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कांग्रेस की महाराष्ट्र, असम सरकारों के खिलाफ बगावत

महाराष्ट्र और असम में अपने-अपने मुख्यमंत्रियों के विरोध में कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं के सोमवार को सरकार से इस्तीफा देने पर पार्टी में बगावत के सुर सुनाई दे रहे हैं। महाराष्ट्र में वरिष्ठ...

कांग्रेस की महाराष्ट्र, असम सरकारों के खिलाफ बगावत
एजेंसीMon, 21 Jul 2014 06:43 PM
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महाराष्ट्र और असम में अपने-अपने मुख्यमंत्रियों के विरोध में कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं के सोमवार को सरकार से इस्तीफा देने पर पार्टी में बगावत के सुर सुनाई दे रहे हैं।

महाराष्ट्र में वरिष्ठ मंत्री नारायण राणे ने सोमवार को मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण से मुलाकात की और उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा। उन्होंने फैसले लेने में मुख्यमंत्री के ढुलमुल रवैये को लेकर बाद में उनकी आलोचना की।

राणे ने कहा कि वह इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव में वह हार में भागीदार नहीं बनना चाहते हैं।

इसी तरह से असम सरकार में कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ मंत्री हेमंत बिश्वास शर्मा ने प्रदेश के राज्यपाल से मुलाकात की और अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने दावा किया कि 38 विधायकों के साथ राज्यपाल से मुलाकात की और मुख्यमंत्री में अविश्वास जताया। असम में करीब दो साल में भी कम समय में चुनाव होने हैं।

लोकसभा चुनाव में दोनों राज्यों में कांग्रेस की करारी हार के दो महीने बाद असंतोष को रोकने के लिए कांग्रेस आलाकमान और राहुल गांधी द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीतियों पर सवाल उठाए गए हैं।

हालांकि, दिल्ली में कांग्रेस नेताओं ने इन बातों से इनकार कर दिया कि राहुल गांधी के नेतृत्व के खिलाफ प्रादेशिक नेताओं की यह बगावत है।

दोनों ही मंत्रियों ने हाल ही में इस्तीफा दिया था, लेकिन उन्हें अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए मना लिया गया था। शर्मा ने बताया कि इस बार वह इस्तीफा वापस नहीं लेंगे और यह स्पष्ट कर दिया कि गोगोई के नेतृत्व में वह चुनाव नहीं लड़ेंगे।

कोंकण क्षेत्र के कद्दावर नेता एवं चव्हाण के कटु आलोचक राणे ने इस्तीफा सौंपने के बाद संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री पर तीक्ष्ण प्रहार करते हुए उन पर निर्णय लेने में सुस्ती बरतने और प्रशासन पर पर्याप्त नियंत्रण नहीं रखने का आरोप लगाया।

राणे ने कहा कि लोगों के काम से जुड़े फैसले शीघ्र नहीं लिए गए। प्रशासन पर कोई नियंत्रण नहीं है। सुस्त प्रशासन लोगों के कामकाज को प्रभावित कर रहा है और लोकसभा चुनाव में असंतोष प्रकट हो गया है।

उन्होंने कहा कि मैं विधानसभा चुनाव में हार में भागीदार नहीं बनना चाहता और इसलिए मैंने इस्तीफा दिया है। लंबे समय से मुख्यमंत्री पद के आकांक्षी रहे राणे ने कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के प्रति भी नाराजगी जाहिर की।

राणे ने कहा कि मुझसे कहा गया था कि मुक्षे छह महीने में मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। लेकिन नौ साल में भी वादा नहीं निभाया गया। वह सार्वजनिक रूप से दावा करते रहे हैं कि जब 2005 में वह शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे, उस वक्त उन्हें मुख्यमंत्री पद देने का वादा किया गया था।

शिवसेना से मुख्यमंत्री रह चुके राणे ने कहा कि मेरे साथ कांग्रेस में आए एक भी सहयोगी को टिकट नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने मुझे सूचना दी है कि वह सोनिया गांधी से बात करेंगे और फिर उन्हें जानकारी देंगे। मैं उसके बाद अपने अगले कदम की घोषणा करूंगा।

गुवाहाटी में असम के शिक्षा मंत्री शर्मा और पार्टी विधायकों के एक गुट ने मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के नेतृत्व का विरोध किया।

राजभवन में अपना इस्तीफा सौंपने के बाद शर्मा ने कहा कि मैंने बतौर मंत्री राज्यपाल :जेबी पटनायक: को अपना इस्तीफा सौंप दिया है, क्योंकि मैंने गोगोई के नेतृत्व का विरोध किया है।

उन्होंने बताया कि करीब 38 विधायक मेरे साथ राजभवन गए लेकिन यह मेरी निजी यात्रा थी। तरुण गोगोई के नेतृत्व में मेरा भरोसा नहीं है। हम अपनी पार्टी के लिए लड़ रहे हैं और गोगोई के नेतृत्व में कांग्रेस 2016 में राज्य में एकल अंक पर लुढ़क जाएगी।

उन्होंने कहा कि पूरी तरह से पागलपन छाया हुआ है और गोगोई के तहत कोई निर्देश नहीं है। तरुण गोगोई के अंदर बने रहना राजनीतिक, मानसिक और शारीरिक रूप से व्यवहार्य नहीं है। यह उपयुक्त नहीं है। इसी वजह से मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया। मैं मुख्यमंत्री को भी अपना इस्तीफा सौंपूंगा।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि फिलहाल गोगोई सरकार को कोई खतरा नहीं है। हम सरकार गिराना नहीं चाहते। शर्मा ने कहा कि राज्यपाल को बताया गया है कि उनके साथ गए सभी 38 विधायक विधानसभा में एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएंगे।

उन्होंने कहा कि हम गोगोई की जनविरोधी नीतियों का विरोध करेंगे। लेकिन जब कभी पार्टी से व्हिप जारी होगा हम उसका पालन करेंगे, क्योंकि हम पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अवज्ञा करना नहीं चाहते।

हालांकि, गोगोई ने शर्मा के आरोपों को खारिज कर दिया और इस बात से इनकार कर दिया कि उन्होंने हर चार महीने में कैबिनेट में फेरबदल का प्रस्ताव किया है। उन्होंने शर्मा के इस्तीफा सौंपने को लेकर राजभवन जाने पर हैरत जताई।

वहीं, इस असंतोष से बेपरवाह कांग्रेस ने आज कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ बगावत नहीं है। सिर्फ मीडिया में बगावत है। कांग्रेस नेता कमल नाथ ने आज संसद भवन के बाहर संवाददाताओं से कहा कि बगावत सिर्फ मीडिया में है।

उन्होंने कहा कि यह कहीं से राहुल के खिलाफ बगावत नहीं है। पूरा मुद्दा यह है कि कुछ लोग मुख्यमंत्री से खुश नहीं हैं। लेकिन मुख्यमंत्री के पास बहुमत हैं। उन्होंने कहा कि गोगोई के पास बहुमत है।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले महीने वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को केंद्र के पर्यवेक्षक के तौर पर असम भेजा था। खड़गे ने पार्टी के सभी विधायकों और प्रदेश कांग्रेस समिति के पदाधिकारियों से मुलाकात की थी तथा उनकी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष को सौंपी थी।

कांग्रेस ने राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले वहां नेतत्व में किसी तरह के बदलाव की बात से पिछले हफ्ते इनकार किया था। गोगोई ने गुवाहाटी में यह भी कहा था कि उनकी सरकार बनी रहेगी।

गोगोई को शीघ्र हटाए जाने के बारे में मीडिया में लगाई जा रही अटकलों पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने पिछले हफ्ते टिप्पणी की थी, इन अटकलों में कोई दम नहीं है। पिछले कुछ महीनों की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद आलाकमान इस विषय पर फैसला करेंगी। फिलहाल, सब कुछ ठीक है।

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