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जयललिता तत्काल राहत पाने में फिर विफल, सुनवाई टली

जेल में बंद अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता को कम से कम छह दिन और वहीं रहना पड़ेगा, क्योंकि आज कर्नाटक उच्च न्यायालय की अवकाश पीठ ने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति के मामले में सजा को निलंबित करने और...

जयललिता तत्काल राहत पाने में फिर विफल, सुनवाई टली
एजेंसीWed, 01 Oct 2014 01:32 PM
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जेल में बंद अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता को कम से कम छह दिन और वहीं रहना पड़ेगा, क्योंकि आज कर्नाटक उच्च न्यायालय की अवकाश पीठ ने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति के मामले में सजा को निलंबित करने और तुरंत जमानत देने की मांग करने वाली उनकी याचिका पर सुनवाई सात अक्टूबर तक के लिए टाल दी।

अदालत ने कल उनकी याचिका पर सुनवाई छह अक्टूबर तक के लिए टाल दी थी, लेकिन उनके वकील द्वारा तुरंत सुनवाई का आग्रह किए जाने पर चंद घंटे बाद मामला आज के लिए सूचीबद्ध कर दिया था।

मामला जब सुनवाई के लिए अवकाश पीठ की न्यायाधीश न्यायमूर्ति रत्नकला के सामने आया तो जयललिता के वकील राम जेठमलानी ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 389 के तहत अपील लंबित रहने तक अपनी मुवक्किल की सजा को निलंबित करने और उन्हें जमानत पर रिहा करने का आग्रह किया। धारा 389 के मुताबिक, यदि दोषी व्यक्ति की कोई अपील लंबित रहती है तो अपीली अदालत सजा की तामील पर रोक का आदेश दे सकती है। इसके अतिरिक्त, यदि व्यक्ति जेल में है तो उसे जमानत या निजी मुचलके पर रिहा किया जा सकता है।

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) भवानी सिंह ने जयललिता के आग्रह पर आपत्ति दर्ज कराई और मामले में एसपीपी के तौर पर खुद की नियुक्ति के बारे में एक ज्ञापन (मेमो) सौंपा। आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति के मामले में एसपीपी रहे सिंह ने कल अदालत को बताया था कि उच्च न्यायालय में दायर आधिकारिक अपील के लिए उन्हें एसपीपी के रूप में नियुक्त किए जाने के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है।

जब सिंह ने कल और समय मांगा तो न्यायाधीश ने मामले को सुनवाई के लिए पहले छह अक्टूबर तक टाल दिया, लेकिन बाद में जयललिता के वकीलों के आग्रह पर इस पर सुनवाई के लिए आज की तारीख नियत की थी। जयललिता की सहयोगी शशिकला, उनके रिश्तेदार वी एन सुधाकरन, पूर्व मुख्यमंत्री के परित्यक्त पुत्र और इलावरासी को भी जेल में कम से कम छह दिन और रहना पड़ेगा, क्योंकि जमानत और सजा निलंबन की मांग करने वाली उनकी याचिकाओं पर भी सुनवाई सात अक्टूबर तक के लिए टाल दी गई है।

उच्च न्यायालय में 29 सितंबर से छह अक्टूबर तक दशहरा पर्व के उपलक्ष्य में अवकाश है। सात अक्टूबर को भी बकरीद की सरकारी छुट्टी है। तत्काल जमानत मांगने और सजा को चुनौती देने वाली अपनी याचिकाओं में जयललिता ने उल्लेख किया है कि उन पर लगे बेहिसाब संपत्ति अर्जित करने के आरोप झूठे हैं और उन्होंने विधि सम्मत साधनों से संपत्ति अर्जित की थी।

जयललिता ने यह भी तर्क दिया है कि निचली अदालत ने कई फैसलों की अनदेखी की और विभिन्न आयकर आदेशों तथा आयकर अपीली न्यायाधिकरण के फैसलों की बाध्यकारी प्रवृत्ति पर विचार नहीं किया, जिसने उनके द्वारा दिए गए आय और व्यय के ब्यौरे के स्तर को स्वीकार कर लिया था।

 

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