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आधे से अधिक सजा काट चुके कैदी रिहा हों: कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उन सभी विचाराधीन कैदियों की रिहाई का आदेश दिया जो उनके अपराध के लिये निर्धारित सजा से आधी से अधिक अवधि जेल में गुजार चुके हैं। इससे उन तमाम गरीब विचाराधीन कैदियों को...

आधे से अधिक सजा काट चुके कैदी रिहा हों: कोर्ट
एजेंसीFri, 05 Sep 2014 05:48 PM
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उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उन सभी विचाराधीन कैदियों की रिहाई का आदेश दिया जो उनके अपराध के लिये निर्धारित सजा से आधी से अधिक अवधि जेल में गुजार चुके हैं। इससे उन तमाम गरीब विचाराधीन कैदियों को राहत मिलेगी जो रिहाई के लिये कोई जमानत या मुचलका देने की स्थिति में नहीं है।

प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति रोहिन्टन नरीमन की खंडपीठ ने देश की जेलों में बंद कैदियों मे 60 फीसदी विचाराधीन कैदी होने पर चिंता व्यक्त की। न्यायालय ने निचली अदालतों के न्यायिक अधिकारियों को आदेश दिया कि एक अक्टूबर से अपने अधिकार क्षेत्र की प्रत्येक जेल का दौरा करने और ऐसे विचाराधीन कैदियों का पता लगाकर उनकी तत्काल रिहाई सुनिश्चित करें। न्यायालय ने दो महीने के भीतर यह काम पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

न्यायाधीशों ने अपने आदेश में कहा कि न्यायिक अधिकारी :मजिस्ट्रेट-सत्र न्यायाधीश-मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट: उन कैदियों की पहचान करेंगे जो उनके खिलाफ लगे आरोपों के लिये प्रदत्त अधिकतम सजा की आधी अवधि पूरी कर चुके हैं। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436-ए के तहत निर्धारित प्रक्रिया पर अमल करने के बाद वे जेल में ही ऐसे कैदियों की रिहाई का आदेश पारित करेंगे।

न्यायालय ने आदेश में कहा कि वे धारा 436-ए को प्रभावी तरीके से लागू कराने के उद्देश्य से दो महीने के लिये अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली प्रत्येक जेल में सप्ताह में एक बार जायेंगे।

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436-ए विचाराधीन कैदी को अधिकतम अवधि तक हिरासत में रखने के बारे में है। इसमें प्रावधान है कि यदि ऐसा कैदी उसके अपराध की अधिकतम सजा की आधी अवधि जेल में गुजार चुका हो तो अदालत उसे निजी मुचलके पर या बगैर किसी जमानती के ही रिहा कर सकती है।

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ऐसे कैदियों की रिहाई के लिये न्यायिक अधिकारियों द्वारा फैसला किये जाते वक्त किसी वकील की उपस्थिति जरूरी नहीं है।

न्यायालय ने कहा कि न्यायिक अधिकारी यह काम पूरा करने के बाद संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के पास अपनी रिपोर्ट दाखिल करेंगे। इसके बाद उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के पास रिपोर्ट भेजेंगे।

एक अनुमान है कि देश की जेलों में बंद करीब तीन लाख 81 हजार कैदियों में लगभग दो लाख 54 हजार विचाराधीन कैदी हैं। कुछ मामलों में तो विचाराधीन कैदी उनके अपराध के लिये उन्हें मिलने वाली वास्तविक सजा से भी ज्यादा समय जेल में बिता चुके हैं।

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