जुझारू डॉ निर्मल सिंह को मिला मेहनत का फल
गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले जुझारू नेता डॉ निर्मल सिंह ने अपनी मेहनत, लगन तथा समाज सेवा की बदौलत शिक्षा और राजनीति के क्षेत्र में ऊंचा मुकाम हासिल किया है। दिवंगत ठाकुर गजय सिंह की चार...
गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले जुझारू नेता डॉ निर्मल सिंह ने अपनी मेहनत, लगन तथा समाज सेवा की बदौलत शिक्षा और राजनीति के क्षेत्र में ऊंचा मुकाम हासिल किया है।
दिवंगत ठाकुर गजय सिंह की चार सन्तानों में सबसे छोटे डॉ सिंह का जन्म कठुआ जिले की बसोहली तहसील के करणवारा में एक दिसंबर 1955 में हुआ था। इनकी माता का नाम अंचलो देवी है और पिता महाराजा फौज में सिपाही थे। डॉ सिंह का जीवन गरीबी में बीता।
जम्मू विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर डॉ सिंह ने तीन बार लोकसभा और एक बार विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हर बार हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने 2004 में जम्मू- पुंछ और 2009 में डोडा-ऊधमपुर संसदीय सीट से तथा 2008 में गाँधीनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। वर्ष 2002 में उन्होंने लोकसभा उप चुनाव भी लड़ा था।
इस बार बिलावर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने वाले डॉ सिंह दसवीं कक्षा से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गये थे। वह आपातकाल में दो बार जेल भी गये। जम्मू में आयुर्वेद कॉलेज की स्थापना को लेकर चले आंदोलन में 1978 में भी 18 दिनों तक जेल में बंद रहे।
वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री और बाद में 1991 - 94 तक एबीवीपी की राज्य इकाई के अध्यक्ष रहे। इसके बाद वह भाजपा की राज्य इकाई को लेकर चली ट्रैक टू डिप्लोमेसी के तहत उन्होंने पाकिस्तान ,श्रीलंका, कनाडा, इटली, मिस्र्, स्वीडन जैसे देशों की यात्रा की और सशक्त तरीके से भारत का पक्ष रखा।
चीन में वर्ष 2010 में आयोजित गरीबी उन्मूलन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में वह सर्वदलीय पाँच सदस्यीय दल में शामिल थे।