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ग्रीनपीस कार्यकर्ता को लंदन जाने की इजाजत नहीं

सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि ग्रीनपीस कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई को लंदन यात्रा करने की इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि, वह वहां पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त होंगी। हालांकि...

ग्रीनपीस कार्यकर्ता को लंदन जाने की इजाजत नहीं
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 06 Feb 2015 09:28 PM
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सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि ग्रीनपीस कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई को लंदन यात्रा करने की इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि, वह वहां पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त होंगी। हालांकि हाईकोर्ट ने प्रिया पिल्लई को लंदन यात्रा की इजाजत नहीं दिए जाने को अनुचित बताया और कहा कि सरकार को राष्ट्रवाद और उद्धत राष्ट्रवाद के बीच अंतर करने के लिए एक रेखा खींचनी होगी।

पिल्लई को गत 11 जनवरी को यहां स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लंदन जाने वाली एक उडमन से नीचे उतार लिया गया था। पिल्लई ने मध्य प्रदेश के माहन में कथित मानवाधिकार उल्लंघन पर ब्रिटिश सांसदों के समक्ष एक प्रस्तुति देने के लिए ब्रिटेन की राजधानी की यात्रा करने की अनुमति मांगी है। सुनवाई के दौरान केन्द्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने जस्टिस राजीव शंखधर को सूचित किया कि पिल्लई के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर राष्ट्रीय हित और गुप्तचर ब्यूरो की सलाह पर है। हाईकोर्ट ने पिल्लई को लंदन की यात्रा करने की इजाजत नहीं दिये जाने पर चिंता जताई और कहा कि सरकार को राष्ट्रवाद और उद्धत राष्ट्रवाद के बीच अंतर करने के लिए एक रेखा खींचनी होगी। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार का निर्णय उचित नहीं है क्योंकि ऐसे कई लोग हैं जो विभिन्न राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं लेकिन विदेश की यात्रा कर रहे हैं।

वहीं, एएसजी ने कहा कि पिल्लई की लंदन यात्रा देश के लिए एक गंभीर खतरा थी और वह वहां पर जो भाषण देने वाली हैं वह राष्ट्र विरोधी है। उनके नाम से वित्तपोषित यात्रा टिकट भी एक ऐसे संगठन की ओर से है जो गृह मंत्रालय की निगरानी सूची में है। एएसजी ने यह भी कहा कि गोपनीय दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि सरकार पिल्लई को केवल इसी यात्रा के लिए रोक रही है क्योंकि उसके पास गुप्तचर ब्यूरो से विशिष्ट जानकारी है। इस बीच हाईकोर्ट ने सरकार को क्षेत्रीय विदेशी पंजीकरण अधिकारी की रिपोर्ट में उल्लेखित अपने आरोपों के संबंध में एक जवाबी हलफनामा 10 फरवरी तक दाखिल करने का निर्देश दिया। हालांकि मामले पर अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी।

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