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पुणे भूस्खलन में 17 मरे, 100 से अधिक दब गए

महाराष्ट्र के पुणे जिले के एक गांव में बुधवार को भारी वर्षा के बीच भूस्खलन के कारण कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई और 160 से ज्यादा लोग मलबे के तले दब गए। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के 400 कर्मी खराब मौसम...

पुणे भूस्खलन में 17 मरे, 100 से अधिक दब गए
एजेंसीThu, 31 Jul 2014 09:47 AM
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महाराष्ट्र के पुणे जिले के एक गांव में बुधवार को भारी वर्षा के बीच भूस्खलन के कारण कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई और 160 से ज्यादा लोग मलबे के तले दब गए। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के 400 कर्मी खराब मौसम के बावजूद पत्थरों और गारे के मलबे से जीवित बचे लोगों और शवों को निकालने का प्रयास कर रहे हैं।

अधिकारियों ने बताया कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। मलबे से जीवित निकाले गए 14 व्यक्तियों को निकटवर्ती प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया है। खेड़़़मांचर में स्थापित आपात नियंत्रण कक्ष के सूत्रों ने यह जानकारी दी।

पहले की एक खबर में 15 लोगों को मलबे से जीवित निकाले जाने की बात कही गई थी। मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने बताया कि 160 से ज्यादा लोगों के 44 मकानों के मलबे में दबे होने का अंदेशा है। आज सुबह भारी बारिश के कारण पहाड़ का एक बड़ा पत्थर टूटकर इन मकानों पर आ गिरा।

केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह इस आपदा के शिकार मालिन गांव का दौरा करेंगे। जिले के अंबेगांव  तालुका का यह गांव जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर के फासले पर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हादसे में लोगों के मरने पर दुख व्यक्त किया और सिंह से हालात का जायजा लेने के लिए पुणे जाने को कहा।

दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने भूस्खलन में लोगों के मरने पर दुख व्यक्त किया और प्रभावित लोगों की मदद के लिए हर संभव मदद मुहैया कराने का निर्देश दिया।

अपनी यात्रा के दौरान गह मंत्री प्रभावित लोगों से मिलेंगे और बचाव अभियान का मुआइना करेंगे। उम्मीद है कि वह स्थानीय अधिकारियों के साथ एक बैठक भी करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजनाथ सिंह के साथ इस हादसे के बारे में बाद की, जिसके बाद सिंह पुणे के लिए रवाना हुए।

पुणे के कलक्टर सौरव राव ने बताया कि मलबा हटाने के लिए विशाल मशीनें लगाई गई हैं, लेकिन बचावकर्मी इनका इस्तेमाल बहुत धीरे और सावधानी से कर रहे हैं ताकि इनके कारण मलबे में फंसे किसी जीवित व्यक्ति को चोट न लगे।

घटनास्थल पर आसपास के इलाकों के बहुत से लोग जमा हो गए हैं और वह गिरे हुए पेड़ों और पत्थरों को हाथों से हटाकर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के 300 कर्मियों के राहत प्रयासों में मदद कर रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार बहुत से जानवर और एक मंदिर भी मलबे में दब गए।

भारी बारिश और भूस्खलन के कारण संचार की जो लाइनें बाधित हो गई हैं उन्हें बहाल करने की कोशिश की जा रही है।

सूत्रों के अनुसार बचावकर्मी बिना रूके मलबा हटाने के काम में लगे हैं ताकि अंधेरा होने से पहले ज्यादा से ज्यादा लोगों को जीवित निकाला जा सके। रुक रुककर हो रही बारिश उनके काम को मुश्किल बना रही है।

इस बीच राकांपा ने इस हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और राजनीतिक दलों से त्रासदी का राजनीतिकरण न करने की ताकीद की।

राकांपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष सुनील तत्करे ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा, मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री घटनास्थल पर पहुंच गए हैं और राहत अभियानों की निगरानी कर रहे हैं। राज्य सरकार का यह दायित्व है कि वह हादसे के शिकार लोगों को तत्काल राहत मुहैया कराए, जैसा राज्य सरकार कर रही है। एक बार जब लोगों को मलबे से निकालने का काम हो जाएगा तो राज्य सरकार प्रभावितों को मदद मुहैया कराएगी। हम भी एक पार्टी के तौर पर लोगों की मदद का रास्ता निकालेंगे।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाएं राजनीति खेलने का मैदान बन गई हैं, लेकिन इस तरह की आपदाओं पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।

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