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राष्ट्रीय स्मारक बनने की राह देख रहा लमही

हिन्दी कथा साहित्य को तिलिस्मी कहानियों के झुरमुट से निकालकर जीवन के यथार्थ की ओर मोड़नेवाले कथाकार मुंशी प्रेमचंद की पीड़ा अब भी मौजूद है। उन घोषणाओं में, फाइलों में और हर साल 31 जुलाई को जयंती के...

राष्ट्रीय स्मारक बनने की राह देख रहा लमही
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 31 Jul 2014 02:22 PM
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हिन्दी कथा साहित्य को तिलिस्मी कहानियों के झुरमुट से निकालकर जीवन के यथार्थ की ओर मोड़नेवाले कथाकार मुंशी प्रेमचंद की पीड़ा अब भी मौजूद है। उन घोषणाओं में, फाइलों में और हर साल 31 जुलाई को जयंती के अवसर पर।

रंगारंग कार्यक्रम, प्रतियोगिता एवं नाटक के जरिये भले ही मुंशीजी को याद कर लें मगर जिस स्थान पर बैठकर उन्होंने कालजयी रचना की उसे राष्ट्रीय स्मारक बनाने की घोषणा फाइलों में कैद है। बीते नौ साल से फाइल कहां और किस सरकारी दफ्तर के चौखट पर है, अफसरों को पता नहीं।

वर्ष 2005 में केन्द्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी मुंशी प्रेमचंद जयंती पर उनकी जन्म स्थली को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की घोषणा की थी। इसके लिए वाराणसी विकास प्राधिकरण एवं संस्कृति विभाग ने बकायदे प्रस्ताव तैयार किया था। प्रस्ताव शासन के साथ ही केन्द्र सरकार को भेजा गया। उसके बाद से मामला ठंडे बस्ते में है। मुंशी प्रेमचंद स्मारक भवन एवं विकास समिति के लोगों ने कई बार इस मुद्दे को उठाया। प्रदेश से लगायत केन्द्र तक पर्यटन मंत्रालय को पत्र लिखा लेकिन प्रोजेक्ट पर कोई पहल नहीं हुई। वीडीए के सहायक अभियंता आरएस श्रीवास्तव को प्रोजेक्ट के बारे में मालूम ही नहीं है।

वही संस्कृति विभाग के निदेशक रत्नेश वर्मा कहते हैं शोध संस्थान के लिए सरकार ने तीन करोड़ दिए हैं लेकिन राष्ट्रीय स्मारक का प्रस्ताव था यह नहीं मालूम। बहरहाल खेतों, कारखानों एवं सड़कों पर जिंदगी के लिए संघर्ष करने वाले गरीबों की कहानियों के जरिए पीड़ा बयां करने वाले इस महान रचनाकार के लिए की गई घोषणा जमीन पर कब उतरेगी, काशी के लोगों को इंतजार है।

संस्कृति विभाग के प्रयास के बाद मुंशी प्रेमचंद शोध संस्थान एवं अध्ययन के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया है। लमही गांव में मुंशीजी के आवास के समीप बन रहे शोध संस्थान पर तीन करोड़ खर्च होंगे। इस योजना को मूर्त रूप दे रहा है काशी हिन्दू विश्वविद्यालय। क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र के प्रमुख रत्नेश वर्मा कहते हैं कि शोध संस्थान का निर्माण एक साल में पूरा हो जाएगा। कहा कि शोध संस्थान एवं अध्ययन केन्द्र में मुंशी प्रेमचंद से जुड़ी सभी कृतियां होंगी। साहित्यकारों के अलावा देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र मुंशीजी के विधाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। श्री वर्मा का कहना है कि लमही को हेरिटेज विलेज के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव है। जिससे कि वहां की मूलभूत सुविधाओं एवं प्रेमचंद की यादों को संजोया जा सके। इसके लिए एक प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया है।

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