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Hindi Newsशी के पाक दौरे से बनेगी भारत से रिश्तों की तस्वीर

शी के पाक दौरे से बनेगी भारत से रिश्तों की तस्वीर

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो दिवसीय दौरे पर सोमवार को पाकिस्तान जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अगले महीने बीजिंग की यात्रा करने वाले हैं। ऐसे में शी अपनी यात्रा के दौरान पाकिस्तान के...

शी के पाक दौरे से बनेगी भारत से रिश्तों की तस्वीर
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 17 Apr 2015 08:20 PM
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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो दिवसीय दौरे पर सोमवार को पाकिस्तान जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अगले महीने बीजिंग की यात्रा करने वाले हैं। ऐसे में शी अपनी यात्रा के दौरान पाकिस्तान के प्रति जो रुख प्रदर्शित करेंगे उसकी छाया मोदी के चीन दौरे पर पड़ने की संभावना है। इसका असर भारत-चीन रिश्तों की रूपरेखा पर भी पड़ सकता है।

चीन की पाकिस्तान से करीबी किसी से छिपी नहीं है। पाकिस्तान चीन में बने हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है। पाकिस्तान को मिले चीनी हथियार प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से भारत के लिए ही चुनौती खड़े करते हैं। हालांकि शी ने चीन की सत्ता संभालने के बाद कहा था कि वह भारत के साथ रिश्तों को एक नया आयाम देना चाहते हैं। लेकिन बीते दो साल में कई ऐसे मौके आए जब बीजिंग नई दिल्ली की बजाय इस्लामाबाद के अधिक करीब नजर आया।

चीन अब भी पाकिस्तान में भारत विरोधी गतिविधियों पर ढुलमुल रवैया अपना रहा है। मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी पर स्पष्ट बयान देने के मुद्दे पर उसका असमंजस साफ नजर आता है। ऐसे में यह देखना होगा कि चीन पाकिस्तान की सैन्य शक्ति को मजबूत बनाने में मदद पहुंचाकर भारत विरोधी मोर्चे को बढ़ावा देता है या कूटनीतिक तरीके से पाकिस्तान से अपने रिश्तों को सिर्फ आर्थिक हितों तक सीमित रखता है। शी का पाक दौरा ऐसे समय हो रहा है जब चीन कई बार कह चुका है कि उसको भारत से काफी उम्मीदें हैं। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद शी भारत का दौरा कर चुके हैं। उस दौरान उनका अभूतपूर्व स्वागत हुआ था। मोदी ने उनका अपने गृहराज्य गुजरात में भी भव्य सत्कार किया था। इस तरह भारत ने चीन के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को नए आयाम देने की स्पष्ट पहल की थी।

संभावना जताई जा रही है कि शी की इस यात्रा के दौरान के चीन पाकिस्तान को आठ पारंपरिक पनडुब्बियों को देने का सौदा कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो पाकिस्तान की परमाणु ताकत का विस्तार समुद्र तक होगा और इसका असर मोदी के बीजिंग दौरे पर भी पड़ सकता है। ऐसे में भले ही भारत-चीन आर्थिक मोर्चे पर आगे बढ़े, लेकिन रणनीतिक स्तर पर दोनों देशों में विश्वास का अभाव ही रहेगा।

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