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मोदी ने की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात, उठाये कई मुद्दे

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ब्रिक्स के छठे शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने गए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हुई मुलाकात के दौरान कैलाश मानसरोवर यात्रा में भारतीयों के लिए एक और रास्ता खोलने...

मोदी ने की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात, उठाये कई मुद्दे
एजेंसीTue, 15 Jul 2014 04:45 PM
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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ब्रिक्स के छठे शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने गए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हुई मुलाकात के दौरान कैलाश मानसरोवर यात्रा में भारतीयों के लिए एक और रास्ता खोलने के अलावा कई अन्य फायदेमंद प्रस्ताव रखे।
     
शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने गए ब्रिक्स के सदस्य देशों के इन दोनों नेताओं ने ब्राजील के तटीय शहर फोर्टलिजा में सोमवार शाम पहुंचने के कुछ घंटों बाद ही मुलाकात की। जिनपिंग ने कहा कि चीन भारत के लिए हानिकारक विपरीत व्यापार संतुलन को हटाने का प्रयास करेगा। इसके अलावा चीन ने पहली बार भारत को यह संदेश दिया कि वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में उसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते देखना चाहता है।
   
एससीओ का गठन 2001 में हुआ था। चीन के अलावा रूस, कजाख्स्तान, तजाकिस्तान, किर्गिजस्तान और उज्बेकिस्तान इसके सदस्य हैं। भारत इस संगठन में बस एक पर्यवेक्षक की भूमिका निभा रहा है।
        
जिनपिंग ने साथ ही नरेंद्र मोदी को आगामी नवंबर में आयोजित होने वाले एशिया प्रशांत देशों की बैठक में शामिल होने का न्योता भी दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि मोदी इस बैठक में हिस्सा लेंगे।
         
भारत में नई सरकार बनने के बाद दोनों देशों के बीच हुई पहली उच्च स्तरीय मुलाकात अपनी निर्धारित समय सीमा से काफी अधिक देर 80 मिनट तक चली। इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मोदी के न्योते को स्वीकार करेत हुए आगामी सितंबर में भारत के दौरे पर आने का वादा किया है। 
       
इस मुलाकात के बाद चीन ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सामान्य एजेंडे को आगे बढ़ाने के उद्देश्य के लिए भारत की नई सरकार के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जाहिर की है। मोदी और जिनपिंग की मुलाकात को द्विपक्षीय संबंधों के लिए अच्छा माना जा रहा है। 

पीएम मोदी ने मुलाकात में भारत और चीन के बीच के असंतुलित व्यापार का मुद्दा उठाया जिसके बाद जिनपिंग ने कहा कि वह भारत की चिंता को समझते हैं और इसके निदान के लिए सेवा क्षेत्र में व्यापार बढ़ाया जा सकता। उन्होंने साथ ही कहा कि अधिक संख्या में चीनी पर्यटक भारत भ्रमण के लिए आ सकते हैं।

इसी सिलसिले में मोदी ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए अतिरिक्त रास्ता देने की बात की जिसे चीन ने स्वीकार कर लिया।

मोदी ने जिनपिंग के समक्ष चीन और भारत के बीच विवादित सीमा का मुद्दा भी उठाया और सीमा पर शांति बहाल करने के लिए इसे हल करने की जरूरत पर बल दिया।
        
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकरूद्दी ने बैठक के बारे में मीडिया को बताते हुए कहा कि बैठक में दोनों नेता गर्मजोशी से मिले और यह मुलाकात भारत और चीन दोनों के लिए फायदेमंद साबित हुई है। दोनों नेता काफी तैयारी से गए थे जिसके कारण उनके बीच काफी अच्छी बातचीत हुई।
       
दोनों नेताओं ने आतंकवाद पर चर्चा की और मोदी ने कहा कि भारत और चीन को इस मसले पर साथ काम करना चाहिए। बैठक के शुरू होते ही मोदी ने जिनपिंग से राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले दिये गए उनके भाषण पर चर्चा की जिस पर जिनपिंग ने गुजरात के मुख्यमंत्री होने के दौरान दिये गए मोदी के भाषणों का उल्लेख किया।
        
उल्लेखनीय है कि शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रवाना होने से पहले ही मोदी ने भारत के कई महत्वपूर्ण राजनीतिक और आर्थिक एजेंडों के बारे में मीडिया को बताया था। मोदी क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर भारत की सक्रिय भूमिका के लिए ब्रिक्स के मंच का उपयोग करने के नजरिये से सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं। वह ब्रिक्स देशों के अलावा लातिन अमेरिकी देशों के साथ संबंधों को नये मायने देने के इरादे से सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं।

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