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तुर्की में बस्तर की कला बिखेरने में पासपोर्ट बना रोड़ा

बस्तर के लोक कलाकारों को तुर्की के सबसे बड़े महानगर इस्तांबुल में अगले महीने होने वाले कार्निवाल में देश की कला की झलक बिखेरने का मौका मिला है, लेकिन पासपोर्ट बनने में हो रहे विलंब के कारण इस शो पर...

तुर्की में बस्तर की कला बिखेरने में पासपोर्ट बना रोड़ा
एजेंसीThu, 02 Apr 2015 10:07 AM
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बस्तर के लोक कलाकारों को तुर्की के सबसे बड़े महानगर इस्तांबुल में अगले महीने होने वाले कार्निवाल में देश की कला की झलक बिखेरने का मौका मिला है, लेकिन पासपोर्ट बनने में हो रहे विलंब के कारण इस शो पर पानी फिर सकता है। नारायणपुर जिले के देवगांव के नर्तक दल को संस्कृति विभाग के मार्फत इस कार्निवाल में बस्तर के लोक नृत्य 'ककसाड़' और 'गेड़ी' की प्रस्तुति का मौका मिला है लेकिन तीन नर्तकियों का पासपोर्ट अब तक नहीं बन पाया है।

यदि समय पर उनके पासपोर्ट न बन पाए तो यह नर्तक दल विश्व मंच पर देश की कला बिखेरने के सुनहरे अवसर से चूक जाएगा। नारायणपुर कलेक्टर टामनसिंह सोनवानी का इस संबंध में कहना है की देवगांव के कलाकारों को तुर्की से आमंत्रित किया जाना जिले के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा, ''पासपोर्ट बनने में आ रही दिक्कत का निराकरण यदि किसी प्रमाणपत्र के अभाव में नहीं हो पा रहा है, तो इसके लिए जिला प्रशासन पूरा सहयोग करेगा। इसके लिए कलाकार जिला प्रशासन से संपर्क कर सकते हैं। प्रशासन की ओर से पूरी मदद की जाएगी।''

जानकारी के मुताबिक, देवगांव की टीम में सभी नर्तक गोंड जनजाति के हैं और वे तुर्की के कार्निवाल में शो का न्यौता मिलने से काफी खुश हैं। अगले महीने के तीसरे सप्ताह में यह कार्निवाल होने वाला है और बस्तर के नर्तक दल को 20 अप्रैल तक वहां पहुंचना है। नर्तक दल में पांच युवतियां और 10 युवक हैं।

टीम के सदस्य उजियार सिंह कचलाम ने बताया, ''ककसाड़ और गेड़ी नृत्यों की प्रस्तुति में कम से कम पांच युवतियों का होना जरूरी है।'' नर्तक दल में उजियार सिंह के अलावा संतेर वड्डे, झुन्नू दोदी, कावेराम पोटाई, नेऊ मण्डावी, सनऊ वड्डे, संतू मण्डावी, मालसाय वड्डे, फूलसिंह कचलाम एवं रत्ती दोदी शामिल हैं। युवतियों में पार्वती करंगा, ललिता वड्डे, फूलदेई कचलाम, रतनी करंगा एवं राजबती कचलाम शामिल हैं। इनमें से पार्वती करंगा, फूलदेई कचलाम एवं ललिता वड्डे का पासपोर्ट अब तक नहीं बन पाया है।

फूलदेई कचलाम ने बताया कि एसडीएम दीपक सोनी ने प्रमाणपत्र दिया था। वे इस प्रमाणपत्र को लेकर पार्वती करंगा और ललिता वड्डे के साथ रायपुर में विदेश मंत्रालय के पासपोर्ट सेवा केंद्र चार बार गईं। हर बार किसी न किसी कमी के चलते उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। तत्काल पासपोर्ट बनवाने की भी कोशिश उन्होंने की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। वे अब तक पासपोर्ट के चक्कर में 20,000 रुपये खर्च कर चुकी हैं। फूलदेई कचलाम कहती हैं, ''हम लोग इतने सक्षम नहीं हैं कि रायपुर बार-बार आ-जा सकें। इसी वजह से तुर्की जाने का विचार त्यागना पड़ रहा है।''

 

 

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