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उत्तर प्रदेश और बिहार में दिखेगा छह दलों के मेल का असर

जनता परिवार के छह दलों के विलय असर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और हरियाणा की प्रदेश राजनीति में देखने को मिलेगा। इनमें सबसे पहले बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं जबकि यूपी में डेढ़ साल बाद चुनाव...

उत्तर प्रदेश और बिहार में दिखेगा छह दलों के मेल का असर
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 16 Apr 2015 12:53 PM
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जनता परिवार के छह दलों के विलय असर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और हरियाणा की प्रदेश राजनीति में देखने को मिलेगा। इनमें सबसे पहले बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं जबकि यूपी में डेढ़ साल बाद चुनाव होंगे। दलों के विलय के बाद असली चुनौती कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं को सामंजित करने की होगी।

उत्तर प्रदेश
जनता परिवार की चुनौतियां
सपा को छोड़कर बाकी दलों का यूपी में असर बेहद सीमित है
राष्ट्रीय जनता दल का असर नगण्य है। जदयू वोट पाने के लिए लिहाज से राजद से कुछ बेहतर जरूर है
अब राजद, जदयू के कार्यकर्ताओं को नए सियासी साथियों के साथ मिल कर काम करना होगा
नीतीश के अलावा अब बाकी दलों को अखिलेश सरकार के लिए भी प्रचार अभियान में जुटना होगा

संभावनाएं
नई पार्टी के सभी घटकों को यूपी चुनावी जंग लड़ने के लिए मनोबल बढ़ेगा
नीतीश, शरद और लालू की लोकप्रियता यहां भी रही है। उनके प्रचार में उतरने से नई पार्टी व कार्यकर्ता उत्साहित होंगे
भविष्य में इस नई पार्टी के साथ वामपंथी दल भी जुड़ सकते हैं, हालांकि उनका प्रभाव प्रदेश में सीमित ही है

विलय पर जदयू् ने जताई खुशी
नई दिल्ली में जनता परिवार के विलय की औपचारिक घोषणा होते ही जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश कार्यालय पर खुशियां मनाई गईं। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश निरंजन ने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का यह फैसला स्वागतयोग्य है।

बिहार
बिहार में चुनौतियां
राजद और जदयू का जनाधार परस्पर विरोधी रहा है। विलय के बाद समर्थक मतदाताओं को साथ लाना कठिन होगा
दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के रिश्ते 36 के रहे हैं। कार्यकर्ताओं को साथ लाना आसान नहीं होगा
नीतीश और लालू के मिजाज और अंदाज जुदा हैं। दोनों में तालमेल बनाने में मुश्किलें आएंगी
एक पार्टी बन जाने के बाद सांगठनिक ढांचा बदलेगा। ऐसे में प्रदेश से जिला अध्यक्षों तक का चयन किस आधार पर होगा

संभावनाएं
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विकास और साफ सुथरी राजनीति की छवि। प्रतिकूल परिस्थितियों में बिहार में बदलाव लाने का श्रेय
नीतीश-लालू दोनों समाजवादी हैं। दोनों के अलग होने से वोटर दो खेमे में बंटे थे जो साथ आ सकते हैं।
बीते वर्ष के लोकसभा और 2010 के विधानसभा चुनावों में दोनों को मिले वोट करीब 37 प्रतिशत हैं। यह भाजपा के वोट से ज्यादा है
लालू-नीतीश को कांग्रेस और वामदलों का भी समर्थन है। सबका मिलाजुला वोट 47 फीसदी है।

जनता परिवार का महाविलय बीरबल की खिचड़ी बन गई है। छह महीने की कवायद के बावजूद न नाम तय हो पाया है, न झंडा, न चुनाव चिन्ह। महाविलय की कोशिश में लगे नेता ‘एको अहम् द्वितीयो नास्ति’ की तर्ज पर अपनी-अपनी पार्टी के सुप्रीमो हैं और अब तक अपनी पार्टी को प्राइवेट लिमिटेड बना कर रखे हुए हैं।
सुशील मोदी, नेता, भाजपा

हरियाणा में 17 साल बाद खत्म होगी इनेलो
हरियाणा विधानसभा में इस समय इनेलो के 20 विधायक और दो लोकसभा और एक राज्यसभा सांसद है। पार्टी के दो बडे़ नेता जेल में होने के कारण पार्टी के समक्ष राष्ट्रीय स्तर पर पहचान की समस्या है। राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाए रखने के उद्देश्य से ही इनेलो ने विलय फैसला लिया है। दिल्ली में हुए इस फैसले के बाद हरियाणा में पार्टी कार्यकर्ता असमंजस में हैं। ओमप्रकाश चौटाला ने अप्रैल, 1998 में इंडियन नेशनल लोकदल की नींव डाली थी। देवीलाल परिवार ने इस बैनर तले कई चुनाव लड़े। प्रदेश में सरकार भी बनाई। अब नए फैसले के बाद इनेलो नए स्वरूप में जनता के सामने होगी।

झारखंड

क्या होगा असर
झारखंड में जनता दल परिवार के तीन प्रमुख दल जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता और समाजवादी पार्टी का ही प्रभाव है। राज्य बनने के बाद से यहां राजद और जदयू के विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचते रहे हैं। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद का झामुमो व कांग्रेस के साथ गठबंधन था पर लाभ नहीं मिला।

बढ़ेगी ताकत
अभी राजद के प्रदेश अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह, जदयू के जलेश्वर महतो और समाजवादी पार्टी के मनोहर यादव ने इस जनता परिवार के एकीकरण को झारखंड के लिए आनेवाले दिनों के लिए बड़ी राजनीतिक शक्ति करार दिया है।

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