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Hindi Newsनीतीश कटारा हत्‍याकांड मामले में दोषियों की सजा बरकरार

नीतीश कटारा हत्‍याकांड मामले में दोषियों की सजा बरकरार

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2002 में नितीश कटारा के अपहरण एवं हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश के राजनेता डीपी यादव के पुत्र विकास यादव समेत तीनों दोषियों की दोषसिद्धि बरकरार रखते हुए आज कहा कि यह झूठी शान की...

नीतीश कटारा हत्‍याकांड मामले में दोषियों की सजा बरकरार
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 02 Apr 2014 03:08 PM
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दिल्ली हाईकोर्ट ने 2002 में नितीश कटारा के अपहरण एवं हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश के राजनेता डीपी यादव के पुत्र विकास यादव समेत तीनों दोषियों की दोषसिद्धि बरकरार रखते हुए आज कहा कि यह झूठी शान की खातिर हत्या का मामला है।

न्यायमूर्ति गीता मित्तल और न्यायमूर्ति जे आर मिढा की एक पीठ ने विकास यादव, उसके चचेरे भाई विशाल और सुखदेव यादव को दी जाने वाली सजा की मात्रा संबंधी जिरह के लिए 25 अप्रैल की तिथि तय की। पीठ ने कहा कि याचिकाएं स्वीकार करने योग्य नहीं हैं। हमने यह भी बरकरार रखा है कि नितीश कटारा की हत्या झूठी शान की खातिर हत्या का मामला है।

उच्च न्यायालय ने इस मामले में पिछले वर्ष 16 अप्रैल को अपना निर्णय सुरक्षित रखा था और इसके करीब एक साल बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। अपराधियों, राज्य और पीड़ित की मां नीलम कटारा के वकीलों ने 16 अप्रैल 2012 को अंतिम दलीलें शुरू कर दी थी।
    
विकास, विशाल और सुखदेव पहलवान 2002 में 16 और 17 फरवरी की दरम्यानी रात को नितिश कटारा के अपहरण और हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं। इस मामले में तीनों अपराधियों ने अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ याचिकाएं दायर की थी जबकि अभियोजन पक्ष और नीलम कटारा ने निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए लोगों को मृत्युदंड देने संबंधी याचिका दायर की थी। अदालत ने पांचों याचिकाओं की सुनवाई की है।
     
अदालत ने पीड़िता की मां और अभियोजक की याचिकाओं को दोषियों की याचिकाओं से अलग रखने का निर्णय लिया है। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि विकास और विशाल को कटारा का उनकी बहन के साथ कथित प्रेम संबंध स्वीकार नहीं था। विकास और विशाल को निचली अदालत ने 2008 में दोषी करार दिया था।
    
उनके सहयोगी पहलवान के खिलाफ अलग से मुकदमा चलाया गया था और उसे निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। वह कुछ समय तक फरार रहा था लेकिन उसे 2005 में गिरफ्तार कर लिया गया था। निचली अदालत ने 2008 में तीनों को दोषी करार देते हुए कड़े आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

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