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पुलिस इस तरह पहुंची गौरी के हत्यारों तक

गौरी श्रीवास्तव हत्याकांड में एसटीएफ ने उसके 7 करीबी दोस्तों को पुराने शहर से उठाया है। एसटीएफ अधिकारी ने बताया कि गौरी की फेसबुक आईडी व फोनबुक में दर्ज नम्बरों को खंगाला गया। शक के घेरे में आए 7...

पुलिस इस तरह पहुंची गौरी के हत्यारों तक
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 08 Feb 2015 01:54 PM
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गौरी श्रीवास्तव हत्याकांड में एसटीएफ ने उसके 7 करीबी दोस्तों को पुराने शहर से उठाया है। एसटीएफ अधिकारी ने बताया कि गौरी की फेसबुक आईडी व फोनबुक में दर्ज नम्बरों को खंगाला गया।

शक के घेरे में आए 7 लोगों के नाम-पते ट्रेस कर हिरासत में लिया गया है।

दो युवकों को छोड़ा

कसाईबाड़ा से उठाए गए दो युवकों से सुराग न मिलने पर शनिवार को उन्हें छोड़ दिया गया। डीजीपी एके जैन ने हत्यारों का सुराग बताने वाले को 50 हजार रुपए का पुरस्कार देने की घोषणा की है। खुलासा करने वाली पुलिस टीम को भी इतना ही नगद पुरस्कार मिलेगा।

तीन फेसबुक अकाउंट

जांच से जुड़े अफसरों ने बताया कि गौरी के फेसबुक पर तीन अकाउंट हैं। दो अकाउंट पर दर्ज जानकारियां फर्जी हैं। इन सभी पर सैकड़ों लोग उससे जुड़े हैं। इन अकाउंट पर जुड़े 40% दोस्त भी फर्जी आईडी से जुड़े हैं। ऐसे में फेसबुक के जरिए संदिग्ध को तलाशने में पुलिस को पसीने छूट रहे हैं।

व्हाट्सएप ने फंसाया जांच में पेंच

गौरी हत्याकांड की जांच से जुड़े एसटीएफ के अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि गौरी ने फोन पर बातचीत कम की। व्हाट्सएप के जरिए मैसेज से ही सवाल-जवाब अधिक किए गए थे।

व्हाट्सएप पर किन नम्बरों पर मैसेज किए गए, इसे तो पता किया जा सकता है। हालांकि मैसेज में क्या लिखा था, इसे पता कर पाना बेहद मुश्किल है।

गौरी के पास थे दो फोन

एसटीएफ अधिकारियों ने बताया कि गौरी के पास दो मोबाइल फोन थे। रविवार को वह घर से केवल एक ही मोबाइल लेकर निकली थी। दूसरा मोबाइल घर पर छूट गया था। उसे कब्जे में लिया गया।

उसकी फोनबुक में ज्यादा नम्बर नहीं हैं। इस मोबाइल पर गौरी इंटरनेट का इस्तेमाल कम करती थी। हालांकि जो मोबाइल वह साथ लेकर निकली थी, उस पर इंटरनेट का इस्तेमाल ज्यादा होता था।

उसी नम्बर पर व्हाट्सएप के जरिए कई लोगों से लम्बी बात हुई थी। गौरी से व्हाट्सएप पर बात करने वाले करीब 37 मोबाइल नम्बर एसटीएफ ने ट्रेस कर लिए हैं।

फिलहाल 18 मोबाइल नम्बरों की जांच की गई है। ये सभी नम्बर फर्जी आईडी पर लिए गए थे।

दो और इंस्पेक्टर टीम में शामिल

शनिवार को एसएसपी यशस्वी यादव ने नाका और गुड़म्बा इंस्पेक्टर को भी वारदात के खुलासे में लगा दिया। अमीनाबाद पुलिस, सर्विलांस सेल, क्राइम ब्रांच, एसटीएफ और पीजीआई पुलिस पहले से ही जांच में लगी है। संदिग्ध की बाइक पुलिस शनिवार को भी ट्रेस नहीं कर सकी।

कोट कवर के ‘कैमल’ को तलाश रही पुलिस

पुलिस ने बताया कि गौरी का धड़ जिस कोट कवर में लिपटा मिला था, वह जूट का था। कवर पर कंपनी ‘कैमल’ की मुहर लगी थी। चूंकि गौरी की लोकेशन अधिकतर अमीनाबाद और कैसरबाग के आसपास मिली है।

यह भी पता चला है कि अमीनाबाद में गौरी की लोकेशन करीब दो घंटे तक स्थिर रही थी। इसी से अंदाजा लगाया जा रहा है कि हत्या भी यहीं कहीं आसपास की गई। लिहाजा कोट का कवर भी हत्यारे ने अमीनाबाद, नजीराबाद या कैसरबाग से ही खरीदा होगा।

शनिवार को एसटीएफ ने इलाके की उन 13 दुकानों को खंगाला जहां कोट कवर बिकते हैं। इनमें से ‘कैमल’ ब्रांड का कवर बेचने वाला कोई नहीं मिला। पुलिस का कहना है कि रविवार को भी दुकानें खंगाली जाएंगी। जो ‘कैमल’ ब्रांड का कवर बेचते हैं, उनकी दुकान की सीसी फुटेज को कब्जे में लिया जाएगा।

पूर्वाचल और सीतापुर वाली टीम खाली हाथ

पुलिस की जिन टीमों ने संदिग्धों की तलाश में पूर्वाचल और सीतापुर में डेरा डाला था, वे भी खाली हाथ हैं। लोकेशन मिलने के बाद टीमों को रवाना किया गया था। लेकिन वहां पहुंचने के बाद सुराग नहीं मिला।

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