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सुरेश प्रभु ने रेल बजट में दिखाया बेहतरीन वित्तीय प्रबंधन का कौशल

पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने पहले रेल बजट में बेहतरीन वित्तीय प्रबंधन का कौशल दिखाया है। उन्होंने बजट में केंद्र सरकार के दूसरे मंत्रालयों, सरकारी उपक्रमों और...

सुरेश प्रभु ने रेल बजट में दिखाया बेहतरीन वित्तीय प्रबंधन का कौशल
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 27 Feb 2015 12:35 PM
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पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने पहले रेल बजट में बेहतरीन वित्तीय प्रबंधन का कौशल दिखाया है। उन्होंने बजट में केंद्र सरकार के दूसरे मंत्रालयों, सरकारी उपक्रमों और राज्यों से वित्तीय सहायता हासिल का फार्मूला सुझाया है। प्रभु ने पहली बार एलआईसी व पेंशन फंड से कर्ज लेने का रास्ता तैयार किया है। रेल मंत्री के रोडमैप से रेलवे के विकास की पटरी पर सरपट दौड़ने आस जगी है।

सुरेश प्रभु ने रेल बजट 2015-16 योजना बजट का आकार एक लाख करोड़ से अधिक रखा है। जो कि गत वर्ष की बजट की अपेक्षा 52 फीसदी अधिक है। रेल मंत्री केंद्र सरकार से 40,000 करोड़ रुपये बजटीय सहायता प्राप्त करने में सफल रहे है। पिछले रेल बजट में रेलवे को महज 31,000 करोड़ रुपये मिले थे। प्रभु रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पहली बार भारतीय जीवन बीमा निगम, पेंशन फंड, वित्तीय संस्थानों से 34,791 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की योजना बनाई है। यह कर्ज 30 सालों के लिए होगा। जबकि डीजल पर सेस के जरिए प्रभु 1645 करोड़ रुपये जुटाएंगे। पीपीपी के जरिए रेलवे के खाते में 5781 करोड़ रुपये आएंगे।

इतना ही नहीं नई रेलवे लाइन बिछाने, लाइनों का अमान परिवर्तन, विद्युतीकरण, दोहरी, तिहारी और चौथी लाइनों को बिछाने के लिए राज्यों के साथ स्पेशल परपज व्हीकल (कंपनी) बनाया जाएगा। कई राज्यों ने रेल मंत्री को आश्वासन दिया है कि वह रेल परियोजनाओं के लिए भूमि व 50 फीसदी धन देने को तैयार हैं। सुरेश प्रभु ने कोयला, ऊर्जा, खनन, इस्पात, वाणिज्य मंत्रालयों को नई लाइनें बिछाने में निवेश के लिए तैयार कर लिया है।

प्रभु के फार्मूले के तहत उक्त मंत्रालय की ओर से किए गए निवेश को रेलवे ब्याज सहित तय समय पर वापस करेगी। इससे मंत्रालयों व रेलवे दोनों को फायदा होगा और रेलवे की आय में भारी बढ़ोत्तरी होगी। ध्यान देने की बात यह है कि रेल मंत्री रेलवे के लेखाकंन प्रणाली (एकाउंट सिस्टम) में सुधार कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर की लेखाकंन व्यवस्था लागू होने पर विश्व बैंक, एडीबी, जायका आदि से रेलवे को कर्ज मिलने का रास्ता साफ होगा। पैसे का जुगाड़ हासिल करने के बाद सुरेश प्रभु रेल संरक्षा, रेल ट्रैक की क्षमता, नई रेल लाइनें आदि परियोजनाओं पर तेजी से अमल किया जा सकेगा।  कोच-इंजन-वैगन का उत्पादन बढ़ेगा। इसके अलावा पीपीपी मोड में 50 स्टेशनों का नवीनीकरण करने की योजना है।

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