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महाराष्ट्र, हरियाणा में नहीं जूझते दिखे राहुल, सोनिया

कांग्रेस नेतृत्व लोकसभा चुनाव की हार से शायद अब तक उबर नहीं पाया है। यह महाराष्ट्र और हरियाणा के लिए पार्टी की प्रचार की रणनीति से साफ नजर आया।  पार्टी की कमान पूरी तरह से संभालने को तैयार...

महाराष्ट्र, हरियाणा में नहीं जूझते दिखे राहुल, सोनिया
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 13 Oct 2014 08:31 PM
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कांग्रेस नेतृत्व लोकसभा चुनाव की हार से शायद अब तक उबर नहीं पाया है। यह महाराष्ट्र और हरियाणा के लिए पार्टी की प्रचार की रणनीति से साफ नजर आया।  पार्टी की कमान पूरी तरह से संभालने को तैयार कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के अस्त्तिव के लिहाज से करो या मरो का चुनाव बन चुके महाराष्ट्र व हरियाणा की कुल 378 सीटों पर प्रचार के लिए महज दस रैलियां की। जबकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दोनों राज्यों में खुद को केवल सात रैलियों पर ही सीमित रखा। कांग्रेस उपाध्यक्ष व अध्यक्ष दोनों ने मिलकर कुल 17 रैलियां की। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह सही है कि कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के लिए जरूरी रणनीति पर काम नहीं किया गया। हालांकि कुछ नेता मानते हैं कि यह रणनीतिक लिहाज से ठीक था क्योंकि दोनों राज्यों में पार्टी एंटी इन्कंबेसी से जूझ रही है। अगर विपरीत नतीजे आते तो एक बार फिर हार का ठीकरा कांग्रेस आलाकमान के सिर फोड़ा जाता।

महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव प्रचार में कांग्रेस अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों ने मिलाकर कुल दस रैलियां की। कांग्रेस उपाध्यक्ष की महाराष्ट्र में कुल छह रैली हुई,जबकि कांग्रेस अध्यक्ष ने पूरे महाराष्ट्र में केवल चार रैली की।  हरियाणा की 90 सीटों पर हुए चुनाव में दोनों नेताओं की कुल सात रैलियां हुईं। चार रैली कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने की। सोनिया गांधी ने हरियाणा में तीन रैली की। दोनों राज्यों का प्रचार पूरी तरह स्थानीय नेताओं के हवाले रहा। महाराष्ट्र में पार्टी पृथ्वीराज चाव्हाण का साफ सुथरी छवि के सहारे मैदान में लड़ती रही। जबकि हरियाणा में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के विकास और प्रबंधन कौशल  पर पार्टी ने दांव लगाया। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमारा ज्यादा कुछ दांव पर नहीं लगा है। पार्टी हाल ही में लोकसभा चुनाव हारी है इसलिए हमारे पास ज्यादा खोने को नहीं है। हां, अगर भाजपा को सरकार बनाने से पार्टी रोक पाती है तो यह उनके लिए बड़ा नुकसान होगा।

कांग्रेस प्रवक्ता अनंत गाडगिल ने कहा कि यह चुनाव राहुल या सोनिया गांधी के लिए लिटमस टेस्ट नही है बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए जरूर बड़ा इम्तहान है। उन्होंने जो वादे लोकसभा चुनाव में किए थे उसी अंदाज और भाषा में विधानसभा चुनाव भी लड़े हैं। लोगों को तय करना है।

इस सवाल पर कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सघन प्रचार और दूसरी ओर कांग्रेस के बड़े नेताओं का स्वंय को चुनिंदा सीटों तक सीमित कर लेना क्या भाजपा को वाकओवर देने जैसा नहीं था? पार्टी की रणनीतिक टीम में शामिल नेता ने जवाब में कहा कि ऐसा नहीं है। राज्यों के चुनाव में आलानेतृत्व हमेशा ऐसा ही प्रचार करता रहा है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया।  उन्हें मोदी के नाम पर ही एक बार फिर वोट पाने का भरोसा है। हमने राज्य सरकारों के काम पर भरोसा किया है।

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