यूपी में छह और किसानों की मौत
मौसम की मार किसानों की जान ले रही है। मंगलवार को हाथरस-अलीगढ़ में तीन और पीलीभीत में एक किसान की सदमे से मौत हो गई। वहीं, बरेली और देवरिया में दो किसानों ने खुदकुशी कर ली। हाथरस जंक्शन क्षेत्र में...
मौसम की मार किसानों की जान ले रही है। मंगलवार को हाथरस-अलीगढ़ में तीन और पीलीभीत में एक किसान की सदमे से मौत हो गई। वहीं, बरेली और देवरिया में दो किसानों ने खुदकुशी कर ली।
हाथरस जंक्शन क्षेत्र में दो, जबकि टप्पल में एक किसान ने दम तोड़ा। परिजन किसानों की मौत को फसलों की बर्बादी से सदमे से होना बता रहे हैं। हाथरस जंक्शन के मितनपुर गांव के जोधपाल सिंह के पास 15 बीघा खेती थी। उन्होंने 35 बीघा खेत बटाई पर लिया था। बैंक से 2.80 लाख का लोन लिया था। सोमवार को आलू की खुदाई कराई और गेहूं की फसल को देखने के बाद घर आकर सो गए। सुबह चार बजे उन्हें सीने में दर्द हुआ, जब तक डॉक्टर आता उनकी मौत हो चुकी थी। इसी तरह गांव पवलोई के किशनलाल की चार बीघा गेहूं की फसल बारिश के कारण खराब हो गई। इससे उन्हें सदमा लगा और मंगलवार सुबह उनकी मौत हो गई। परिजनों के मुताबिक किशनलाल ने तीन लाख कर्ज लिया था। अलीगढ़ के टप्पल क्षेत्र में भी सदमे के कारण मनवीर सिंह की मौत हो गई। पीलीभीत के पूरनपुर में फसल की तबाही देखकर किसान सुखदेव सिंह को दिल का दौरा पड़ा और उसकी मौत हो गई।
कर्ज ने तोड़ी कमर
उधर, बरेली के भमौरा में कर्ज में डूबे शिशुपाल ने खुदकुशी कर ली। सुसाइड नोट में मृतक ने जिला ग्रामोद्योग अधिकारी को मौत का जिम्मेदार ठहराया है। शिशुपाल के बेटे सुधीर और सत्य प्रकाश ने बताया कि पिता ने 1995 में खादी ग्रामोद्योग से चक्की लगाने के लिए 33 हजार रुपये कर्ज लिए थे। वह करीब 74 हजार रुपये चुका चुके थे। फिर भी उन पर 50 हजार कर्ज बाकी था। शिशुपाल सोमवार को अफसरों से मिलने लखनऊ गए थे, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। ऊपर से बारिश और ओलावृष्टि से फसल भी तबाह हो गई थी। इससे दुखी होकर शिशुपाल ने मंगलवार दोपहर जहर खा लिया। देवरिया के मदनपुर में भी एक किसान ने फांसी लगाकर जान दे दी। रवींद्र की छह बीघा गेहूं की फसल ओले से बर्बाद हो गई थी।