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पूर्ण युद्ध शायद ही हों, अदृश्य शत्रु के लिए रहें तैयार: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि पूर्ण युद्ध शायद ही हों, लेकिन सैन्य ताकत प्रतिरोध का हथियार बनी रहेगी। सैन्य कमांडरों के सालाना सामूहिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि...

पूर्ण युद्ध शायद ही हों, अदृश्य शत्रु के लिए रहें तैयार: मोदी
एजेंसीFri, 17 Oct 2014 07:35 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि पूर्ण युद्ध शायद ही हों, लेकिन सैन्य ताकत प्रतिरोध का हथियार बनी रहेगी। सैन्य कमांडरों के सालाना सामूहिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि सुरक्षा बल भारत के प्रति दूसरों के बर्ताव को प्रभावित करेंगे।

तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ अपने पहले संवाद में प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्ण युद्ध शायद ही होंगे, लेकिन प्रतिरोध तथा दूसरों का बर्ताव प्रभावित करने के हथियार के तौर पर बल अपनी भूमिका निभाते रहेंगे। संघर्षों की अवधि छोटी होगी।

उन्होंने कहा कि खतरे ज्ञात हो सकते हैं लेकिन शत्रु अदश्य हो सकता है। प्रधानमंत्री के ये बयान हाल ही में पाकिस्तान द्वारा सीमा पर संघर्ष विराम उल्लंघन करने और नियंत्रण रेखा तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तनाव के साथ-साथ लद्दाख में चीनी घुसपैठ की पृष्ठभूमि में आये हैं।

मोदी ने कहा कि मौजूदा समय से आगे हमारे सामने एक भविष्य है, जहां सुरक्षा चुनौतियों का पूर्वानुमान बहुत कम हो सकेगा, हालात तेजी से बनेंगे और बदलेंगे तथा  रफ्तार बनाये रखने के लिहाज से तकनीकी परिवर्तन प्रतिक्रिया को कठिन बनाएंगे।

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत आर्थिक विकास के अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सके, उसके लिए शांति तथा सुरक्षा का माहौल बहुत जरूरी है तथा उनकी सरकार ने अनुकूल बाहरी माहौल बनाने तथा भारत की सुरक्षा मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है।

मोदी ने अपने रणनीतिक दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए कहा कि जानी-पहचानी चुनौतियों के अलावा भारत को बदलती दुनिया के लिए तैयार रहना होगा, जिसमें आर्थिक, कूटनीतिक एवं सुरक्षा नीतियों के संबंध में हमसे नये विचारों की अपेक्षा है।

उन्होंने कहा कि साइबर क्षेत्र का प्रभुत्व और बढ़ेगा तथा इस क्षेत्र का नियंत्रण पृथ्वी, वायु और समुद्र की तरह महत्वपूर्ण होगा। भारत के रक्षा बलों में बदलाव की जरूरत महसूस करते हुए प्रधानमंत्री ने बलों को पूरी तरह रक्षा तैयारियों, कमियों को दूर करने और आधुनिकीकरण की जरूरतों के लिहाज से पर्याप्त संसाधन मुहैया कराने की अपनी प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि बल की क्षमता महत्व रखती है।

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