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जज की नियुक्ति में राजनीतिक दबाव को सरकार ने सही माना

मद्रास उच्च न्यायालय में एक जज की नियुक्ति में कथित राजनीतिक दबाव के खिलाफ अन्नाद्रमुक के सदस्यों द्वारा आज लोकसभा में लगातार दूसरे दिन भारी हंगामा किए जाने के बीच सरकार ने स्वीकार किया कि संप्रग...

जज की नियुक्ति में राजनीतिक दबाव को सरकार ने सही माना
एजेंसीTue, 22 Jul 2014 08:14 PM
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मद्रास उच्च न्यायालय में एक जज की नियुक्ति में कथित राजनीतिक दबाव के खिलाफ अन्नाद्रमुक के सदस्यों द्वारा आज लोकसभा में लगातार दूसरे दिन भारी हंगामा किए जाने के बीच सरकार ने स्वीकार किया कि संप्रग शासन के दौरान उच्चतम न्यायालय के कोलेजियम ने तमिलनाडु में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एक न्यायाधीश के सेवा विस्तार की सिफारिश की थी।

अन्नाद्रमुक सदस्य उस केंद्रीय द्रमुक मंत्री का नाम बताओ के नारे लगाते हुए आसन के समक्ष आ गए। ये सदस्य विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा दिए गए जवाब से संतुष्ट नहीं हुए। इस मुद्दे को लेकर लोकसभा की कार्यवाही शून्यकाल में दो बार स्थगित करनी पड़ी। इस मुद्दे को लेकर राज्यसभा में भी कार्यवाही बाधित हुई। सदन की बैठक सुबह शुरू होने पर अन्नाद्रमुक और द्रमुक सदस्य इस मुद्दे पर एक दूसरे से उलझते नजर आए जिससे कुछ देर के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
 
लोकसभा में कानून मंत्री की ओर से इस मुद्दे पर बयान देने की अन्नाद्रमुक सदस्यों की मांग पर प्रसाद ने कहा कि वर्ष 2003 में कोलेजियम ने कुछ आपत्तियां जतायी थीं और कुछ सवाल किए थे तथा इसके बाद निर्णय किया गया कि संबंधित जज के मामले को नहीं लिया जाएगा।

प्रसाद ने कहा कि लेकिन बाद में संप्रग शासन के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से स्पष्टीकरण मांगा गया कि संबंधित जज के बारे में सिफारिश क्यों नहीं की जानी चाहिए। कोलेजियम ने फिर से कहा कि उनके नाम की सिफारिश होनी ही नहीं चाहिए।

बाद में विधि मंत्रालय के न्याय विभाग ने कोलेजियम को एक नोट लिखा जिसके बाद उसने कहा कि कुछ विस्तार के लिए जज के मामले पर विचार किया जा सकता है। विधि मंत्री प्रसाद ने कहा कि संबंधित जज उसके बाद सेवानिवृत्त हो चुके हैं और अब वह इस दुनिया में भी नहीं हैं। कोलेजियम के न्यायाधीश भी सेवानिवत्त हो चुके हैं और उच्चतम न्यायालय ने शांति भूषण मामले में भी कहा है कि गुजरे वक्त को लौटाया नहीं जा सकता।

प्रसाद ने कहा कि अन्नाद्रमुक सदस्यों द्वारा जतायी गयी चिंता वाजिब है और न्यायाधीशों की नियुक्ति की व्यवस्था में सुधार किए जाने की जरूरत है। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि सरकार ऐसी नियुक्तियां करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक आयोग गठित करने को लेकर काफी इच्छुक है। सदन में आज लगातार दूसरे दिन यह मुद्दा उठाए जाने पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि संसद में न्यायपालिका और जजों के बारे में चर्चा नहीं हो सकती। इस पर विधि मंत्री ने कहा कि मैं किसी जज के आचरण पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा हूं।

खड़गे ने कहा कि कल सदन में यह मुद्दा उठने पर लोकसभा अध्यक्ष भी अपनी व्यवस्था दे चुकी हैं। इस पर अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि उन्होंने तो केवल यह व्यवस्था दी थी कि शून्यकाल में व्यवस्था का सवाल उठाने का कोई नियम नहीं है। उन्होंने साथ ही कहा कि यदि किसी विषय को लेकर अतिरिक्त सामग्री के साथ उसे दूसरे दिन सदन में उठाया जाता है तो इसकी अनुमति मिल सकती है।

 

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