मुद्दों पर एकजुट होकर सरकार की घेरेबंदी की कवायद
कालेधन पर बहस के बहाने बिखरे विपक्ष में थोड़ी जान आ गई है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस,जद यू, बीजद, सपा के साथ वाम दल कालेधन के मसले पर एक ही भाषा बोलते दिखे। लेकिन समूचा विपक्ष एक प्लेटफार्म पर आए...
कालेधन पर बहस के बहाने बिखरे विपक्ष में थोड़ी जान आ गई है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस,जद यू, बीजद, सपा के साथ वाम दल कालेधन के मसले पर एक ही भाषा बोलते दिखे। लेकिन समूचा विपक्ष एक प्लेटफार्म पर आए इसकी बड़ी कवायद होना बाकी है। तृणमूल नेताओं पर शारदा घोटाले के आरोपों के चलते कांग्रेस में उहापोह बनी हुई है। वहीं कालेधन पर कुछ दलों ने सरकार पर हमला करते हुए कांग्रेस नीत पूर्व यूपीए सरकार को भी कोसने से गुरेज नहीं किया। कांग्रेस इससे असहज भी दिखी।
हालांकि एक दिन पहले ही तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कालेधन के बहाने विपक्षी एकजुटता के लिए अन्य दलों को धन्यवाद देते हुए इसे आगे भी जारी रखने का आह्वान किया था।
सपा का मानना है कि विपक्षी कुनबे को एकजुट करने की कवायद जनता परिवार को एकजुट करने से हो चुकी है। जद यू,सपा,राजद एक बैनर तले इसीलिए आए हैं जिससे सरकार के एकतरफा फैसलों पर ब्रेक लगाई जा सके। सूत्रों ने कहा कि यह दल चाहते हैँ कि कांग्रेस उनकी मुहिम में साथ आए। जबकि कांग्रेस मुद्दों के आधार पर फैसला करना चाहती है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि केंद्र सरकार को घेरने के लिए हम विपक्षी दलों को एक साथ खड़ा करने का प्रयास करेंगे लेकिन शारदा घोटाले जैसे मामले के चलते तृणमूल कांग्रेस को पार्टी आंख मूंदकर समर्थन शायद ही दे पाएगी। माकपा की भी मुश्किल यही है कि वह मुद्दों के आधार पर सरकार की घेरेबंदी में साथ खड़ी हो सकती है लेकिन स्थानीय राजनीति के चलते उसे अपने आप को समान दूरी भी बनाए रखनी है।
उधर सपा के तेवर को लेकर भी कांग्रेस बहुत आश्वस्त नहीं है। सपा नेतृत्व के तेवर कभी नरम कभी गरम रहते है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा, मुलायम सिंह बोलते बोलते कभी भी कांग्रेस पर हमलावर हो जाते हैं। नेताओं का मानना है कि स्थानीय मजबूरियों के चलते विपक्षी दल एक भाषा में बोलेंगे कहना मुश्किल है लेकिन कालेधन के मुद्दे के बहाने यह हौसला जरूर बढ़ा है कि एक साथ होकर कई मुद्दों पर सरकार को घेरा जा सकता है। जबकि पिछले संसद सत्र में सरकार के खिलाफ विपक्षी दल पूरी तरह अलग थलग नजर आए थे।