भी कहा, लेकिन वह अपनी जान नहीं बचा सकीं। आज पेशावर के ही नहीं पूरे पाकिस्तान के छात्र उनकी मौत से गम में डूबे हुए हैं। सोशल मीडिया पर ताहिरा को श्रद्धाजंलि दी जा रही है। एक छात्र ने ट्वीट किया- हमारी प्यारी टीचर, आप शहीद हैं।

सईद खान, अध्यापक
हमलावरों ने अध्यापक सईद खान को भी कत्ल कर दिया। उनका अंतिम संस्कार पेशावर में किया गया। सईद न सिर्फ बेहतरीन शिक्षक थे, बल्कि वह आम लोगों की मदद करने वाली संस्था बिन कुतुब फाउंडेशन  की तरफ से हिस्सेदारी करते थे।

उस्मान अब्बासी, छात्र
दसवीं कक्षा के छात्र उस्मान सादिक अब्बासी का शव अंतिम संस्कार ऐबटाबाद में किया जाएगा।

शाहरुख खान, जख्मी छात्र
बकौल शाहरुख जब आठवीं से दसवीं के छात्रों के प्राथमिक चिकित्सा पर विशेष कार्यक्रम चल रहा था तब हॉल में गोलियों की आवाज सुनाई दी। कई लोग वहां घुस आए। वे गोलियां दागने लगे। तब प्रधानाध्यपिका और कई अध्यापक वहीं थे। शाहरुख के दोनों पैरों में गोलियां लगीं। वह स्कूल परिसर से निकलने में सफल रहे।

यासिरूल्लाह, छात्र
यासिरूल्लाह की आयु आठ साल थी। वह पेशावर के पत्रकार मंजूर अली के रिश्तेदार थे।

सोफिया अमजद, शिक्षक
पेशावर के एक वकील की पत्नी सोफिया अमजद बहुत अच्छी शिक्षक थीं। सोनिया अपनी बेटियों का विवाह करने का सपना पाले हुई थीं। लेकिन आतंकियों ने उन्हें मार डाला।

शेर शाह, छात्र
शेर की उम्र 15 साल थी। उसके पिता सीमेंट फैक्ट्री में कर्मचारी हैं।

मोबिन शाह आफरीदी, छात्र
मोबिन इंजीनियर या डॉक्टर बनने का ख्वाहिशमंद था। उसके सिर पर पीछे से गोली मारी गई। दरअसल वह खिड़की खोलकर बाहर निकलने का प्रयास कर रहा था। उसका अंतिम संस्कार बुधवार को किया गया।

ऐमल खान, छात्र
ऐमल की उम्र 20 साल थी। उसकी मौत की पुष्टि उसके एक साथी ने की ।

हयात उल्लाह, छात्र
हयात सैन्य अधिकारी मेजर सिकंदर का बेटा था।

बीनिस परवेज, शिक्षक
स्कूल की अध्यापिका परवेज की मौत आतंकी हमले में हुई।

नुरुल्लाह और सैफुल्लाह दुर्रानी, छात्र
दोनों भाई मंगलवार को नए जूते पहनकर गए थे। लिहाजा दोनों बहुत खुश थे। नुरुल्लाह की मौत के बाद सैफुल्लाह ने अपनी बड़ी बहन से कहा कि वह छोटी बहन को बचाएं।

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