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कुछ ऐसा था अमर चित्र कथा से कॉमिक्स तक का सफर

एक वह वक्त भी था, जब दुनिया आज की तरह तकनीक के इशारों पर नहीं नाचती थी। तब बच्चों की सबसे प्यारी दोस्त कॉमिक्स हुआ करती थी। गर्मी की छुट्टी का मतलब ढेर सारी कॉमिक्स और मस्ती हुआ करती थी। लेकिन वक्त...

कुछ ऐसा था अमर चित्र कथा से कॉमिक्स तक का सफर
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 06 Aug 2014 01:20 PM
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एक वह वक्त भी था, जब दुनिया आज की तरह तकनीक के इशारों पर नहीं नाचती थी। तब बच्चों की सबसे प्यारी दोस्त कॉमिक्स हुआ करती थी। गर्मी की छुट्टी का मतलब ढेर सारी कॉमिक्स और मस्ती हुआ करती थी। लेकिन वक्त बदलने के साथ बच्चों के दोस्त और पसंद भी बदलने लगे। वह कॉमिक्स इरा भले अब गुजरे जमाने की बात हो, लेकिन कॉमिक्स से लोगों का जुड़ाव कम नहीं हुआ है। खुद कॉमिक्स ने उतार-चढ़ाव भरे दौर से निकलकर नए मिजाज और कंटेंट के बूते नए वक्त में अपनी अहमियत कायम रखी है।

अमर चित्र कथा
1967 में अनंत पाई ने बच्चों के लिए अमर चित्र कथा इस मंशा के साथ शुरू की थी, ताकि उन्हें मनोरंजन के साथ ज्ञान भी मिले। उनकी यह सोच काफी दूर तक कामयाब साबित हुई। 70 और 80 के दशक में अमर चित्र कथा ने रिकॉर्ड बिक्री की। एक अनुमान के मुताबिक इस दशक में 10 करोड़ से ज्यादा कॉमिक्स बिक गईं। इस पीढ़ी के बच्चों के लिए पौराणिक-ऐतिहासिक और महापुरुषों से जुड़ी कहानियों को खेल-खेल में समझाने-बताने का क्रेडिट अमर चित्र कथा को ही जाता है। इसी दौर में बच्चों के मनोरंजन के लिए हल्की-फुल्की कहानियों पर आईं कॉमिक्स भी बिकीं। रिसर्च में यह पाया गया कि बच्चे जितनी सहजता से कॉमिक्स के साथ कनेक्ट करते हैं, उतना किसी भी दूसरी चीज से नहीं। हालांकि 90 के दशक तक आते-आते कॉमिक्स-कथा की डोर कमजोर होने लगी।

मुश्किल वक्त
80 और 90 के दशक के दौरान कागज की कीमतें बेतहाशा बढ़ीं। कॉमिक्स महंगी होने लगीं। इसी बीच बच्चों के मनोरंजन के लिए विडियो गेम और दूसरे विकल्प भी आने लगे। कॉमिक्स कंटेंट के मोर्चे पर लगातार पिछड़ रही थी। इन तमाम फैक्टर्स ने कॉमिक्स के बाजार को बुरी तरह प्रभावित किया। उसके प्रकाशन बंद होने लगे। यह उस वक्त एक ग्लोबल ट्रेंड था। कॉमिक्स से जुड़ी यादें कमजोर पड़ने लगीं। ऐसा लगने लगा कि कॉमिक्स युग का अंत करीब है।

ऐसे बढ़ा दायरा
लेकिन कॉमिक्स का इमोशनल नॉस्टैल्जिया इसे फिर से रास्ते पर ले आया। कंटेंट मे नए जमाने के मुताबिक बदलाव होने लगे और उसकी मजबूती और बेहतरी के लिए कोशिशें शुरू हुईं। नए किरदार गढ़े गए, कॉमिक्स को इंटरनेट पर पेश किया जाने लगा और उसे पढ़ने का जुनून फिर बढ़ा। पहले 50 पैसे देकर चुपके से लाइब्रेरी से चाचा-चौधरी, नागराज, सुपर कमांडो ध्रुव की कहानियां पढ़ने वाले, इंटरनेट पर इनके कारनामे आसानी से पढ़ने लगे। फेसबुक ने इसे और तेजी दी। सिर्फ फेसबुक पर ही कॉमिक्स से जुड़े दो दर्जन पेज हैं, जिसे लाखों लोग पसंद कर रहे हैं।

अमर चित्र कथा ने फेसबुक पर अपना पेज शुरू किया तो एंड्रॉयड फोन ऐप्लिकेशन के जरिए मोबाइल पर अमर चित्र कथा सुलभ होने लगी। मोबाइल गेम्स कॉमिक्स के किरदार पर बनने लगे। ग्राफिक नॉवल कॉमिक्स के ढांचे पर आने लगी। एक तरफ सुपरस्टार शाहरुख खान ने अपनी फिल्म 'रा.वन' के किरदारों के साथ कॉमिक्स लॉन्च करने की घोषणा की तो दूसरी तरफ आईपीएल के दौरान दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम पर आधारित एक कॉमिक्स सीरिज निकली। इस तरह कॉमिक्स ने अपने को तमाम पॉप्युलर सिंबल्स से जोड़ लिया। भारत में कॉमिक्स से जुड़े जानकार मानते हैं कि दो-तीन सालों में कॉमिक्स फिर से एक नए मुकाम पर होगी।

कॉमिक्स की इकनॉमिक्स
कॉमिक्स की इकनॉमिक्स भी यही बताती है कि अब इसके दिन फिर रहे हैं। कॉमिक्स का हर साल एक विश्वस्तरीय मेला आयोजित किया जा रहा है। भारत के कॉमिक्स बाजार की बात करें तो फिलहाल वह करीब 100 करोड़ तक पहुंच चुका है। आने वाले वक्त में इससे इन्फोटेनमेंट फील्ड के कई बड़े प्लेयर्स जुड़ने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे इसकी इकनॉमिक्स को बूम मिलने की संभावना है।

 

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