मैं जीना चाहती हूं...उन्हें सजा दिलाना चाहती हूं...
राजधानी में 16 दिसंबर की रात चलती बस में सामूहिक बलात्कार और दरिंदगी की सारी सीमाओं को तोड़ देने वाली घटना में गंभीर रूप से घायल हुई 23 वर्षीय लड़की ने जीने की इच्छा जताई थी और वह अपने जीवन को तार-तार...
राजधानी में 16 दिसंबर की रात चलती बस में सामूहिक बलात्कार और दरिंदगी की सारी सीमाओं को तोड़ देने वाली घटना में गंभीर रूप से घायल हुई 23 वर्षीय लड़की ने जीने की इच्छा जताई थी और वह अपने जीवन को तार-तार करने वाले दोषियों को उनके किये की सजा दिलाना चाहती थी।
घटना के तीन दिन बाद यह लड़की अपनी मां और भाई से जब 19 दिसंबर को पहली बार मिली तो उसके शब्द थे मैं जीना चाहती हूं। इलाज की पूरी प्रक्रिया के दौरान वह लड़की संकेतों में बात करती रही थी। उसकी ज्यादातर बातचीत उसके अभिभावकों के साथ हुई थी और उसने एक नहीं बल्कि दो-दो बार मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दिए थे।
पैरामेडिकल की यह छात्रा अत्यंत साहसी थी, जिसने न केवल बस में हमलावरों का प्रतिरोध किया था, बल्कि इलाज के दौरान भी हौंसला नहीं खोया था।
सफदरजंग अस्पताल में 10 दिन तक चले इलाज के दौरान तीन बार इस लड़की की मनोवैज्ञानिक जांच की गई। तब उसने अपने भविष्य के बारे में कुछ विचार जाहिर किए थे।
इस लड़की ने 21 दिसंबर को उप मंडलीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के समक्ष बहादुरी से बयान भी दिया था। उसने घटना का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया था, जो उसके साथ बस में चढ़े उसके मित्र द्वारा दिए गए बयान से मिलताजुलता था।
बयान के विवादों में घिरने के बाद लड़की ने एक बार फिर मजिस्ट्रेट के समक्ष पूरा घटनाक्रम बताया और इच्छा जताई कि उसके साथ वहशियाना कृत्य करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।
लड़की का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने भी उसकी अदम्य जिजीविषा का लोहा माना और उसे बहादुर लड़की करार दिया। डॉक्टरों ने कहा था कि पीड़िता मनोवैज्ञानिक रूप से बिल्कुल ठीक है और भविष्य के प्रति आशावान है।
इस लड़की को जब अस्पताल लाया गया था तो उसकी हालत बहुत गंभीर थी, लेकिन इलाज के दौरान उसकी हालत में सुधार के संकेत मिले थे। पर क्रिसमस की रात उसकी नब्ज कुछ देर के लिए क्षीण हो गई और हालत बिगड़ने लगी थी। इसके बाद उसे सिंगापुर के अस्पताल ले जाया गया।
16 दिसंबर को सफदरजंग अस्पताल लाए जाने के बाद दस दिन में लड़की के दो बड़े ऑपरेशन और एक छोटा ऑपरेशन हुआ था। संक्रमण और चोट की वजह से उसकी आंत का बड़ा हिस्सा डॉक्टरों ने निकाल दिया था।
अस्पताल में ज्यादातर समय 23 वर्षीय इस पीड़िता को वेन्टीलेटर पर रखा गया था। केवल दो दिन ही वह वेन्टीलेटर से अलग रही और अपने आप सांस ले पाई थी।
करीब एक पखवाड़े तक जीवन के लिए मृत्यु से संघर्ष करने के बाद सिंगापुर के माउंट एलिजबेथ हॉस्पिटल में आज भारतीय समयानुसार तड़के दो बज कर 15 मिनट पर इस लड़की ने दम तोड़ दिया।