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राजीव गांधी हत्याकांड: संविधान पीठ को सौंपा गया केस

उच्चतम न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड में सात दोषियों को उम्रकैद से छूट देने के मामले को आज संविधान पीठ को भेज दिया और कहा कि उन्हें रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले पर रोक लगाने वाला उसका...

राजीव गांधी हत्याकांड: संविधान पीठ को सौंपा गया केस
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 25 Apr 2014 03:01 PM
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उच्चतम न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड में सात दोषियों को उम्रकैद से छूट देने के मामले को आज संविधान पीठ को भेज दिया और कहा कि उन्हें रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले पर रोक लगाने वाला उसका उसका अंतरिम आदेश जारी रहेगा।
    
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि तमिलनाडु सरकार के सजा से छूट के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र की ओर से दाखिल याचिका पर संविधान पीठ फैसला करेगा और उसके द्वारा निर्णय के लिए सात प्रश्न निर्धारित किये।
    
न्यायालय ने कहा कि तीन महीने के भीतर संविधान पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगा। साथ ही पीठ यह भी देखेगी कि क्या सरकार मृत्युदंड से उम्रकैद में बदली गयी एक कैदी को सजा से छूट दे सकती है।

न्यायालय ने तीनों दोषियों मुरूगन, संथन और अरिवू की रिहाई के फैसले पर 20 फरवरी को रोक लगा दी थी। न्यायालय ने उनकी रिहाई के फैसले में राज्य सरकार की तरफ से प्रक्रियागत खामियां होने की बात कहते हुए यह रोक लगाई थी। न्यायालय ने 18 फरवरी को इनके मत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया था।
    
शीर्ष न्यायालय ने बाद में मामले में दोषी नलिनी, राबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन की रिहाई पर भी रोक लगा दी थी। जयललिता सरकार ने हत्याकांड में 19 फरवरी को सभी सातों दोषियों को रिहा करने का फैसला किया था। संथन, मुरूगन और अरिवू अभी केंद्रीय जेल वेल्लूर में है और वे 1991 से कारागार में बंद हैं। अन्य चारों भी श्रीपेरूंबदूर में 21 मई 1991 को राजीव गांधी के हत्याकांड मामले में अपनी भूमिका के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट को आज का फैसला केंद्र सरकार की उस अर्जी पर सुनाना था, जिसमें तमिलनाडु की जयललिता सरकार के उस निर्णय को चुनौती दी गई है, जिसके तहत राजीव गांधी की हत्या के सात दोषियों की रिहाई की बात कही गई थी।

गौर हो कि तमिलनाडु सरकार ने इन सातों दोषियों को रिहा करने का फैसला किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने कहा था कि तमिलनाडु सरकार ऐसा नहीं कर सकती, क्योंकि इस केस की जांच सीबीआई ने की थी और बिना उसकी अनुमति के ऐसा नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही केंद्र ने कहा था कि राजीव गांधी की हत्या बेहद गंभीर और जघन्य अपराध है और इसके लिए दोषियों को माफ किसी भी सूरते हाल में नहीं किया जा सकता।

इससे पहले के घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी को दिए अपने फैसले में राजीव गांधी हत्याकांड के तीन दोषियों यानी मुरुगन, सांथन और पेरारिवलन की फांसी की सजा रद्द कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इनकी दया याचिकाओं में जरूरत से ज्यादा वक्त लेने का कारण बताया था।

इसी फैसले के बाद तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने दोषियों की रिहाई का आदेश दिया था, जिस पर केंद्र सरकार की याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया था।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई, 1991 में चेन्नई के नजदीक श्रीपेरंबदूर में हत्या कर दी गई थी। एक स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में जनवरी 1998 में सभी 26 लोगों को दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी।

 

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