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समिति की सिफारिश के बावजूद नहीं होगा रेलवे का निजीकरण: प्रभु

सरकारी समिति की सिफारिश के बावजूद रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेलवे के निजीकरण को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह हौआ वे लोग खड़ा कर रहे हैं जो किसी प्रकार का बदलाव नहीं चाहते। उन्होंने...

समिति की सिफारिश के बावजूद नहीं होगा रेलवे का निजीकरण: प्रभु
एजेंसीSun, 03 May 2015 05:36 PM
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सरकारी समिति की सिफारिश के बावजूद रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेलवे के निजीकरण को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह हौआ वे लोग खड़ा कर रहे हैं जो किसी प्रकार का बदलाव नहीं चाहते।

उन्होंने कहा कि निजीकरण की धारणा भ्रामक संकेत देती है और इसमें किसी उद्यम का मालिकाना हक किसी दूसरी इकाई या प्रबंधन को हस्तांतरित करने का विचार होता है जो रेलवे में संभव नहीं है।

प्रभु ने कहा कि रेलवे लगातार भारत सरकार के नियंत्रण में बनी रहेगी और सरकार ही इसका प्रबंधन करेगी, हम बदलाव चाहते हैं पर मालिकाना हक में नहीं। हम ऐसा बदलाव नहीं चाहते कि कोई रेलवे की मूल्यवान संपत्ति को चलाये। हम रेलवे के कामकाज में सुधार के लिये निजी निवेश या प्रौद्योगिकी चाहते हैं ताकि रेलवे और मूल्यवान बने।

सरकार द्वारा गठित बिबेक देवराय की अध्यक्षता वाली समिति ने घाटे में चल रही रेलवे के निगमीकरण की सिफारिश की है और सुझाव दिया है कि रेल मंत्रालय को केवल नीति निर्माण के लिये जिम्मेदार होना चाहिए और निजी कंपनियों को यात्री, माल ढुलाई का जिम्मा दिया जाना चाहिए। इन सुझावों पर जारी चर्चा के बीच प्रभु ने यह बात कही है।

रेलवे पर कैग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रेलवे अपनी यात्री परिचालन लागत तथा अन्य कोच सेवाओं की लागत को पूरा करने में विफल रही है और 2011—12 में इस मद में 23,643 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

निजीकरण का विरोध किये जाने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर सुरेश प्रभु ने कहा कि दुर्भाग्य से इस प्रकार की शब्दावली एक वैचारिक बहस हैं। यह अनावश्यक और बेमतलब का टकराव है। हमारा मतलब यह है कि हम रेलवे की सेवा गुणवत्ता में सुधार चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि इसीलिए सेवा में जो भी गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी, बेहतर लाभ लाना चाहते हैं, उसे हमारे पास जो भी संसाधन है, उसके जरिये लाया जाना है। अगर हम अपने स्तर पर इसे कर सकते हैं, हमें करना चाहिए। अगर हम समझते हैं कि हम इसे अपने स्तर पर नहीं कर सकते तब हमें निश्चित रूप से बाहर से पूंजी, प्रौद्योगिकी और एजेंसी लानी चाहिए। लेकिन यह सब मालिकाना हक में हस्तांतरण के लिये जरिये नहीं होना चाहिए।

प्रभु ने कहा कि निजीकरण का हौआ वे लोग खड़ा कर रहे हैं जो बदलाव नहीं चाहते। हालांकि, यह प्रदर्शन और सुविधाओं में सुधार के लिये है।

जापान द्वारा 650 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड वाली रेल शुरू किये जाने का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हम कहां हैं अगर हमारे पास प्रौद्योगिकी नहीं है तो क्या हमें पीछे रहना चाहिए हमें आंखें बंद करके नहीं रहना चाहिए। यह संभव नहीं है। इसीलिए हमें उस ओर ध्यान देना चाहिए कि कौन प्रौद्योगिकी दे सकता है, वह हमारा सहयोगी होगा।

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