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ताज महल में दफन है मुमताज की ममी?

दुनिया भर में मुहब्बत का प्रतीक माने जाने वाले ताज महल में मुगल बादशाह की बेगम मुमताज महल को किस तरह दफनाया गया, इस रहस्य से पर्दा आज तक नहीं उठ सका है। एक नई किताब के सामने आने से रहस्य और गहरा गया...

ताज महल में दफन है मुमताज की ममी?
एजेंसीWed, 28 Jan 2015 05:24 PM
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दुनिया भर में मुहब्बत का प्रतीक माने जाने वाले ताज महल में मुगल बादशाह की बेगम मुमताज महल को किस तरह दफनाया गया, इस रहस्य से पर्दा आज तक नहीं उठ सका है। एक नई किताब के सामने आने से रहस्य और गहरा गया है। किताब में दावा किया गया है कि मुमताज के शव को ममी बनाकर दफनाया गया था।

मुमताज को दफनाने के लिए शाह जहां ने 17वीं सदी में यहां मकबरे के रूप में ताज महल का निर्माण करवाया था। अपनी 14वीं संतान को जन्म देने बुरहानपुर गईं मुमताज का निधन हो गया था। यह कस्बा आज महाराष्ट्र में है।

विवादास्पद ई-किताब 'ताज महल या ममी महल' के लेखक अफसर अहमद ने आईएएनएस से कहा, ''ताज महल के बारे में सच को छिपा दिया गया। यदि ताज महल के निर्माण के समय ही सच का खुलासा हो जाता तो इस निशानी का निर्माण पूरी तरह असंभव हो जाता।''

पत्रकार से लेखक बने अहमद ने अपनी किताब में मुमताज की मौत से जुड़े कई अज्ञात तथ्यों का भी खुलासा किया है। किताब में मुमताज की मौत और उनकी जिंदगी के चंद आखिरी दिनों के बारे में ब्योरा दिया गया है और उनके शव को ममी बनाए जाने का ब्योरा दिया गया है।

अंतिम बार दफन किए जाने से पहले मुमताज को एक अमानत घर में दो बार-तीन बार दफन किया गया।

लेकिन उस समय के दौरान उनके शव को किस तरह संरक्षित रखा गया? क्या मुगलों ने भी उसी तरीके को अमल में लाया जिसे प्राचीन मिस्र् में लाया जाता था या इसमें कोई और तरीका अपनाया गया? क्या मुगलों के पास भी शव को संरक्षित रखने का तरीका था? लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि क्या मुमताज का शव अभी तक संरक्षित है, का जवाब किताब ने देने की कोशिश की है।

अहमद ने कहा कि वे मुमताज की मौत और उसके बाद उसके दफन के चारों तरफ गिरे रहस्य के पर्दे को उठाना चाहते हैं।

शाह जहां के दरबारी लेखक इस पूरी घटना पर से पर्दा उठा सकते थे, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके क्योंकि उन्हें ऐसा कुछ भी खुलासा नहीं करने की हिदायत थी जिससे बादशाह की छवि खराब होने का खतरा था।

लेखक ने कहा कि पाठकों को मुमताज की मौत और दफन के पीछे की सच्चाई जानने का अधिकार है।

ई-किताब में यह भी जानने का प्रयास किया गया है कि मुगलों ने केवल इस्लामिक रिवाज का पालन किया या दफन के लिए दूसरे तरीके को अमल में लाया।

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