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संचार मंत्रालय ने कॉल ड्राप पर टेलीकॉम कंपनियों को फिर चेताया

दूरसंचार मंत्रालय ने कॉल ड्राप के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए टेलीकॉम कंपनियों से कहा है कि वे जल्दी लोगों को इस समस्या से छुटकारा प्रदान करें। दूरसंचार सचिव राकेश गर्ग ने सोमवार को टेलीकॉम कंपनियों...

संचार मंत्रालय ने कॉल ड्राप पर टेलीकॉम कंपनियों को फिर चेताया
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 17 Aug 2015 06:53 PM
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दूरसंचार मंत्रालय ने कॉल ड्राप के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए टेलीकॉम कंपनियों से कहा है कि वे जल्दी लोगों को इस समस्या से छुटकारा प्रदान करें। दूरसंचार सचिव राकेश गर्ग ने सोमवार को टेलीकॉम कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक में कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि सरकार इस मुद्दे पर अत्यधिक गंभीर है और वे कॉल ड्राप में कमी लाने के लिए हर कदम उठाएं। साथ ही यह भी कहा है कि कंपनियां ड्राप हुई कालों को निशुल्क बनाने के लिए कोई फार्मूला तलाश करें ताकि लोगों को फौरी राहत मिल सके।

बैठक के दौरान टेलीकॉम कंपनियों ने टॉवरों की संख्या की कमी की बात कही। उन्होंने कहा कि रेडिएशन और अन्य कारणों के चलते उन्हें नए टॉवर लगाने की अनुमति नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि टॉवरों की स्थापना को लेकर एक नीति लाए। लेकिन संचार सचिव ने दो टूक कहा कि टावरों को लेकर न तो पहले कोई नीति थी और न अब बनेगी। इसलिए जो व्यवस्था है, उसी के दायरे में रहकर कंपनियां कॉल ड्राप की समस्या को न्यूनतम करें।

दूरसंचार सचिव राकेश गर्ग ने बाद में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि पिछले सात महीनों में कॉल ड्राप की समस्या गंभीर हुई है। इसकी कई वजहें हैं। स्पेक्ट्रम की नीलामी के बाद आपरेटरों के स्पेक्ट्रम की फ्रीक्वेंसी बदल गई हैं। इसलिए उन्हें बड़े स्तर पर उपकरणों में निवेश करना होगा। टॉवरों की कमी तो पहले से है। कंपनियों को यह भी कहा गया है कि वे मौजूदा टॉवरों के जरिये रेडियो फ्रीक्वेंसी को बढ़ाकर क्षमता में सुधार करें और कॉल ड्राप कम करें।

देश में करीब साढ़े चार लाख टावर हैं लेकिन कॉल ड्राप की समस्या से निपटने के लिए कम से कम दो लाख और टावरों की जरूरत है। लेकिन कंपनियां एक तो अभी बड़े निवेश को तैयार नहीं हैं, दूसरे टॉवर लगाने की प्रक्रिया बेहद जटिल हो गई है। आम जनता में विरोध के कारण नागरिक एजेंसियां उन्हें इसकी अनुमति नहीं दे रही हैं।

दूरसंचार सचिव से यह पूछे जाने पर कि क्या टेलीकॉम कंपनियों को कोई इस समस्या को दूर करने के लिए कोई समय सीमा दी गई है, उन्होंने इनकार करते हुए कहा कि जल्द से जल्द कॉल ड्राप की समस्या खत्म करने को कहा गया है। मंत्रालय ने कंपनियों को इस बारे में किए गए प्रयासों का साप्ताहिक ब्यौरा देने को भी कहा है।

 

देश में कार्यरत मोबाइल कनेक्शन-90 करोड़
ट्राई के अनुसार मार्च 2014 में कॉल ड्राप 6.1 फीसदी था। यानी सौ में से छह कालें बीच में कट जाती थी। लेकिन मार्च 2015 में यह प्रतिशत 12.5 तक पहुंच गया है। ताजा आंकड़ा नहीं है लेकिन अब यह 15-16 फीसदी तक पहुंच चुकने का अनुमान है। टूजी सेवाओं में कॉल ड्राप की समस्या सबसे गंभीर है। थ्री जी सेवाओं में कॉल ड्राप में पिछले सात महीनों में 65 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। ट्राई के मानकों के तहत सिर्फ तीन फीसदी से ज्यादा कॉल ड्राप नहीं होनी चाहिए।

मुख्य समस्या वाले स्थान
संचार भवन में जहां से पूरे देश के लिए दूरसंचार नीतियां बनती हैं, वहां मोबाइल फोन चलने करीब-करीब बंद हो गए हैं। अफसरों को खिड़की के निकट आना पड़ता है तब थोड़ी बात हो पाती है। यही हाल प्रधानमंत्री कार्यालय, शास्त्री भवन, नार्थ एवं साउथ ब्लाक, सुप्रीम कोर्ट आदि महत्वपूर्ण स्थानों का है। यहां कॉल ड्राप बढ़ने से टेलीकॉम कंपनियां वीवीआईपी के निशाने पर हैं।

टेलीकॉम कंपनियों के सुझाव
टेलीकॉम कंपनियों से सुझाव दिया है कि सरकारी भवनों में कॉल ड्राप की समस्या दूर हो सकती है बशर्ते कि सरकार अपने भवनों में उन्हें नए टॉवर लगाने की इजाजत दे दे। लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं है।

टावर नीति नहीं बनी तो कॉल ड्राप समस्या और बढ़ेगीः कंपनियां
दूरसंचार कंपनियों ने कहा कि यदि सरकार टावरों की स्थापना संबंधी नियमों को सरल नहीं बनाती है तो आने वाले दिनों में कॉल ड्राप की समस्या और गंभीर हो सकती है। हालात इससे भी बदतर हो सकते हैं। कंपनियों की तरफ से सोमवार को की गई एक प्रेस कांफ्रेस में यह बात कही गई है।

दूरसंचार कंपनियों तथा उद्योग एसोसिएशनों ने यहां संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश में कार्यान्वित की जा सकने वाली एक नीति बनाए जाने की जरूरत है। आइडिया सेल्यूलर के प्रबंध निदेशक हिमांशु कपानिया ने कहा कि हमें केवल दिशा-निर्देश नहीं बल्कि समान राष्ट्रीय टावर नीति की जरूरत है।  

वोडाफोन इंडिया के प्रबंध निदेशक सुनील सूद के अनुसार दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद पहले ही और अधिक साइटें स्थापित करने के मामले में उद्योग का समर्थन कर चुके हैं। सूद ने कहा कि उन्होंने नगर निकायों व राज्य सरकारों से समान नीति कार्यान्वित करने का आग्रह किया है ताकि अधिक टावर लगाए जा सकें। उन्होंने कहा कि यदि टावर नीति नहीं बनी तो आगे हालात और खराब हो सकते हैं।

भारती एयरटेल के सीईओ गोपाल विट्ठल ने कहा कि कंपनियों ने सेवाएं देने के लिए इस क्षेत्र में बड़ा निवेश किया है तथा वह आगे भी और निवेश करने से पीछे नहीं हटेंगी। हम सेवाएं सुधारना चाहते हैं लेकिन हमें अतिरिक्त स्पैक्ट्रम मिलने चाहिए और सरकारी भवनों पर टावर लगाने की इजाजत मिले।

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